अकी़दतमंद का इम्तिहान.-सैय्यदना शेख़ अब्दुल का़दिर जीलानी (क्यूएसए)

अकी़दतमंद का इम्तिहान.-सैय्यदना शेख़ अब्दुल का़दिर जीलानी (क्यूएसए)

अकी़दतमंद का इम्तिहान

हज़रत साद इब्न अबी वक़क़ास रदीअल्लाह अनहु ने फरमाया: 'मैंने पूछा: या रसूलल्लाह ﷺ  , किन इंसानो का सबसे ज़ादा इम्तिहान लिया जाता है?"

आप ﷺ  ने फरमाया :” पैग़म्बर, फिर अगला सबसे अच्छा और अगला सबसे अच्छा।  एक इंसान का इम्तिहान उसके अक़ीदे के ऐतबार से लिया जाता है।  यदि उसका अक़ीदा मज़बूत है, तो उसकी और कड़ी आज़माइश होगी और यदि उसका अक़ीदा कमज़ोर है, तो उसकी आज़माइश उसके अक़ीदे के हिसाब से ली जाएगी। इंसान पर इम्तिहान तब तक पड़ते रहेंगे जब तक वे इस दुनिया में चलता जाए बिना कोई गुनाह के।'' (सहीह अत-तिर्मिधि)।

सैय्यदना शेख़ अब्दुल का़दिर जीलानी (क्यूएसए) इस हदीस पर एक टिप्पणी देते हैं।  हज़रत ग़ोस पाक फरमाते हैं कि "अल्लाह हमेशा अपने ग़ुलामों को उनके अक़ीदे के ऐतबार से इमतिहान लेता है। इस प्रकार यदि किसी इंसान का अक़ीदा ज़ादा है और लगातार बढ़ रहा है, तो उसका इम्तिहान भी ज़ादा होगा। एक रसूल कि आज़माइश नबी से ज़ादा होती है, क्योंकि उनका अक़ीदा भी उनके मुक़ाबले ज़ादा है। नबी की आज़माइश अब्दाल से ज़ादा है और इसी तरह अब्दाल की आज़माइश एक वली के मुक़ाबले ज़ादा होती है । प्रत्येक को उनके अक़ीदे के आधार पर आज़माया जाता है । प्यारे पैग़म्बर ‎ﷺ  फरमाते हैं: "हम नबियों के समुदाय, सबसे गंभीर रूप से आज़माए जाते है, फिर दूसरों की आज़माइश उनके अक़ीदे के ऐतबार से होती है।"

सैय्यदना शेख़ अब्दुल का़दिर जीलानी (क्यूएसए) फरमाते हैं कि सूफी मोहब्बत वाले इंसान होते हैं। जो अपने अल्लाह से मोहब्बत करते हैं, और मोहब्बत करने वाला कभी भी अपने महबूब से दूर रहना पसंद नहीं करता है।"

सिलसिला-ए-आलिया ख़ुशहालिया !!

(सैय्यदना शेख़ अब्दुल का़दिर जीलानी क्यूएसए का फुतुह अल-ग़ैब मुहतर हॉलैंड द्वारा अनुवादित, पृष्ठ 56)