एक दिन हज़रत ग़ौस पाक का एक जिन्न के साथ सामना।

एक दिन हज़रत ग़ौस पाक का एक जिन्न के साथ सामना।

एक दिन हज़रत ग़ौस पाक का एक जिन्न के साथ सामना।

 सैय्यदना शेख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी (क्यूएसए) के साहाब्ज़ादे शेख़ अब्दुल रज़्ज़ाक़ (क्यूएसए) ने फरमाया कि उन्होंने अपने वालिद को यह फरमाते हुए सुना है : 

 "मैं एक दिन मंसूर मस्जिद में नमाज़ अदा करने गया था। जब मैं नमाज़ पढ़ रहा था, मैंने ज़मीन पर किसी चीज़ की हलचल सुनी। तब मैंने देखा कि एक बड़ा ज़हरीला साँप अपना मूँह बड़ा खोले हुए मेरे सजदे वाली (सुजुद) जगह पर है । 

 जब मैं सजदे (सुजुद) के लिए नीचे गया, तो मैंने अपने हाथ से सांप को एक तरफ धकेल दिया।  जब मैं तशह्हुद के लिए बैठा, तो सांप मेरी जाँघ पर चढ़ गया, फिर मेरे गले में आके लिपट गया। अपनी नमाज़ अदा करने के बाद, मुझे अब कहीं भी सांप दिखाई नहीं दे रहा था।

 अगले दिन, मैं मस्जिद के पीछे गया और एक व्यक्ति को देखा जिसकी आँखें चौड़ी और संकरी थीं।  मुझे तुरंत पता चल गया कि यह व्यक्ति जिन्न है।  जिन्न ने मुझसे कहा: 'मैं वह ज़हरीला सांप हूँ जिसे आपने कल देखा था।  मैंने पहले भी अल्लाह (औलिया) के कई वलियों की परीक्षा ली है, लेकिन आपके जैसा पक्का कोई नहीं मिला।  उनमें से कुछ जिनका मैंने परीक्षण किया है, वे बाहर और भीतर से घबरा जाते ,कुछ केवल बाहरी रूप से घबराते जबकि कुछ केवल अंदर से ही घबरा जाते।  आप न तो भीतर से और न ही बाहर से घबराए । 
 फिर उस जिन्न ने मेरे हाथों पे माफ़ी मांगी, और मैंने उससे अल्लाह सुभानाहु वा ताआला से माफ़ी माँगने को कहा"

 सिलसिला-ए-आलिया ख़ुशहालिया से जुम्मा मुबारक!!

 (संदर्भ: हाफिज इब्न हजर अल- असक़लानी द्वारा शेख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी (क्यूएसए) की जीवनी, पृष्ठ 37)

Syed afzal Ali shah Maududi. 

Editor cum Bureau chief. 

Lucknow