कुरान पाक हिफ्ज़ करना खुदा की अज़ीम नेमत मौलाना खालिद रशीद दारूल उलूम फरंगी महल का वार्षिक जलसा दस्तारबन्दी हुआ

कुरान पाक हिफ्ज़ करना खुदा की अज़ीम नेमत मौलाना खालिद रशीद दारूल उलूम फरंगी महल का वार्षिक जलसा दस्तारबन्दी हुआ

कुरान पाक को हिफ्ज करना ख़ुदा पाक की अजीम नेमत है। इस नेमत के हकदार वहीं खुशकिस्मत लोग होते हैं। जिनको ख़ुदा पाक की तौफीक मिलती है। जिस मुँह से इस पाक कलाम की तिलावत होती हो और जिस दिल में इसकी आयते महफूज हो वह बुराईयों से बचा रहता है।

इन विचारों को नाजिम दारूल उलूम करगी महल मौलाना खालिद राशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने जाहिर किया। यह आज दारूल उलूम फरंगी महल के वार्षिक जलसा दस्तारयन्दी में सम्बोधन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुरान पाक का पहला हुक्म ही पढ़ने सीखने और इल्म हासिल करने से सम्बन्धित हैं। जो बच्चे कुरान पाक हिफज करते हैं उनके और उनके वालिदैन के लिए ख़ुदा पाक ने बहुत बड़ा सवाय का वादा फरमाया है।

मौलाना फरंगी महली ने छात्रों के अभिभावकों जिनमें औरत भी बड़ी संख्या में शामिल थी को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप लोग बहुत खुशकिस्मत हैं जिन्होने अपने जिगर पारों को कुरान पाक की तालीम दिलवाने का फैसला किया है। मौलाना ने कहा कि हमको पूरी उम्मीद है कि यह हुफ्फाज दीनी शिक्षा के साथ साथ दुनियावी शिक्षा की तालीम भी प्राप्त करेंगे। मौलाना फरंगी महली ने कहा कि इस वक्त बहुत जरूरी है कि हमारी नई पीढ़ी दोनी शिक्षा के साथ दुनियावी शिक्षा, साइंस और टिक्नोलॉजी की तालीम भी हासिल करें।

उन्होंने कहा कि उलमा-ए-फरंगी महल के उस्ताजुल हिन्द अल्लामा निजामुद्दीन फरंगी महली बानी दर्स निजामी ने 1701 में फरंगी महल में दीनी उलूम की शिक्षा के लिए देश का पहला मदरसा कायम किया था। वालिद मरहूम ने मौलाना मुफ्ती अबू तैय्यब अहमद मियाँ फरंगी महली ने उसकी दोबारा बुनियाद जनवरी 2001 में की।

छः छात्रों अब्दुल मालिक, मो० जकारिया मो० अदनान,

मो० अबूबक्र खाँ, मो० अब्दुल्लाह और मो० शारिक खाँ की दस्तारबन्दी नाजिम दारूल उलूम मौलाना खालिद रशीद फरंगी

महली प्रधानाचार्य मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी मौलाना मो० मुश्ताक और अन्य अध्यापकों ने की। इनको सनद भी दी

गयी। जलसे में दारूल उलूम में होने वाले वार्षिक खेल कूद के मुकाबलों में कामयाबी प्राप्त करने वालों को ट्राफी और

पुरस्कार भी दिये गए।

जलसे का संचालन कारी मो० हारून ने किया। इस अवसर पर दासल उलूम के अध्यापक मौलाना अब्दुल लतीफ: कारी तनवीर आलम, कारी कमरूद्दीन, कारी अब्दुल मुगीस, कारी मो० शमीन, हाफिज मो० इरशाद और विधार्थियों के साथ उनके सरपरस्त भी मौजूद थे।