लखनऊ विश्वविद्यालय का 102वां स्थापना दिवस मनाया गया। समारोह

लखनऊ विश्वविद्यालय का 102वां स्थापना दिवस मनाया गया। समारोह

विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह की सांस्कृतिक शाम सांस्कृतिकी के अंतर्गत वर्तमान और पुरातन छात्र-छात्राओं के हुनर से सजी। जिसमें अवध की सांस्कृतिक विरासत के रंगों को बखूबी पेश किया। दास्तानगोई, कथक और शास्त्रीय गीत-संगीत के रंगों से मालवीय सभागार चटख हो उठा। शुरुआत पुरातन छात्रा ऋतुपर्णा ने मनमोहक देवी स्तुति से की। इसके बाद ताल से ताल मिला शीर्षक प्रस्तुति में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा नेत्शा और अकांक्षा ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुति से प्रशंसा पाई। एक के बाद एक शानदार प्रस्तुतियों के बाद पूरा सभागार अध्यात्म-भक्ति के रंगों में रंग गया। जब विवि में पढ. रही श्रीलंका की तीक्ष्णा व इहारा ने कैडिंयन डांस में भगवान परशुराम की महिमा का बखान किया। शहर के युवा रचनाकार विवि के पुरातन छात्र कवि पंकज प्रसून ने अपनी चुनिंदा रचनाओं ने खूब तालियां बटोरी। लोक रंगों से सजी स्थापना दिवस की शाम में पुरातन छात्रा वर्तिका तिवारी व छात्र जय सिंह ने जनकवि प्रदीप के कृतित्व-व्यक्तित्व पर आधारित डॉक्यूमेंट्री दिखाई। जिसमें कवि प्रदीप की  वर्तिका ने बताया कि कवि प्रदीप इसी विश्वविद्यालय के छात्र थे। हम सात रिसर्च स्टूडेंट्स ने काव्योम समूह के तहत यह डॉक्यूमेंट्री बनाई है। विवि में पढ रहे दीपांशी, अनुभूति, महक, आस्था, इहारा और सृष्टि व अन्य ने ऐसा देश है

मेरा…गाकर लोगों में देशभक्ति का जोश भरा। डॉ ऋचा आर्य, सत्यम, अनुराधा, मनीषा व अन्य स्टूडेंट्स के समूह ने मनमोहक नृत्य नाटिका में चरवाक दर्शन प्रस्तुति दी। शुजाउर रहमान और शाजिया खान ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी शतरंज के खिलाडी की दास्तानगोई कर सांस्कृतिक शाम को और खुशनुमा बना दिया।

25 नवंबर 22 को लखनऊ विश्वविद्यालय का 102वां स्थापना दिवस मनाया गया। समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, प्रो. आलोक कुमार राय के स्वागत भाषण के साथ हुई, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में श्री योगेंद्र उपाध्याय, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, श्री दयाशंकर सिंह, माननीय परिवहन मंत्री (इंडिपेंडेंट चार्ज) उत्तर प्रदेश सरकार के साथ श्री शशि शेखर, हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक का सम्मानित अतिथि के रूप में, स्वागत किया गया।  विश्वविद्यालय के छह प्रतिष्ठित पूर्व छात्र अर्थात् माननीय न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त रितु राज अवस्थी, वर्तमान राष्ट्रीय विधि आयोग, नई दिल्ली के अध्यक्ष (पूर्व छात्र 1986), श्री अनिल भारद्वाज, निदेशक, भौतिक प्रयोगशालाएँ, अहमदाबाद (पूर्व छात्र 1987), श्री जयंती प्रसाद, सेवानिवृत्त, वर्तमान में भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड के पूर्णकालिक सदस्य ( पूर्व छात्र 1984), श्री शशि प्रकाश गोयल (आईएएस) माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव, श्री आशुतोष शुक्ला, दैनिक जागरण, यूपी के राज्य प्रमुख (पूर्व छात्र 1987) और श्री मनु श्रीवास्तव (आईएएस), मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार, मुंबई को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
प्रो. आलोक कुमार राय ने सभी का परिचय उपस्थित विश्वविद्यालय परिवार से कराया और विगत वर्ष में विश्वविद्यालय की कुछ उपलब्धियों को गिनाया। उन्होंने विश्वविद्यालय को NAAC द्वारा दिए गए ए++ ग्रेड के साथ-साथ एनईपी-2020 की सभी बिंदुओं को लागू करने वाला देश का पहला संस्थान होने की बात कही। इस अवसर पर विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक कलैण्डर भी जारी किया गया। डॉ. अनिल भारद्वाज ने अपने विश्वविद्यालय के दिनों को याद किया और चंद्रयान मिशन के बारे में बात की, जिसका वह हिस्सा थे।
श्री आशुतोष शुक्ल ने अपने प्राध्यापकों को याद किया जिन्होंने उन पर अमिट छाप छोड़ी। यहां तक कि वह अपने मूल विभाग के कर्मचारियों को भी प्यार से याद करने से नहीं चूके। उन्होंने दृढ़ता से इस तथ्य को सामने रखा कि जीवन में हमारा उद्देश्य दूसरों की सेवा करना है।
श्री जयंती प्रसाद ने अपने प्रोफेसरों को अच्छी यादों और उनके द्वारा गठित संगीत समूह को याद किया। वह इतना भावुक हो गए कि उनकी आंखों में आंसू आ गए।
न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने इस दिन को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में व्यक्त किया और अपने प्रोफेसरों के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि आज वो जो भी हैं अपने शिक्षकों की बदौलत है।  
श्री शशि प्रकाश गोयल ने अपने विश्वविद्यालय के दिनों, टैगोर पुस्तकालय को याद किया और अपने शिक्षकों को सबसे बेहतरीन कह संबोधित किया।
श्री मनु श्रीवास्तव ने एक वीडियो संदेश भेजा क्योंकि उनकी पूर्व निर्धारित प्रतिबद्धताओं के कारण वे आज के समारोह का हिस्सा नही बन पाए, और आभार व्यक्त किया। उनके माता पिता इस कार्यक्रम में आए थे।
माननीय श्री दयाशंकर जी ने सभी का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना की, और याद किया कि कैसे विश्वविद्यालय ने उनके राजनीतिक जीवन को संवारने में मदद की। उन्होंने यह भी उद्धृत किया कि कैसे यूपी के माननीय मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी ने उनसे अपने अल्मा मेटर में योगदान करने के तरीकों का पता लगाने के लिए बात की।
श्री शशि शेखर जी ने एक कहानी सुनाई कि किस प्रकार शिक्षा मानव जीवन में दीयों की एक ऐसी शृंखला को प्रकाशित करती है जिसकी सहायता से संदेह की अंधेरी रातों का मुकाबला किया जा सकता है।
मुख्य अतिथि श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि विश्वविद्यालय एक ऐसी जगह है जो किसी की भी युवा ऊर्जा को वापस लाती है। विश्वविद्यालय का एक गौरवशाली अतीत है, जिसमें श्री योगी और माननीय कुलाधिपति, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल, महामहिम श्रीमती आनंदीबेन पटेल सहित सभी के अथक प्रयास शामिल हैं जिससे लगातार विश्वविद्यालय हर दृष्टि में बेहतर बना है। उन्होंने विश्वविद्यालय को ऐसी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा का अग्रदूत बनाने की कामना की कि कोई भी बच्चा अवसरों की तलाश में देश से बाहर न जाए।
अंत में प्रोफेसर चक्रवर्ती ने इस अवसर पर उपस्थित सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। शाम को मालवीय हॉल में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय का 102वा स्थापना दिवस का समापन हुआ।

Bureau chief. 

Lucknow