पटना, 29 जून 2025: पटना का गांधी मैदान 29 जून 2025 को ऐतिहासिक जनसैलाब का गवाह बना, जब देश भर से हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग ‘वक्फ बचाओ, दस्तूर बचाओ’ कांफ्रेंस में शामिल होने के लिए उमड़े। इस भव्य आयोजन का नेतृत्व अमीर ए शरीयत हज़रत फैसल वली रहमानी साहब ने किया, जो वर्तमान में मुसलमानों के सामाजिक, धार्मिक और कानूनी अधिकारों के प्रखर पक्षधर माने जाते हैं।
यह कांफ्रेंस न केवल बिहार, बल्कि झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा सहित देश के विभिन्न राज्यों से आए मुस्लिम प्रतिनिधियों, धार्मिक विद्वानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों की भागीदारी का अद्भुत उदाहरण बनी। कार्यक्रम में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मिल्ली काउंसिल और इमारत-ए-शरिया के संयुक्त प्रयास से वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और भारतीय संविधान के तहत मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया।
तेजस्वी यादव का जोरदार भाषण: “बीजेपी की साजिशों को नाकाम करना होगा”
कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, “बीजेपी लगातार देश के संविधान, लोकतंत्र और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने की साजिश कर रही है। हमें पूरी ताकत से इन साजिशों को नाकाम करना होगा। जो लोग देश को बांटना चाहते हैं, हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे।”
तेजस्वी यादव ने अपने जोशीले भाषण में कहा कि मुसलमान इस ज़ालिमाना कानून को कभी नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा, “हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक यह काला कानून वापस नहीं लिया जाता। हमें सड़कों पर उतरना होगा, कानूनी लड़ाई लड़नी होगी और लोकतांत्रिक तरीके से इसका विरोध करना होगा।”
उन्होंने कहा कि आज गांधी मैदान में उमड़ा यह जनसैलाब इस बात का सबूत है कि मुसलमान अपने हक के लिए एकजुट हैं और किसी भी अन्याय के सामने झुकने वाले नहीं हैं।

वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा की आवाज बुलंद
कांफ्रेंस में वक्फ संपत्तियों की अवैध कब्जा, सरकारी हस्तक्षेप और वक्फ बोर्डों की निष्क्रियता जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार वक्फ संपत्तियों को निशाना बनाकर मुसलमानों के आर्थिक और शैक्षणिक विकास में बाधा डाल रही है।
हजरत अमीर ए शरीयत फैसल वली रहमानी साहब ने कहा, “आज मुसलमान अपने घरों से निकल कर गांधी मैदान में जमा हुए हैं। यह आवाज अब दबने वाली नहीं है। हमें उम्मीद है कि हुकूमत हमारी जायज मांगों पर गौर करेगी और इस काले कानून को वापस लेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मुसलमान अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए देश भर में आंदोलन करेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “वक्फ संपत्तियां मुसलमानों की अमानत हैं। इन्हें बचाना सिर्फ एक समुदाय का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का दायित्व है। अगर सरकारें इसे नजरअंदाज करेंगी तो यह सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।”
वक्फ एक्ट में संशोधन पर तीखा विरोध
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा वक्फ एक्ट में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ भी सम्मेलन में जोरदार विरोध दर्ज किया गया। वक्ताओं ने कहा कि सरकार इन संशोधनों के जरिए वक्फ संपत्तियों पर अपना नियंत्रण बढ़ाना चाहती है, जिससे मुस्लिम समाज की स्वायत्तता और धार्मिक अधिकारों का हनन होगा।
मिल्ली काउंसिल के प्रतिनिधि ने कहा कि वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए पूरे देश में जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा, “सरकार जिस प्रकार वक्फ बोर्डों के अधिकारों में कटौती करने की कोशिश कर रही है, वह संविधान की भावना के खिलाफ है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।”
गांधी मैदान में जनसैलाब का अद्भुत नजारा
गांधी मैदान में सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होने लगे थे। पटना के विभिन्न हिस्सों के अलावा, देश के कोने-कोने से मुस्लिम भाई-बहन बसों, ट्रेनों और निजी वाहनों से गांधी मैदान पहुंचे। पूरा मैदान तिरंगे झंडों और “वक्फ बचाओ, दस्तूर बचाओ” के बैनरों से सजा हुआ था।
सभा के दौरान ‘हमें हमारा हक चाहिए’, ‘काले कानून वापस लो’, ‘संविधान बचाओ, वक्फ बचाओ’ जैसे नारे गूंजते रहे। वक्ताओं के जोशीले भाषणों और जनसमूह के नारेबाजी ने पूरे वातावरण को आंदोलित कर दिया।
इमारत-ए-शरिया और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भूमिका
कांफ्रेंस में इमारत-ए-शरिया बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा की सक्रिय भूमिका रही। साथ ही, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी पूरी मजबूती से इस आंदोलन का समर्थन किया। बोर्ड के प्रतिनिधियों ने कहा कि देश में मुसलमान अपने संवैधानिक अधिकारों को लेकर जागरूक हो चुके हैं और अब किसी भी प्रकार के भेदभाव को चुपचाप सहन नहीं करेंगे।
बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य ने कहा, “वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा केवल मुसलमानों का मुद्दा नहीं है, यह देश के अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सामाजिक न्याय का सवाल है। अगर आज वक्फ को निशाना बनाया जाएगा, तो कल किसी और समुदाय की संपत्तियां सरकार के निशाने पर आ सकती हैं। इसलिए यह लड़ाई सबकी है।”
महिलाएं और युवाओं की मजबूत भागीदारी
इस कांफ्रेंस की खास बात यह रही कि बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं और युवा भी इस आंदोलन का हिस्सा बने। मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि वे अपने बच्चों के भविष्य के लिए इस संघर्ष में बराबर की भागीदार हैं। युवाओं ने नारे लगाते हुए कहा कि वे किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जानते हैं।
एक महिला प्रतिनिधि ने कहा, “हम अपने बच्चों के लिए एक ऐसा समाज चाहते हैं जहां समानता, न्याय और संविधान की सर्वोच्चता हो। अगर हमारे हक छीने जाएंगे, तो हम चुप नहीं बैठेंगी।”
मुस्लिम समाज का स्पष्ट संदेश
कांफ्रेंस के अंत में पारित किए गए प्रस्ताव में केंद्र सरकार से मांग की गई कि वह वक्फ संपत्तियों पर किसी भी प्रकार का अन्यायपूर्ण कानून लागू न करे। साथ ही, सरकार से यह भी कहा गया कि वह मुसलमानों के धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता का सम्मान करे।
यह कांफ्रेंस इस बात का स्पष्ट संदेश बन कर उभरी कि मुस्लिम समाज अब अपने हक और अधिकारों के लिए संगठित है और किसी भी अन्याय के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करने के लिए तैयार है।
आगे की रणनीति
आयोजकों ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने मुस्लिम समाज की मांगों पर समय रहते सकारात्मक कदम नहीं उठाए तो वक्फ बचाओ आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले चरण में दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में भी इसी तरह के जनसमूह आयोजित किए जाएंगे।
हजरत अमीर ए शरीयत ने कहा, “हम किसी से नफरत नहीं करते। हम अपने देश, अपने संविधान और अपने समाज से प्रेम करते हैं। लेकिन अगर हमारे अधिकारों का हनन होगा तो हम पीछे नहीं हटेंगे।”
रिपोर्ट: पटना से सैय्यद मंज़रुल हसन.