इसके बावजूद भी मुख्य शहर में किसी भी स्थान पर शौचालय का ना होना कई सवाल तो खड़ा करता ही है क्योंकि यदि कोई भी व्यक्ति जिला मुख्यालय में किसी भी काम से आएगा या शहर में रहने वाले लोग ही किसी भी काम से बाजार में जाएंगे तो आवश्यकता पड़ने पर आखिर शौचालय का उपयोग कहां करेंगे. साथ ही जिला मुख्यालय औरंगाबाद में दूसरी बड़ी समस्या यह भी है कि चर्चित बाईपास पुल से चलने के बाद धर्मशाला मोड तक बिहार – सरकार की अति महत्वपूर्ण योजनाओ में शामिल जल – नल योजना के तहत भी कहीं पर कोई पानी की टंकी नहीं बैठाई गई है. जिससे की लोग आवश्यकता अनुसार अपनी प्यास भी बुझा सके.
औरंगाबाद: ( बिहार ) कहने के लिए तो औरंगाबाद जिला मुख्यालय जरूर है और नगर – परिषद का क्षेत्र भी है. जिसमें कुल वार्डों की संख्या – 33 है. लेकिन जिला मुख्यालय एवं नगर परिषद क्षेत्र होने के बावजूद भी चर्चित बाईपास पुल से लेकर धर्मशाला मोड तक की जो स्थिति है. वास्तव में बद से बदतर है क्योंकि यदि आप बाईपास पुल से लेकर धर्मशाला मोड तक चलेंगे तो चर्चित रमेश चौक पर सिर्फ एक पे एंड यूज़ शौचालय है परंतु बाईपास पुल एवं रमेश चौक के बीच में कहीं पर भी कोई शौचालय नहीं है जबकि बाईपास पुल से लेकर धर्मशाला मोड तक ही शहर का मुख्य केंद्र माना जाता है.
ज्ञात हो कि मुख्य शहर में हनुमान मंदिर मोड़ के पास बहुत पहले एक पानी की टंकी बैठाई गई थी. जिसमें पानी पीने के लिए नल भी लगा हुआ था. लेकिन अब वह भी काफी दिनों से समाप्त हो चुका है तथा बीचों – बीच शहर में ही मुख्य डाक घर के घर के पास भी जो एक शौचालय बनवाया गया था. वह भी समाप्त हो चुका है और वहां पर किराना दुकान चलाया जाता है और बाईपास पुल के पश्चिम दिशा में भी जो एक शौचालय बना हुआ था. वहां पर भी पंचदेव के नाम पर एक मंदिर का निर्माण करा दिया गया. जिसके वजह से अब वहां का भी शौचालय पीछे हो गया और किसी भी व्यक्ति को पता भी नहीं चलता है कि यहां पर शौचालय भी है. इसलिए यह गंभीर मामला तो है ही.
मुख्य शहर का चर्चित स्थान गांधी मैदान के पास ही बनी सरकारी बस स्टैंड से भी जो बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की सभी गाड़ियां अपने गंतव्य स्थानों के लिए खुलती है. वहां पर भी शौचालय की वही स्थिति है कि शौचालय बंद ही पड़ा हुआ है. जहां पर की नगर – परिषद द्वारा बनाया गया आश्रय स्थल भी है और शहर का मुख्य केंद्र भी है. इसके अलावे शहर का चर्चित अदरी नदी से उत्तर दिशा में श्मशान घाट की ओर बनी हुई शौचालय की भी वही स्थिति है कि बंद ही पड़ा हुआ है तथा बिहार – सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल जल – नल योजना के तहत लगवाई गई पानी की टंकी भी बंद ही पड़ी हुई है जबकि उक्त स्थान पर महादलित समाज के ही लोग रहते हैं.
इसके बावजूद भी महादलित समाज के लोग पेयजल तथा शौचालय की समस्या से हमेशा जूझ रहे हैं जबकि बिहार – सरकार या किसी भी दल के लोग आज के वर्तमान समय में अधिकांश दलित और महादलित के नाम पर ही राजनीति करते हैं और किसी भी मंच से भाषण देते हैं कि दलित / महादलित समुदाय के लिए हमारी सरकार ने ये कार्य किया है तो वो कार्य किया है और हमारी पार्टी ने दलितों / महादलितों के विकास हेतु यह आवाज उठाई है तो वह आवाज उठाई है. लेकिन स्थिति आज भी वही है. चाहे किसी भी लोगों की बात करें. इसलिए जिला मुख्यालय में जो बदतर स्थिति है. उस पर जिला – प्रशासन को ध्यान देना बहुत जरूरी है. तभी मुख्य शहर की इन महत्वपूर्ण समस्याओ से आम लोगों को राहत मिल पायेगी वर्ना संभव नहीं है.
– अजय कुमार पाण्डेय.