पूर्वी दिल्ली के मंडावली फजलपुर में नाबालिग द्वारा स्कूटर चोरी का मामला, सीसीटीवी से हुई पहचान

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फ़रहान सिद्दीकी (कार्यकारी संपादक)

पूर्वी दिल्ली के मंडावली फजलपुर के बी ब्लॉक में 8 जुलाई 2025 की सुबह करीब 4:45 बजे एक सनसनीखेज घटना सामने आई, जब एक नाबालिग लड़के को स्कूटर चोरी करते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद किया गया। इस घटना ने इलाके में हड़कंप मचा दिया, लेकिन स्थानीय लोगों की सूझबूझ और सामुदायिक सहयोग से मामले को सुलझा लिया गया। नाबालिग होने के कारण लड़के को सजा देने के बजाय सुधार का मौका देते हुए उसके माता-पिता को सौंप दिया गया। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, सुबह के शांत समय में, जब अधिकांश लोग सो रहे थे, एक 16-17 वर्षीय लड़का बी ब्लॉक की गलियों में जहाँ ज़्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं एक स्कूटर की तलाश में घूमता दिखाई दिया। उसने एक घर के बाहर खड़ी स्कूटर को निशाना बनाया और कुछ ही मिनटों में उसे चुराकर फरार होने की कोशिश की। लेकिन वह यह भूल गया कि इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे उसकी हर हरकत को रिकॉर्ड कर रहे थे। सुबह जब स्कूटर के मालिक को चोरी का पता चला, तो उन्होंने तुरंत स्थानीय लोगों और पुलिस को सूचित किया। सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद मामला और स्पष्ट हो गया। फुटेज को इलाके में साझा किया गया, जिसके बाद कुछ स्थानीय लोगों ने लड़के की पहचान कर ली। जानकारी के मुताबिक, वह उसी इलाके का निवासी था और पहले भी छोटी-मोटी शरारतों में शामिल रहा था।

नाबालिग की उम्र को ध्यान में रखते हुए, स्थानीय लोगों ने पुलिस कार्रवाई से पहले मामले को अपने स्तर पर सुलझाने का फैसला किया। कुछ जिम्मेदार नागरिकों ने लड़के को ढूंढकर उससे पूछताछ की और चोरी की गई स्कूटर बरामद कर ली। लड़के ने अपनी गलती स्वीकार की और बताया कि वह आर्थिक तंगी और दोस्तों के दबाव में आकर चोरी करने को मजबूर हुआ। इलाके के कुछ बुजुर्गों और प्रभावशाली लोगों ने उसके माता-पिता को बुलाया और उन्हें पूरी घटना की जानकारी दी। माता-पिता ने अपने बेटे की हरकत पर शर्मिंदगी जताई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का वादा किया। नाबालिग से लिखित में यह वचन लिया गया कि वह भविष्य में चोरी या किसी अन्य गलत कार्य में शामिल नहीं होगा। इसके बाद उसे उसके माता-पिता के हवाले कर दिया गया। यह घटना न केवल सीसीटीवी कैमरों की उपयोगिता को दर्शाती है, बल्कि सामुदायिक सहयोग और सुधारात्मक दृष्टिकोण की ताकत को भी उजागर करती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि नाबालिग को सजा देने से बेहतर है कि उसे सही रास्ते पर लाने का मौका दिया जाए। इस घटना ने इलाके में सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम किया है और लोगों को अपने आसपास सतर्क रहने की प्रेरणा दी है। पुलिस ने भी इस मामले में सामुदायिक पहल की सराहना की और कहा कि नाबालिगों के मामलों में सुधारात्मक कदम उठाना जरूरी है। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि एकजुट समाज और तकनीक का सही उपयोग अपराध को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ये नाबालिग लड़का दूसरे समुदाय से था लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोगो ने इस नाबालिग को चोरी जैसे संगीन अपराध के बाद भी माफ़ कर दिया और भाईचारे की मिसाल भी पेश की।

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