इस मौके पर उन्होंने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि हम लोगों को औरंगाबाद की कॉमन पीड़ा, जो औरंगाबाद के नगर के आप लोग नागरिक हैं, सभी पीड़ित है. उसमें चार विषय को संबोधित करने के लिए हम लोग यहां एकत्रित हुए हैं, और उन विषयों को हम लोग बड़ी-बारी से संबोधित करेंगे. सबसे पहला विषय जो है. वो औरंगाबाद में जो निर्मित मीट – मछली का जो मंडी है. अभी तक मांस वहां पर बिक रहे हैं, उस संदर्भ में है. मैं आग्रह करूंगा फुटपाथी विक्रेता संघ के, उनका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं शशि भाई. जो आप लोग को इस विषय में ब्यौरा दें.
इसके बाद शशि भाई ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि जो मछली मंडी है. निर्माण तो हो चुका है. लेकिन उसमें बड़े-बड़े पूंजी पतियों को अनुशंसा करके दे दिया गया है. यहां तक की बीस – बीस हजार रुपया भी लिया गया, और उसके बाद अभी तक उसको अंदर घुसाया भी नहीं गया. बहुत सा ऐसा है. इसके बाद उन्होंने किए हुए अनुशंसा का ही पत्र दिखाते हुए कहा कि ऐसा देखिए कि अनुशंसा आपको किया गया है, और अनुशंसा पर बहुत सा बड़े – बड़े को दिया गया है. उससे जाम की समस्या उत्पन्न हो रहा है, और बदनाम फुटपाथ हो रहा है.
उसके बाद आप सब्जी मंडी में भी देख लीजिए, कि जितने भी फुटपाथ व्यवसायी थे. उसको तोड़ – ताड़ करके का किया, कि बाहर कर दिए. उनको ना कोई जगह दिया गया, ना ही कुछ किया गया, जबकि केंद्र – सरकार तथा राज्य – सरकार का यह नियम है कि बेंडिंग जोन बनाकर ही हटाया जाए. लेकिन अभी तक ना कोई बैठक होती है. ना कोई कुछ बोल रहा है. ना अभी तक एको रुपया का फंड मिला है. एक भी वेंडिंग जोन नहीं बन रहा है. उसके चलते सारा फूटपाथी रोड पर जीवन – यापन करने पर विवश है. उससे आम जनता को परेशानी होती है. बदनाम संगठन होता है. ये प्रशासन लोग खाली लूट – खसोट पर पड़े हुए हैं. एकदम चारों पट्टी लूट हो रहा है. 46 गो दुकान वहां ब्लॉक पर बना. वो भी बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने ले लिया, परंतु हमने माननीय उच्च – न्यायालय में केस भी किया है. जो अभी तक पेंडिंग पड़ा हुआ है.
इसलिए सारा का सारा खेल इन लोग करके बैठे हुए हैं, और सबको अंदर से बाहर कर दे रहे हैं, और उसके बाद ये अपना नीचे सो रहे हैं, और बदनाम फुटपाथ हो जा रहा है. मंडी था देखिए, उसका भी आंदोलन कर रहे थे. उसका भी कहीं कोई आशा नहीं है. बेचारा अब गरीब रोड पर आ गया है. अब डेली पिटाता है, हटाता है. तराजू – बटखारा लिया जा रहा है. इस तरह का रवैया है कि खाली लूटने पर पड़ा हुआ है नगर परिषद, और कुछ काम हो नहीं रहा है.
इसके बाद पुनः भाजपा नेता व समाजसेवी, अनिल कुमार सिंह ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे विषय का लबोलुआब ये है, कि ये जो अतिक्रमण की समस्या है. वो उसको फुटपाथ के बेड़ियों पे मढ दिया जाता है. वस्तुतः इसमें जो नगर – परिषद के नेता है, और उनसे बड़े नेता भी कुछ हैं, और बड़े जो पूंजीपति हैं. जो गरीबों के नाम पर बने, और जो बनने वाले स्थापत्य हैं. उन पर जो कब्जा करते हैं. उनके कारणों को लोग नजर अंदाज कर देते हैं. ये ठीक नहीं है.

उदाहरण के लिए इसमें आप जब देखेंगे, सूची जो एलॉटेड है मछली मार्केट, मीट के लिए. उसमें उसका अपविष्ट का भी संधारण का वहां पर बना हुआ है. लेकिन आज वो अदरी नदी के किनारे बन रहा है, और उसमें भीतर में जो एलॉटेड है. उसमें साफ हम लोगों के पास सबूत है, कि यहां कौन से बड़े पदाधिकारी जो है. उसको लिए हुए हैं. जो व्यक्ति कभी छूता भी नहीं है.
औरंगाबाद पूर्व के तरफ से अगर आएंगे, तो अदरी नदी जो है. सो पहला एंट्री पॉइंट है. हम लोग के शहर का, और सड़क किनारे पूरे सावन महीना में भी कट रहा है. कई मीट मछली को हाथ भी नहीं लगाते हैं, और वो अगर वहां पर काट रहे हैं. अभी तक सड़क पर कट रहा है. हम लोग सनातनी वैष्णव लोग हैं. हम लोग अगर देख ले किसी चीज को कटते हुए, तो दिन भर खाना नहीं खा पाते हैं. लेकिन करोड़ों रुपया खर्च होने के बाद, इस पर लिखा हुआ है. फलाना से फलाना तक, हम लोग के पास टोटल एविडेंस है. लेकिन हम लोग किसी प्रकार के हिन्ड्रेस में नहीं जाना चाहते हैं. हम लोग शहर के समस्याओं का निराकरण चाहते हैं.
दूसरा विषय यह है कि एक स्मरण पत्र नगर विकास विभाग के, सचिव के द्वारा जिसका पत्रांक संख्या – 2095 है, और दिनांक – 22 जुलाई 2025 को जारी किया गया है, कि जो भी नगर – परिषद क्षेत्र है, और जिसका उत्क्रमण किया जाना है. मतलब अगर नगर पंचायत, जो नगर – परिषद का अहर्ता शुरू हो जाए, और अगर नगर – परिषद है, और नगर – निगम का आता है, तो औरंगाबाद नगर – परिषद पूरी तरह से अहर्ता के रूप में सक्षम है, कि इसको नगर निगम बनाया जाए.
आप लोग से करबद्ध निवेदन है कि हम लोग के निवेदन में आप लोग शामिल हो जाइए. औरंगाबाद का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ेगा. बजट बढ़ेगा, मोहल्लों की संख्या बढ़ेगी, और औरंगाबाद की जो अहर्ता है नगर निगम बनने की, वो पूर्ण है. इस पर बैठक 2020 में भी हो चुकी है. लेकिन कुछ छोटे-छोटे स्वार्थ में फंस गए लोग. उस प्रतिवेदन को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं. वो लेटर का कॉपी भी मेरे पास है. यदि आप चाहेंगे, तो मैं आपको उपलब्ध करा दूंगा. लेटर नंबर – 2095, तारीख 22 जुलाई 2025, ये रिमाइंडर लेटर है. अभय कुमार सिंह, जो नगर विकास विभाग के ए.सी.एस. हैं.
इसके बाद समाजसेवी, अनिल कुमार सिंह ने कहा कि गौकशी के द्वारा पूरा बूचड़खाना यहां पर प्रतिबंधित है. माननीय उच्च – न्यायालय का आदेश भी हम लोगों के पास है. उसके बावजूद भी गौकशी यहां पर होती है, और उसको कवर अपने यहां पर किया जाता है. हरेक साल हम लोग उसका प्रोटेस्ट करते हैं, और यहां का जो नगर प्रशासन है. वो गड्ढा खोदकर के, उसमें नमक और केमिकल डाल करके उसको लीपा – पोती करता है. लीपा – पोती समस्या का समाधान नहीं है. कवर आप अगर कोई चीजों का कर रहे हैं, तो आप सिर्फ इन चीजों को छुपा रहे हैं. उससे समस्या का समाधान नहीं होने को है. हम लोग बहुत पीड़ित है, और इस पीड़ा को हम लोग सहते जा रहे हैं.
तीसरा विषय है, सॉलिड बेस मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट. लिक्विड बेस मैनेजमेंट, जिसको कहते हैं, तो ठोस अपविष्ट और तरल अपविष्ट का एक का, आप लोग जानते हैं कि टेंडर हो चुका है. लेकिन उसमें तरल अपविष्ट कितना बनाएंगे, कैसा बनाएंगे. उसका डी.पी.आर. पत्रकारों को और हम लोगों को भी उपलब्ध कराया जाए, ताकि उसके डिजाइनिंग में जैसा है. वो हम लोगों के इच्छा अनुसार है, कि नहीं है. उसमें यदि कोई संशोधन हो सकता है, तो किया जाना चाहिए या नहीं चाहिए, और अगर नहीं है, तो उसके लिए हम लोग आंदोलन करेंगे. अपने आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे.
जहां तक ठोस अपशिष्ट का विषय है, तो देख रहे हैं कि चारों तरफ शहर में कूड़ा का अंबार लगा हुआ है, तो उसके लिए औरंगाबाद नगर – परिषद सौभाग्यशाली में से एक है बिहार के. जिसको बिहार – सरकार ने इसके लिए उपलब्ध कराया है जमीन. लेकिन चूंकि बड़ा जो खर्च है. वो नगर विकास विभाग की, उसका एक रुल है. उसका मॉडस ऑपरेटिंग है. उसको बुडको बनाता है, तो वो अटेंड ट्रांसफर करने का जो पाप औरंगाबाद नगर – परिषद में चलता है. योजना मद का पैसा, गैर योजना मद में खर्च कर देना. गैर योजना मद का पैसा, योजना मद में खर्चा कर देना. ये ट्रांसफर का पाप जो औरंगाबाद में चलता है. उस पाप के निहित, जो पेट में पाप पल रहा है. उसके कारण इसका निर्माण होता है.
जब – तक उसका आप बाउंड्री नहीं कराएंगे. कोई ठोस अपविष्ठ का समाधान नहीं हो पाएगा. इसलिए उसका प्वाइंट बन जाए, और जितना जो सॉलिड वेस्ट है. उसका सेक्रेटरिएशन का पूरा कन्वेयर बन जाए. उससे जो खाद है, और उससे मेटल का शिड्यू है. उससे जो लीड का शिड्यू है. औरंगाबाद का बहुत से बचेगा, और ये कूड़ा नहीं है. ये गोल्ड हो जाएगा, गोल्ड. आप में गोल्ड फ्रोम द सॉलिड वेस्ट. एकदम आप कूड़ा से सोना का उत्पादन कर सकते हैं. बस लेकिन मन में ईमानदारी होनी चाहिए. वो ईमानदारी जो है, और ये बिना राग के, बिना कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा के. बहुत हाथ जोड़कर औरंगाबाद शहर के तरक्की के लिए, औरंगाबाद के नागरिकों को निरोग रहने के लिए.
अभी गर्मी का सीजन है बताइए. अभी वाटर इन्फेक्शन का टाइम आ रहा है. जैसे-जैसे जुलाई का दुख तपेगा, और बारिश कम होगी. बताइए हरेक साल वाटर इन्फेक्शन फैलता है की नहीं. ये स्माल पॉक्स, चिकन पॉक्स से. ये स्मॉल पॉक्स तो लगता है, हम लोग हिट्रेट कर चुके हैं. लेकिन चिकन पॉक्स हरेक बार होता है. अभी भी वायरल इंफेक्शन हो रहा है. ब्रेन फीवर हो रहा है, तो हम क्यों इस अदरी नदी को इग्नोर करें. हम क्यों हरेक व्यक्ति रोज, प्रतिदिन सांसद का व्यक्ति हो, मंत्री का व्यक्ति हो. सब कोई देख रहा है कि अदरी नदी के किनारे यह मांस कट रहा है.
मछली मार्केट को कृपया करके जिंदा कराइए, और जो व्यक्ति अनुशंसा नहीं, अहर्ता की मांग करते हैं, कि जो हैबिटेट असली व्यक्ति हैं, उनको मिले. जो सही में मछली काटते हैं. जो सही में मुर्गा काटते हैं. उनको उन दुकानों का आवंटन किया जाए. पैसा कमाने के लिए बहुत जगह है इन लोगों के पास. आदमी के जन जीवन से खेल करके पैसा ना कमाएं. यही हाथ जोड़कर आप लोगों के माध्यम से नगर प्रशासन हो, जिला प्रशासन हो, और या उसके नेतागण हो. उसके समक्ष मेरा यही निवेदन है.
तब फिर संवाददाता ने भाजपा नेता सह समाजसेवी, अनिल कुमार सिंह से सवाल पूछा, कि अभी आपने कहा कि अहर्ता पूरा कर रहा है. इसलिए नगर – परिषद से नगर – निगम होना चाहिए. लेकिन औरंगाबाद में देखा जाता है कि यहां चेयरमैन जो हैं, सिर्फ नाम के ही है. लेकिन जो है, डील कहीं और से होती है?.
तब भाजपा नेता व समाजसेवी, अनिल कुमार सिंह ने संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह कोई एक व्यक्ति का विषय नहीं है, और ये चेयरमैन वाला विषय बहुत पुराना हो गया. ये तो बहुत पहले जानते हैं कि जब रोम जल रहा था, तो औरंगाबाद को रोम मान लीजिए, और नीरो गुप्ता बांसुरी बजा रहा था. ये नीरो गुप्ता है. उदय गुप्ता नहीं है. औरंगाबाद का नीरो है. सब कोई इस क्षमता को जानते हैं. इसलिए कोई विषय नहीं है. जितना उसकी क्षमता, बुद्धि, विवेक है. उसमें उनको निवेदन करना चाहिए. झगड़ा नहीं करना चाहिए.
हम लोग के पास पर्याप्त सबूत है, कि इन लोग को हम भ्रष्टाचार के मुद्दे में, कोर्ट में घसीट सकते हैं. कोर्ट में घसीटेंगे, तो वो जेल चले जाएंगे. लेकिन मैं ये नहीं चाहता हूं. सरकार इस पर संज्ञान लेकर जब काम करेगा, करेगा. लेकिन हम लोग इसको अब डायरेक्ट पार्टी नहीं बनना चाहते हैं.
हम लोग औरंगाबाद के नागरिकों के हित में इसमें हम लोग चाहते हैं, कि आप जो गड़बड़ी कर रहे हैं. इसको ठीक करके जो सही में मांस – मछली काट रहे हैं. जो सही में मीट बेच रहे हैं. उनको वो दुकान अलॉट कीजिए. बड़े लोग दुकान ले भी लेते हैं. वो फिर से उन्हीं लोग को किराया पर देते हैं.फिर से सड़क पर आ जाता है. ये दशकों से चल रहा है औरंगाबाद जिला में. इसको आप बंद कीजिए.
तब फिर संवाददाता ने समाजसेवी से सवाल पूछा कि अदरी नदी के किनारे जो मीट कटती है. उस एरिया में लोग जाना तक नहीं चाह रहा हैं. कई बार आवाज भी उठा है. जिला पदाधिकारी से भी हमने उठाया है, और लोगों ने भी उठाया है. जितने भी पत्रकार बंधु है. लेकिन बार-बार कहा जाता है कि वहां से हटा दिया जाएगा. बहुत जल्द ही हटा दिया जाएगा. हम लोग भी देख रहे हैं. इसलिए आप इस मुद्दे पर क्या कहना चाहेंगे.
तब समाजसेवी ने संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह प्रश्न का जवाब तो उन्हीं से पूछिए ना. तब पत्रकारों ने सवाल पूछा कि इसके लिए आप आगे क्या करेंगे. तब पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए समाजसेवी ने कहा कि देखिए हम लोगों का कार्य पद्धति है. हम लोग निवेदन, प्रतिवेदन, उसके बाद आंदोलन करेंगे.
निवेदन और प्रतिवेदन कई बार हो चुका है, और प्रतिवेदन का दौर एक बार फिर चलाएंगे हम, और उसके बाद जब नहीं हो पाएगा, तो आंदोलन तो फिर अंतिम मार्ग है. आंदोलन को मैं मानता हूं कि वो बहुत पॉजिटिव कॉन्सेप्ट नहीं है. हालांकि रिजल्ट ओरिएंटेड होता है. लेकिन बहुत पॉजिटिव कॉन्सेप्ट नहीं है. आंदोलन में आप अपने ही लोगों को कई बार परेशान कर देते हैं.
मान लीजिए आप सड़क बंद कर दिए. कई बार आपको पता चलेगा कि आपका भी भाई – बंधु कहीं फंसा हुआ है. आंदोलन बहुत पॉजिटिव कॉन्सेप्ट नहीं है. ये थोड़ा सा सोशलिस्ट और पब्लिश्ड प्रेजेंट है. हम लोग उसमें नहीं पड़ना चाहते हैं. लेकिन अंतिम विकल्प जब कोई नहीं सुनेगा, तो कान खोलने के लिए तो तमाशा करना पड़ता है.
इसके बाद फिर फुटपाथी विक्रेता संघ के प्रतिनिधित्व कर रहे शशि भाई ने कहा कि एक बात और है, कि सूचना के अधिकार के तहत जो मांग किया जाता है. वो औरंगाबाद में तो एक भी जगह पर नहीं दिया जाता है. हम कई बार मांग किए हैं. इसका भी मांग किए हैं. गांव का भी नल – जल योजना के कार्यकलाप का, नल को उखाड़ कर दूसरे जगह गाड़े. ई सब व्यापक रूप में चल रहा है. हम मांग रहे हैं, उसका जवाब नहीं मिल रहा है. एकदम फैलियर हो गया है सूचना के अधिकार.
तब फिर संवाददाता ने कहा कि सूचना के अधिकार फेलियर है ही. कई बार आवाज उठा है, फेलियर है ही. तब फिर शशि भाई ने कहा कि हां खाली मतलब ऐसा ही बन करके रह गया है. बहुत सा ऐसा चीज है, कि मतलब की आपको दिखा दें कि बहुत सा चीज का मांग किए हैं. लेकिन एक भी चीज का जवाब नहीं मिला है. बताइए कि इन लोग एक जगह गाड़े, और फिर उसी को उखाड़ कर दूसरा जगह गाड़कर के अपना पैसा उठा ले रहा है. मतलब की एकदम लूट – खसोट का अड्डा बन गया है.
इसके बाद फिर समाजसेवी, अनिल कुमार सिंह ने कहा कि ये नल – जल वाले में भी है. बोरिंग कराए, उसमें भी है. शहरी आवास योजना में, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि छोटे-छोटे 800 आवास बने हैं. माननीय प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी जी ने पैसा छुट कर दिया है आवास योजना में. लेकिन औरंगाबाद में मात्र 108 घर का इन लोगों ने सेंक्शन किया. 107 घर बनाए, और उसकी भी अगर जांच हो जाएगी, तो 100 घर में 60 घर फर्जी पाए जाएंगे. लेकिन हम लोग भी इन सब चीजों में नहीं पड़ना चाहते हैं.
अब हम लोग देखिए ना, कि औरंगाबाद में हरेक व्यक्ति एक अपना मकान हो या छत शायद हो, और और उसको जीने के लिए अपना एक संस्थान हो. ये काम है. ये हम लोग चाहते हैं कि कोई आपका सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे भवंतु निरामया: हो. कामना करने वाले लोग हों. ये यहां पर बहुत सारे घोटाले हैं. लेकिन सारे विषयों को ले जाना बहुत विस्तृत हो जाएगा.
लेकिन अभी हम लोग अभी स्पेशली इस डिमांड को आप लोगों के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहते हैं. जो औरंगाबाद को नगर – निगम का दर्जा मिले एक, और दूसरा मछली मार्केट का ठीक से नियोजन हो जाए. सही लोग का आवंटन हो जाए. औरंगाबाद में मांस कटना खुले में बंद हो जाए. बूचड़खाना तो बंद है. उसमें ईलीगल, तो उसको तो पुलिस – प्रशासन को ज्यादा ध्यान देना चाहिए. हाई कोर्ट का आदेश का अगर अवहेलना है. इस तरह से ढक कर आप नमक से और केमिकल डालकर आप तोप रहे हैं. इसका मतलब वो कट रहा है. आप पर एविडेंस छुपाने का दूसरा आरोप लग जा सकता है. है ना सेक्शन. यहां पर वकील है सुबोध जी. बताइए एविडेंस छुपाने का भी बड़ा एक नॉन-बेलेबल सेक्शन है.
रिपोर्ट: अजय कुमार पाण्डेय.