भाजपा प्रवक्ता की राहुल गांधी को जान से मारने की धमकी लोकतंत्र के मूल्यों पर सवाल | सोशल मीडिया पर हंगामा

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नई दिल्ली, 29 सितंबर 2025 – भारतीय राजनीति में एक बार फिर हिंसक बयानबाजी का मुद्दा गरमाया हुआ है। कल रात न्यूज़18 केरल चैनल पर प्रसारित एक लाइव डिबेट के दौरान भाजपा प्रवक्ता प्रिंटू महादेव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को खुलेआम हत्या की धमकी दी। इस घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी है और लोकतंत्र के मूल्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना का पूरा ब्योरा :

यह विवादास्पद घटना 28 सितंबर 2025 को हुई, जब चैनल पर लद्दाख में भारत-चीन सीमा तनाव को लेकर एक बहस चल रही थी। डिबेट के दौरान गर्मागर्मी बढ़ी और भाजपा प्रवक्ता प्रिंटू महादेव ने कथित तौर पर कहा, “राहुल गांधी को सीने में गोली मारी जाएगी।” यह बयान लाइव प्रसारण में दिया गया, जिसके बाद स्टूडियो में सन्नाटा छा गया। प्रत्यक्षदर्शियों और वीडियो क्लिप के अनुसार, यह धमकी बहस के बीच में आई, जब विपक्षी पैनलिस्ट सीमा मुद्दे पर सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे थे।

यह घटना केवल राजनीतिक असहमति तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह लोकतंत्र की बुनियाद पर हमला मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सार्वजनिक मंच पर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न केवल असंवैधानिक है, बल्कि समाज में हिंसा को बढ़ावा देता है।

कानूनी नजरिया: क्या कहता है कानून?

इस बयान को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 के तहत आपराधिक धमकी माना जा सकता है। यह धारा किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी देने पर कई साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान करती है। यदि धमकी सार्वजनिक रूप से दी गई हो, तो यह गैर-जमानती अपराध भी बन सकती है। इसके अलावा, धारा 153A के तहत समाज में वैमनस्य फैलाने का आरोप भी लगाया जा सकता है, जो सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने वाले बयानों पर लागू होती है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस को तुरंत एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। चुनाव आयोग और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि यह चुनावी माहौल और मीडिया एथिक्स से जुड़ा है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव :

इस घटना का असर दूरगामी हो सकता है। टीवी जैसे बड़े प्लेटफॉर्म पर दी गई धमकी से राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है और युवाओं में कट्टरता का जहर घोल सकती है। विपक्षी दलों ने इसे भाजपा की ‘हिंसक राजनीति’ का हिस्सा बताया है, जबकि भाजपा ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। क्या यह प्रवक्ता का व्यक्तिगत विचार था या पार्टी की लाइन? इस सवाल का जवाब भाजपा को देना होगा।

सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। एक्स (पूर्व ट्विटर) और फेसबुक पर #ArrestPrituMahadev हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। कई पत्रकारों, विपक्षी नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है। एक यूजर ने लिखा, “यह लोकतंत्र नहीं, जंगलराज है!” जबकि दूसरे ने कहा, “मीडिया को ऐसी हिंसा को प्रमोट नहीं करना चाहिए।”

मीडिया की जिम्मेदारी: चैनल पर सवाल

न्यूज़18 केरल चैनल की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। क्या चैनल ने बयान के बाद प्रसारण रोका? क्या प्रवक्ता को पैनल से हटाया गया? और क्या चैनल ने कोई माफी मांगी? मीडिया एक्सपर्ट्स का कहना है कि चैनल को ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स का पालन करना चाहिए और ऐसी घटनाओं पर जवाबदेह होना चाहिए। यदि नहीं, तो NBSA (न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी) जैसी संस्थाएं कार्रवाई कर सकती हैं।

आगे क्या होना चाहिए?

इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है:
एफआईआर दर्ज: धारा 506 और 153A के तहत पुलिस कार्रवाई शुरू हो।
संस्थागत हस्तक्षेप: चुनाव आयोग और प्रेस काउंसिल मामले की जांच करें।
पार्टी की सफाई: भाजपा स्पष्ट करे कि यह बयान पार्टी का नहीं है।
मीडिया रेगुलेशन: चैनल को एथिक्स उल्लंघन के लिए दंडित किया जाए।

निष्कर्ष: लोकतंत्र की रक्षा जरूरी

यह घटना याद दिलाती है कि लोकतंत्र में असहमति का सम्मान होना चाहिए, न कि हिंसक धमकियां। यदि ऐसे बयानों पर रोक नहीं लगी, तो देश एक खतरनाक रास्ते पर जा सकता है। मीडिया, सिविल सोसाइटी और आम नागरिकों को मिलकर नफरत के खिलाफ आवाज उठानी होगी। क्या यह सिर्फ एक बयान है या बड़ी साजिश का हिस्सा? समय बताएगा, लेकिन अभी कार्रवाई जरूरी है।
यह रिपोर्ट विभिन्न स्रोतों और उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। अधिक अपडेट्स के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करें।

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रिपोर्ट : मोहम्मद इस्माइल.

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