चिराग पासवान से मुलाकात में चुनावी तैयारी को मिले संकेत, कुटुंबा से जितेंद्र पासवान को मिल सकता है टिकट

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नई दिल्ली स्थित पंचशील भवन कार्यालय में बुधवार, 18 सितंबर 2025 को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री, आदरणीय चिराग पासवान से औरंगाबाद (बिहार) के कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के प्रबल दावेदार एवं लोजपा (रामविलास) के एससी/एसटी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष, श्री जितेंद्र पासवान ने शिष्टाचार मुलाकात की।

इस अवसर पर दोनों नेताओं के बीच लंबी और सकारात्मक राजनीतिक चर्चा हुई। चिराग पासवान ने भरोसा दिलाया कि श्री जितेंद्र पासवान पार्टी के समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं में से हैं। यदि आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए गठबंधन के तहत सीट बंटवारे के दौरान कुटुंबा विधानसभा सीट लोजपा (रामविलास) के हिस्से में आती है, तो उन्हें टिकट देने में प्राथमिकता दी जाएगी।

चिराग पासवान ने उन्हें यह भी सुझाव दिया कि वे क्षेत्र में सक्रिय रूप से लग जाएं और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी आरंभ कर दें। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि एनडीए में सीटों को लेकर बातचीत जारी है और जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

यह मुलाकात न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रही, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पार्टी अब ज़मीनी स्तर पर कार्य कर रहे पुराने और समर्पित नेताओं को उचित स्थान देने की दिशा में अग्रसर है।

इससे दो दिन पूर्व, सोमवार, 16 सितंबर 2025 को, श्री जितेंद्र पासवान ने पंडारा पार्क, नई दिल्ली स्थित सी-1/2 आवास पर लोजपा (रामविलास) के बिहार प्रभारी एवं चिराग पासवान के बहनोई, आदरणीय अरुण भारती से भी शिष्टाचार भेंट की। इस मुलाकात में पार्टी के वरीय नेता वीरेंद्र कुमार सिंह तथा पूर्व जिलाध्यक्ष एवं वर्तमान प्रदेश सचिव, अनूप कुमार ठाकुर भी साथ उपस्थित थे।

गौरतलब है कि कुटुंबा विधानसभा एक सुरक्षित सीट है। श्री जितेंद्र पासवान ने वर्ष 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए भी तैयारियां की थीं। हालांकि, 2020 में लोजपा और एनडीए का गठबंधन टूट जाने के कारण पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा था, जिससे जेडीयू को नुकसान पहुँचा और कई सीटें हाथ से चली गईं। ऐसे हालात में जितेंद्र पासवान ने चुनाव नहीं लड़ा।

कोरोना काल के दौरान भी श्री जितेंद्र पासवान ने अपने क्षेत्र में सेवा भावना से कार्य करते हुए बड़ी संख्या में मास्क, सैनिटाइज़र और गमछा वितरित कर लोगों को सम्मानित किया था। आज भी कुटुंबा क्षेत्र के लोग उनकी उस सेवा को याद करते हैं और सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।

रिपोर्ट: अजय कुमार पाण्डेय.

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