New Delhi, 20 Dec. 2025: बिहार की राजनीति में हाल ही में घटी एक घटना ने पूरे राज्य ही नहीं, बल्कि देशभर में महिलाओं की गरिमा, सम्मान और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एक महिला डॉक्टर नुसरत प्रवीण से जुड़ा है। सार्वजनिक मंच पर मुख्यमंत्री द्वारा एक महिला का हिजाब खींचने की घटना को लेकर समाज के हर वर्ग में नाराज़गी और पीड़ा देखने को मिल रही है।
यह केवल किसी एक व्यक्ति, एक पार्टी या एक राजनीतिक मंच की बात नहीं है। यह सवाल भारत की हर महिला के आत्मसम्मान, उसकी आस्था और उसकी पहचान से जुड़ा हुआ है। जब देश के एक बड़े राज्य का मुख्यमंत्री, जो संवैधानिक पद पर बैठा है, खुले मंच से एक महिला के साथ ऐसा व्यवहार करता है, तो यह घटना आम महिलाओं की सुरक्षा को लेकर डर पैदा करती है।
हिजाब केवल कपड़े का एक टुकड़ा नहीं है। यह आस्था, पहचान और सम्मान का प्रतीक है। किसी महिला के पहनावे को जबरन छूना या हटाना उसकी निजी आज़ादी और मर्यादा पर सीधा हमला है। अगर सत्ता के शीर्ष पर बैठा व्यक्ति ही महिला की गरिमा नहीं समझ पाएगा, तो फिर सवाल उठता है कि सड़क, दफ्तर और घरों में महिलाएं खुद को कितना सुरक्षित महसूस करेंगी।
घटना के बाद डॉक्टर नुसरत प्रवीण ने यह साफ किया है कि वह अब अपनी नौकरी जॉइन नहीं करेंगी और बिहार छोड़ चुकी हैं। यह बयान अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि यह मामला कितना गंभीर और मानसिक रूप से आहत करने वाला रहा होगा। किसी भी महिला का इस तरह राज्य छोड़ना यह दर्शाता है कि उसका
आत्मविश्वास और भरोसा पूरी तरह टूट चुका है।
इरादा चाहे जो भी रहा हो, लेकिन इस घटना ने महिलाओं के आत्मसम्मान और ज़मीर पर गहरी चोट पहुंचाई है। यह व्यवहार किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं कहा जा सकता। एक महिला के साथ सार्वजनिक मंच पर इस तरह का बर्ताव इंसानियत को शर्मसार करने वाली हरकत है।
यह घटना हमें मजबूर करती है सोचने पर कि अगर आज एक पढ़ी-लिखी महिला डॉक्टर के साथ ऐसा हो सकता है, तो कल हमारी बहन, बेटियों और माताओं के साथ क्या हो सकता है। महिलाओं की सुरक्षा केवल कानूनों से नहीं, बल्कि व्यवहार और सोच से सुनिश्चित होती है। जब नेतृत्व करने वाले लोग ही संवेदनशीलता नहीं दिखाएंगे, तो समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
डॉक्टर नुसरत प्रवीण को न्याय मिलना बेहद ज़रूरी है। यह न्याय केवल उनके लिए नहीं, बल्कि हर उस महिला के लिए होगा जो अपने सम्मान और अधिकारों के साथ जीना चाहती है। यह घटना एक चेतावनी है कि महिलाओं की गरिमा के साथ किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।आज ज़रूरत है कि समाज, सरकार और प्रशासन मिलकर यह संदेश दें कि महिला सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा। क्योंकि आज अगर चुप्पी रही, तो कल यह खामोशी हमारी बेटियों के भविष्य पर भारी पड़ सकती है।
रिपोर्ट: शहाबुद्दीन अंसारी
