लद्दाख की बर्फीली वादियों से निकली एक आवाज, जो न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा कर रही है बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी मजबूत करने की कोशिश कर रही है। सोनम वांगचुक – वो नाम जो बॉलीवुड फिल्म ‘3 इडियट्स’ में आमिर खान के किरदार का प्रेरणा स्रोत बना, आज मोदी सरकार के निशाने पर है। 26 सितंबर 2025 को लेह पुलिस ने उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर लिया। वजह? लद्दाख में राज्यhood और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप। लेकिन सवाल ये है – जो व्यक्ति सालों से हिमालय की जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है, उसे देशद्रोही क्यों ठहराया जा रहा है? और वो लोग जो चीन को भारतीय भूमि सौंपने का दोषी हैं, वे कहां हैं?
सोनम वांगचुक की कहानी सिर्फ एक गिरफ्तारी की नहीं, बल्कि लद्दाख के लाखों लोगों के संघर्ष की है। 2019 में जब जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया, तो लद्दाख को अलग यूनियन टेरिटरी का दर्जा मिला। लेकिन ये दर्जा उम्मीदों का बोझ बन गया। भाजपा ने चुनावी वादों में राज्यhood, नौकरियों में स्थानीय आरक्षण, भूमि और पर्यावरण की सुरक्षा का आश्वासन दिया था। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। इसके बजाय, सीमा पर चीन के साथ तनाव बढ़ा, सैन्य निर्माण ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया, और स्थानीय लोग बेरोजगारी व बेदखली के डर से जूझ रहे हैं। सोनम वांगचुक ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई, और अब उन्हें सजा मिल रही है।
सोनम वांगचुक: एक पर्यावरण योद्धा से लोकतंत्र सेनानी तक
सोनम वांगचुक का जन्म 1966 में लद्दाख के एक छोटे से गांव में हुआ। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने शिक्षा और पर्यावरण को अपना मिशन बना लिया। 1988 में उन्होंने ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख’ (SECMOL) की स्थापना की, जो लद्दाख के छात्रों को पारंपरिक शिक्षा से अलग, व्यावहारिक सीख देने पर जोर देता है। SECMOL ने न सिर्फ स्कूलों की रैंकिंग सुधारी बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ‘आइस स्टूपा’ जैसी क्रांतिकारी तकनीक विकसित की – ये कृत्रिम हिमखंड पानी की कमी को दूर करने का समाधान है, जिसे दुनिया भर में अपनाया गया।
बॉलीवुड ने उन्हें अमर बना दिया। ‘3 इडियट्स’ फिल्म के रंचोददास (रंचो) का किरदार सोनम से प्रेरित था। निर्देशक राजकुमार हिरानी ने खुद कहा था कि सोनम की कहानी ने फिल्म को जन्म दिया। लेकिन सोनम की असली लड़ाई सिल्वर स्क्रीन से बाहर है। 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद उन्होंने चीन के अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया। उन्होंने कहा, “हमारी जमीन पर कब्जा हो रहा है, लेकिन सरकार चुप है।” इसी क्रम में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित एक वीडियो जारी किया। उसमें उन्होंने बॉलीवुड गाना ‘क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम, वो इरादा’ गाकर कहा – “जिन्होंने भारतीय जमीन चीन को सौंप दी, वे देशद्रोही हैं या हम जो चीन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं?” ये शब्द लद्दाख की पीड़ा को बयां करते हैं, जहां 2020 से अब तक हजारों हेक्टेयर जमीन पर चीन का कब्जा है।
सोनम का संघर्ष शांतिपूर्ण रहा। 2024 में उन्होंने दिल्ली चलो पादयात्रा निकाली, जहां 120 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। फिर 16 दिनों का अनशन किया, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने दिसंबर में बातचीत का वादा किया। लेकिन वादे फिर टूटे। 10 सितंबर 2025 को उन्होंने लेह के शहीद पार्क में 15-दिवसीय अनशन शुरू किया। ये अनशन राज्यhood, छठी अनुसूची (जो आदिवासी क्षेत्रों को भूमि अधिकार देती है), और पर्यावरण संरक्षण की मांग पर था। अनशन के दौरान पूरे देश से समर्थक पहुंचे, और प्रदर्शन उभरे।
लद्दाख प्रदर्शनों का काला अध्याय: हिंसा और दमन
24-25 सितंबर 2025 को प्रदर्शन हिंसक हो गए। लेह में युवाओं ने भाजपा कार्यालय पर हमला किया, सीआरपीएफ वाहन जला दिया। पुलिस ने गोलीबारी की, जिसमें 4 लोग मारे गए और 90 से ज्यादा घायल हुए। कर्फ्यू लगा, इंटरनेट काट दिया गया। गृह मंत्रालय ने सोनम को जिम्मेदार ठहराया, कहा कि उनके ‘भड़काऊ बयान’ – जैसे अरब स्प्रिंग और नेपाल के भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों का जिक्र – ने हिंसा भड़काई। लेकिन सोनम ने इनकार किया: “मैं हिंसा का समर्थन नहीं करता। ये सरकार का केस है मुझे जेल में डालने का।”
हिंसा से पहले ही सरकार ने वार्निंग शॉट्स चलाए। 25 सितंबर को SECMOL का FCRA (विदेशी फंडिंग लाइसेंस) रद्द कर दिया गया। साथ ही, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) की 40 साल की लैंड लीज़ रद्द कर दी गई। ये संस्थान सोनम का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जो वैकल्पिक शिक्षा और पर्यावरण पर फोकस करता है। सरकार का बहाना: लीज़ फॉर्मल नहीं थी और प्रोजेक्ट प्रोग्रेस नहीं हुआ। लेकिन आलोचक कहते हैं, ये दबाव की रणनीति है।
26 सितंबर को सोनम प्रेस कॉन्फ्रेंस के रास्ते गिरफ्तार हुए। लेह पुलिस प्रमुख एसडी सिंह जामवाल की अगुवाई में उन्हें जोधपुर जेल भेज दिया गया। उनकी पत्नी गितांजली अंगमो ने कहा, “हम भारत और सत्य के साथ हैं। राष्ट्रीय मशीनरी उनकी छवि खराब करने पर लगी है।” एनएसए के तहत बिना ट्रायल जेल हो सकती है सालों की।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: विपक्ष का गुस्सा, सरकार की चुप्पी
विपक्ष ने एकजुट होकर निंदा की। AAP के अरविंद केजरीवाल ने कहा, “ये तानाशाही का चरम है।” कांग्रेस ने भाजपा के वादाखिलाफी पर सवाल उठाया – 2020 के लेह हिल काउंसिल चुनावों में दिए वादे भूले गए। RJD के मनोज झा ने इसे ‘ओरवेलियन स्टेट’ कहा। TMC की शगुफ्ता ग़ौस ने कहा, “असहमति को राष्ट्र-विरोधी बनाना बंद करें।” जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने गिरफ्तारी को दुखद बताया। CPI(M) ने दमन की निंदा की।
लद्दाख का संकट: चीन का साया और पर्यावरण का खतरा
लद्दाख सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है। 2020 के गलवान संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए। उसके बाद चीन ने डेपसांग, पांगोंग त्सो जैसे इलाकों में घुसपैठ की। रिपोर्ट्स कहती हैं, 2000 वर्ग किमी से ज्यादा जमीन पर कब्जा। सोनम ने कहा, “हमारी जमीन पर कब्जा हो रहा है, बोलने पर धमकी मिलती है।” लेकिन सरकार की प्राथमिकता? सड़कें, एयरपोर्ट, सैन्य बेस – जो पर्यावरण को नष्ट कर रहे। हिमालय की नाजुक पारिस्थितिकी बर्बाद हो रही, ग्लेशियर पिघल रहे, बाढ़ आ रही। छठी अनुसूची लागू न होने से कॉर्पोरेट्स को जमीन बेचने का खतरा। स्थानीय बौद्ध-मुस्लिम समुदाय डर रहे हैं – उनकी संस्कृति, जमीन सब खतरे में।
सोनम का HIAL प्रोजेक्ट इसी समस्या का समाधान था। ये इंस्टीट्यूट सस्टेनेबल लिविंग सिखाता, सोलर हीटेड बिल्डिंग्स बनाता। लेकिन लीज़ रद्द – ये संयोग नहीं, साजिश लगती। Amnesty और Greenpeace जैसी संस्थाओं के साथ वैसा ही हुआ।

लोकतंत्र पर सवाल: क्या असहमति अपराध है?
भारत का संविधान बोलने की आजादी देता है। लेकिन एनएसए जैसे कानून असहमति को कुचलते हैं। सोनम की गिरफ्तारी सिर्फ उनकी नहीं, लद्दाख की आवाज दबाने की कोशिश। विपक्ष कहता है, भाजपा ने आर्टिकल 370 हटाकर वादे किए, लेकिन पूरा नहीं। अब दमन से समस्या हल नहीं होगी। नेपाल और अरब स्प्रिंग के उदाहरण सोनम ने दिए, जो चेतावनी थे – दबाओ तो फूट पड़ती है।
सोनम ने गिरफ्तारी से पहले कहा, “मैं जेल के लिए तैयार हूं, लेकिन फ्री सोनम ज्यादा समस्या पैदा करेगा।” उनकी पत्नी ने अपील की – सत्य के साथ रहें। दुनिया देख रही – रामोन मैगसेसे अवॉर्ड विजेता को गद्दार कहना शर्मनाक।
निष्कर्ष: आवाज दबेगी नहीं, लद्दाख लड़ेगा
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी लद्दाख के संघर्ष का नया अध्याय है। लेकिन इतिहास सिखाता है – गांधी, मंडेला जैसे लोग जेल से मजबूत निकले। सोनम भी निकलेंगे, और उनकी लड़ाई जारी रहेगी। हमें सोचना होगा – असली देशद्रोही कौन? जो सीमा बचाने की कोशिश करे या जो चुपचाप जमीन गंवाए? अमित शाह से वादा मांगिए, मोदी से जवाब लीजिए। लद्दाख की बर्फीली हवाएं गवाही देंगी – सत्य कभी हारता नहीं।
-मोहम्मद इस्माइल, एडिटर.