117वीं जयंती पर श्रद्धांजलि सभा में गूंजा— “इंकलाब ज़िंदाबाद!”

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औरंगाबाद (बिहार): शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 117वीं जयंती सामाजिक विकास संस्थान के तत्वावधान में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। यह आयोजन दाउदनगर स्थित अरविंदो मिशन स्कूल प्रांगण में हुआ, जिसमें संस्थान के सदस्यों के साथ-साथ स्थानीय गणमान्य नागरिकों, विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक और छात्र शामिल हुए।

समारोह की शुरुआत में तीनों शहीद—भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव—के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर आयोजित ‘शहीद स्मृति सभा’ को संस्थान के सचिव सत्येन्द्र कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि भगत सिंह के विचार आज भी युवाओं को उपभोक्तावाद, पाखंडवाद और स्वार्थवाद की दलदल से बाहर निकालकर राष्ट्र निर्माण की ओर प्रेरित कर सकते हैं।

संस्थान के अध्यक्ष कृष्णा प्रसाद चंद्रवंशी ने कहा कि सांप्रदायिक, जातीय और भाषाई अस्मिताओं के खिलाफ संघर्ष करना ही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कोषाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने संस्थान द्वारा जल्द ही पुस्तकालय खोलने की घोषणा की, जो भगत सिंह से संबंधित लेखन और वाचन को बढ़ावा देगा।

कार्यक्रम में धर्मेन्द्र कुमार दबगर, मीना सिंह, सिंपी सिन्हा, बिरजू चौधरी, राजकमल कुमार सिंह, अवधेश कुमार, विवेक चन्द्र सैनी, रामसकल महतो, राजकुमार भगत, मोहम्मद कयूम अंसारी सहित कई वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।

सभा में एक सात सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें दाउदनगर-नसरीगंज पुल का नामकरण “शहीद भगत सिंह सेतु” करने, 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में सार्वजनिक अवकाश घोषित करने, संसद और विधानसभा भवनों में शहीदों की तस्वीरें लगाने, शहीदों की मूर्तियां स्थापित करने, उनके लिखित दस्तावेजों को निशुल्क पुस्तकालयों में उपलब्ध कराने, राज्यों की राजधानियों में प्रतिमाएं लगाने तथा उनकी जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की गई।

सभा ने यह भी निर्णय लिया कि इन मांगों को पूरा करवाने के लिए भगत सिंह के विचारों में विश्वास रखने वाले संगठनों का संयुक्त मंच बनाया जाएगा और उसके नेतृत्व में क्रमबद्ध आंदोलन चलाया जाएगा।

अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष कृष्णा प्रसाद चंद्रवंशी ने की और संचालन सचिव सत्येन्द्र कुमार ने किया।

अंत में ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘शहीद अमर रहें’, ‘साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’, ‘समाजवाद जिंदाबाद’ जैसे नारों के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

रिपोर्ट: विश्वनाथ आनंद

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