औरंगाबाद (बिहार) : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के द्वितीय चरण के तहत औरंगाबाद जिले की सभी छह विधानसभा सीटों पर 11 नवंबर 2025 को मतदान होना तय है। हालांकि चुनाव नजदीक आने के बावजूद जिले के मतदाताओं में इस बार खास उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है।
इस बार के चुनाव में औरंगाबाद के लोग राजनीतिक दलों द्वारा घोषित प्रत्याशियों से खासे नाराज हैं। जनता का कहना है कि पार्टियों ने स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को नज़रअंदाज़ कर बाहरी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इससे मतदाताओं में निराशा और असंतोष का माहौल बना हुआ है।

कुछ दलों के समर्थक जरूर अपने गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार-प्रसार में जुटे हैं और जनता को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि उनके प्रत्याशी का संगठन और सरकार में बेहतर प्रभाव है। बावजूद इसके, आम मतदाताओं के बीच यह सवाल गूंज रहा है — “क्या औरंगाबाद में पार्टी को कोई योग्य स्थानीय उम्मीदवार नहीं मिला, जो बाहर के व्यक्ति को टिकट देना पड़ा?”
स्थानीय नेताओं की नाराजगी
पार्टी के कई स्थानीय नेताओं ने भी खुलकर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि वे पांच साल तक पार्टी का झंडा ढोते रहे, लेकिन टिकट देने के वक्त पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर बाहरी उम्मीदवार को मौका दे दिया। ऐसे में अब वे चुनाव में ऐसे उम्मीदवार की मदद क्यों करें?
नबीनगर विधानसभा क्षेत्र में बगावत
नबीनगर विधानसभा क्षेत्र संख्या 221 से जदयू ने इस बार शिवहर के पूर्व विधायक चेतन आनंद को प्रत्याशी बनाया है। चेतन आनंद, पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह और पूर्व विधायक लवली आनंद के पुत्र हैं तथा राजपूत समुदाय से आते हैं। नबीनगर क्षेत्र भी राजपूत बहुल माना जाता है, इसलिए जदयू ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए उन्हें टिकट दिया है।
लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका विरोध शुरू हो गया है। नबीनगर के पूर्व विधायक और जदयू नेता वीरेंद्र कुमार सिंह ने खुलकर चेतन आनंद के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। वहीं, बड़ेम गांव निवासी लव कुमार सिंह ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरकर जदयू के निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा, “अगर पार्टी किसी स्थानीय व्यक्ति को प्रत्याशी बनाती, तो हम सब उसका समर्थन करते, परंतु बाहरी प्रत्याशी को हम किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।”

सदर विधानसभा क्षेत्र में भी असंतोष
ऐसी ही स्थिति औरंगाबाद सदर विधानसभा क्षेत्र संख्या 223 में भी देखने को मिल रही है। भाजपा ने इस सीट से रोहतास जिले के जमुहार निवासी त्रिविक्रम नारायण सिंह को प्रत्याशी बनाया है। वे पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह के पुत्र हैं।
स्थानीय भाजपा नेताओं में इस निर्णय को लेकर असंतोष है। कई कार्यकर्ता जो टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे, उन्हें पार्टी ने मौका नहीं दिया। नतीजा यह है कि पार्टी में अंदरूनी खींचतान और असहमति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।
मतदाताओं की रुचि घटती नज़र आ रही है
इन परिस्थितियों के चलते औरंगाबाद जिले में मतदाताओं की दिलचस्पी इस बार के चुनाव में कम होती नज़र आ रही है। अब सवाल यह है कि आगामी 11 नवंबर को जब मतदान होगा, तो मतदाता किसे अपना प्रतिनिधि चुनेंगे — एनडीए समर्थित भाजपा प्रत्याशी त्रिविक्रम नारायण सिंह को या इंडिया गठबंधन समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शंकर सिंह को?
इसका जवाब तो 2025 के चुनाव परिणाम ही देंगे, लेकिन इतना तो तय है कि इस बार औरंगाबाद की राजनीतिक ज़मीन पर असंतोष की लहर है, और यह लहर परिणामों पर गहरा असर डाल सकती है।
रिपोर्ट : अजय कुमार पाण्डेय.
