गया, बिहार – बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने गया जिले के ऐतिहासिक “गया आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल” को माफियाओं और भ्रष्ट कर्मचारियों के कब्जे से मुक्त कराने की मांग राज्य सरकार से की है। यह संस्थान पिछले 50 वर्षों से भी अधिक समय से सरकारी शासी निकाय के अंतर्गत संचालित होता रहा है और गया शहर का एकमात्र आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज है।
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि पिछले कुछ वर्षों से कुछ कर्मचारी और माफिया तत्व इस संस्थान पर कब्जा जमाए हुए हैं। न केवल कॉलेज और अस्पताल के करोड़ों रुपये के जमा फंड में घोटाला किया गया है, बल्कि अस्पताल के कीमती उपकरण भी बेचे जा चुके हैं। इतना ही नहीं, डण्डीबाग स्थित पांच बीघा जमीन में बने दो-मंजिला भवन को भी हड़पने की कोशिश की जा रही है। यह सब एक स्थानीय विधायक और शासी निकाय के कुछ सदस्यों के संरक्षण में हो रहा है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि, प्रवक्ता और “गया आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल चालू कराओ संघर्ष समिति” के संयोजक विजय कुमार मिट्ठू ने अन्य सदस्यों – उग्र नारायण मिश्रा (सह संयोजक), पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, बाबूलाल प्रसाद सिंह, राम प्रमोद सिंह, विपिन बिहारी सिन्हा, शिव कुमार चौरसिया, शशि किशोर शिशु, युगल किशोर सिंह, विद्या शर्मा, प्रदीप शर्मा, और ओंकार नाथ सिंह – के साथ संयुक्त रूप से बयान जारी कर बताया कि इस कॉलेज की स्थापना 1972 में हुई थी और 1979 से यह सरकारी शासी निकाय के अंतर्गत 11 सदस्यों की समिति द्वारा संचालित हो रहा था। इसका पदेन अध्यक्ष मगध प्रमंडल आयुक्त और सचिव डीडीसी गया होते थे।
लेकिन कुछ अपरिहार्य कारणों से शासी निकाय (GB) के भंग होने के बाद तत्कालीन प्राचार्य, कुछ कर्मचारियों और एक नगर विधायक के करीबी लोगों ने धन, बल और राजनीतिक प्रभाव के बल पर इस संस्थान पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। इस अवैध कब्जे के विरुद्ध गया व्यवहार न्यायालय में आपराधिक मामला भी चल रहा है।
संघर्ष समिति द्वारा कई बार स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा गया है, लेकिन अब तक न कोई ठोस कार्रवाई हुई और न ही कॉलेज को माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराकर दोबारा शुरू करने की कोई प्रक्रिया शुरू की गई है। इस लापरवाही से गया वासियों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि कुछ महीने पूर्व बिहार सरकार ने गया में एक नया आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल खोलने की घोषणा की थी। इस निर्णय के आलोक में सरकार को चाहिए कि वह डण्डीबाग स्थित पांच बीघा परिसर और उसमें बने दो-मंजिला भवन का अधिग्रहण कर वर्तमान में बंद पड़े कॉलेज को फिर से मॉडल आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के रूप में विकसित कर शुरू करे।
रिपोर्ट: विश्वनाथ आनंद.