करूर हादसे की अंदरूनी कहानी:
27 सितंबर 2025 को तमिलनाडु के करूर में एक राजनीतिक रैली में हुए हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। यह आयोजन तमिल अभिनेता से नेता बने जोसेफ विजय की पार्टी, तमिलगा वेत्त्री कज़गम (TVK) द्वारा किया गया था। “वेलिचम वेलियेरु” अभियान के तहत हुई इस रैली में उमड़ी भारी भीड़ के कारण भगदड़ जैसी स्थिति बन गई, जिसमें 39 लोगों की मौत हो गई, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं, और 80 से ज़्यादा लोग घायल हो गए।
यह घटना वेलुसवम्यपुरम इलाके में हुई, जहां सिर्फ 10,000 लोगों की अनुमति थी, लेकिन भीड़ इससे कहीं अधिक थी। विजय के देर से आने और अपर्याप्त सुरक्षा इंतज़ामों के कारण भीड़ बेकाबू हो गई। लोग सुबह से ही वहां जुटने लगे थे, और दोपहर होते-होते गर्मी, पानी की कमी और इंतजार ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया। शाम 7 बजे विजय के मंच के पास पहुंचते ही लोग उन्हें देखने के लिए आगे बढ़े और भगदड़ मच गई। अंधेरे, तकनीकी खराबी और अफवाहों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।

लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे, बच्चे और बुज़ुर्ग दबने लगे। एम्बुलेंस घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाईं, और घायलों की मदद के लिए स्थानीय लोग ही आगे आए। अस्पतालों में भी जगह नहीं थी, कई लोगों की हालत गंभीर बनी रही। घटना के बाद मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख और घायलों को 1 लाख की सहायता राशि की घोषणा की। विजय ने व्यक्तिगत रूप से शोक जताया और हर मृतक के परिवार को 20 लाख रुपये देने की घोषणा की, लेकिन हादसे की सीधी जिम्मेदारी नहीं ली।
सरकारी स्तर पर जांच के लिए एक आयोग का गठन किया गया है। केंद्र सरकार और विपक्षी दलों ने इस हादसे पर दुख जताया, लेकिन साथ ही राज्य सरकार और पुलिस की भूमिका पर सवाल भी उठाए। कुछ नेताओं ने सीबीआई जांच की मांग की है।
यह हादसा भारत में बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं की एक और दुखद मिसाल है, जहाँ भीड़ प्रबंधन की कमी से जानें चली जाती हैं। यह साफ है कि बड़े आयोजनों में बेहतर योजना, सुरक्षा और तकनीक की मदद अनिवार्य है, वरना ऐसे हादसे फिर दोहराए जाएंगे।
रिपोर्ट: ITN Desk.