लिबिया के अमीर अल महदी मंसूर अल गद्दाफी हज यात्रा पर जाने के लिए अपने ग्रुप के साथ एयरपोर्ट पहुंचे थे, लेकिन वहां उनके नाम को लेकर अप्रत्याशित अड़चन आ गई। सुरक्षा अधिकारियों ने उनके नाम के साथ जुड़े ‘गद्दाफी’ उपनाम को देखते हुए उन्हें चेक-इन काउंटर पर रोक लिया और लंबी पूछताछ शुरू कर दी।

इस दौरान उनका हज जत्था प्लेन में सवार होकर रवाना हो गया। लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद विमान को तकनीकी खराबी के चलते वापस त्रिपोली एयरपोर्ट पर उतारना पड़ा। हालांकि, जब अमीर गद्दाफी दोबारा विमान में चढ़ने पहुंचे, तो पायलट ने तकनीकी प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए विमान का दरवाज़ा खोलने से इनकार कर दिया, और एक बार फिर वे यात्रा से वंचित रह गए। मगर इस कहानी में ट्विस्ट यहीं खत्म नहीं हुआ। कुछ समय बाद विमान ने फिर से उड़ान भरी, लेकिन इस बार भी उसमें तकनीकी गड़बड़ी आ गई और उसे तीसरी बार त्रिपोली एयरपोर्ट पर लैंड कराना पड़ा। यात्रियों और चालक दल के अनुसार, लैंडिंग के बाद विमान के कैप्टन ने ऐलान किया: “मैं कसम खाता हूं, जब तक आमिर गद्दाफी इस विमान में सवार नहीं होंगे, हम उड़ान नहीं भरेंगे।” इसके बाद अधिकारियों ने सुरक्षा जांच पूरी कर अमीर गद्दाफी को यात्रा की इजाज़त दे दी। तीसरी कोशिश में आखिरकार वे विमान में सवार हो गए और हज यात्रा पर रवाना हो पाए।
अमीर गद्दाफी ने इस पूरे घटनाक्रम को अल्लाह की मर्ज़ी और करिश्मा बताया। उन्होंने कहा, “जिसे अल्लाह बुलाता है, उसके लिए सारी रुकावटें हट जाती हैं।”