हेडलाइन: अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान गिरफ्तार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर महिला सैन्य अफसरों पर विवादित टिप्पणी का आरोप

Professor Ali Khan Mahmudabadi

– फरहान सिद्दीकी

सोनीपत, 18 मई 2025: हरियाणा के सोनीपत में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और इसमें शामिल महिला सैन्य अधिकारियों, विशेष रूप से विंग कमांडर व्योमिकी सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी, के खिलाफ सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप है।

मामले का विवरण:

‘ऑपरेशन सिंदूर’ 7 मई 2025 को पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर भारत की सैन्य कार्रवाई थी, जिसे भारतीय वायुसेना ने अंजाम दिया। इस ऑपरेशन की प्रेस ब्रीफिंग में विंग कमांडर व्योमिकी सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने अहम भूमिका निभाई थी। प्रोफेसर अली खान ने 8 मई को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में इन महिला अधिकारियों और ऑपरेशन को लेकर टिप्पणी की, जिसे महिला विरोधी और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला माना गया।

हरियाणा राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया की सिफारिश के बाद पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की। अली खान के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने की तैयारी की है, जहां रिमांड की मांग की जाएगी।

प्रोफेसर का बयान:

अली खान ने अपनी सफाई में कहा कि उनकी टिप्पणियों को गलत समझा गया। उनका उद्देश्य युद्ध की विभीषिका और नागरिकों की सुरक्षा पर ध्यान आकर्षित करना था, न कि महिला अधिकारियों या सेना का अपमान करना। उन्होंने दावा किया कि उनके पोस्ट को संदर्भ से हटाकर गलत तरीके से पेश किया गया।

विवाद और बहस:

इस गिरफ्तारी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन पर बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे सरकार की ओर से असहमति को दबाने की कोशिश मान रहे हैं, जबकि अन्य का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में ऐसी टिप्पणियां गैर-जिम्मेदाराना हैं।

पुलिस का रुख:

राई थाना पुलिस ने बताया कि शिकायत के आधार पर त्वरित कार्रवाई की गई। जांच जारी है, और सोशल मीडिया पोस्ट की सामग्री को फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है।

निष्कर्ष:

यह मामला न केवल अशोका यूनिवर्सिटी, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी के कानूनी और सामाजिक परिणामों ने शिक्षाविदों और नागरिकों के बीच बहस को और तेज कर दिया है

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