डॉ. संदीप मित्तल की कहानी: सफलता के शिखर पर भी पिता की सेवा को दी प्राथमिकता

Share this News

डॉ. संदीप मित्तल, एक वरिष्ठ IPS अधिकारी और भारतीय संसद भवन के पूर्व सुरक्षा सचिव रह चुके हैं। वे न केवल वीरता पुरस्कारों और मानद उपाधियों से सम्मानित हैं, बल्कि एक ऐसे बेटे के रूप में भी जाने जाते हैं जो अपने पिता की सेवा को ही अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं।

जब कोई व्यक्ति ऊँचे सरकारी पद पर रहते हुए भी अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा में समर्पित रहता है, तो वह समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाता है। यह उन सभी के लिए एक सबक है जो थोड़ी-सी सफलता मिलते ही अपने माता-पिता को भूल जाते हैं।

याद रखिए, दरवाज़े पर लेटे एक बुजुर्ग का आशीर्वाद किसी बंदूक या पद से अधिक आपकी रक्षा करता है। यह शाश्वत सत्य है कि मां के चरणों में स्वर्ग है और पिता, स्वर्ग का द्वार हैं।

आज कई लोग अपने माता-पिता को वृद्धाश्रमों में छोड़ आते हैं, यह सोचकर कि उन्होंने अपने फ़र्ज़ पूरे कर दिए। लेकिन वे भूल जाते हैं कि जो बच्चे यह सब देख रहे हैं, वे कल वही दोहराएंगे।

डॉ. संदीप मित्तल ने यह सिद्ध कर दिया कि चाहे आपके पास कितनी भी बड़ी डिग्रियाँ या ऊँचे ओहदे हों, माता-पिता के प्रति आपका कर्तव्य सबसे ऊपर होता है।

अपने व्यस्ततम कार्यक्रमों के बीच भी वे अपने पिता की सेवा करना नहीं भूलते। यह सिर्फ़ एक दृश्य नहीं है, यह एक गहरा संदेश है—उन सभी के लिए जो सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते ही रिश्तों को पीछे छोड़ देते हैं।

सच्ची सुरक्षा, शांति और सम्मान उन्हीं में निहित है जो अपने अपनों की सेवा करते हैं। माँ-बाप का सम्मान ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।

प्रेषक: ITN Desk सेवार्थ, जनहित में प्रकाशित।
Source: social media.

Share this News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *