कोलकाता से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया है। 14 दिसंबर 2025 को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक मुस्लिम स्ट्रीट वेंडर को भीड़ द्वारा पीटते हुए देखा गया। यह घटना 7 दिसंबर को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में आयोजित ‘गीता पाठ’ कार्यक्रम के दौरान की बताई जा रही है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि शेख रियाजुल और सलाउद्दीन नाम के दो विक्रेता वहां चिकन पैटी बेच रहे थे, तभी कुछ हिंदुत्व समर्थक लोगों ने उन्हें घेर लिया।
आरोप है कि हमलावरों ने विक्रेताओं को “बांग्लादेशी घुसपैठिए” कहकर गाली दी, मारपीट की, उनका सामान फेंक दिया और जबरन कान पकड़कर उठक-बैठक भी करवाई। इस घटना का वीडियो एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लाखों बार देखा गया, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय में गहरा रोष फैल गया।
मामला तब और गंभीर हो गया, जब 12 दिसंबर को इस हमले के तीन आरोपी – सौमिक गोल्डर, तरुण भट्टाचार्य और स्वर्णेंदु चक्रवर्ती – को जमानत मिल गई। इसके बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी ने इन आरोपियों को माला पहनाकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि वे हर हिंदू के साथ खड़े हैं और धर्म की रक्षा का संघर्ष जारी रहेगा। इस सम्मान का वीडियो सामने आते ही सोशल मीडिया पर बहस और तेज हो गई।
मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने इस पूरे घटनाक्रम की कड़ी निंदा की है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर लिखा कि यह राज्य प्रायोजित हिंसा जैसा है और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। कई इमामों और मुस्लिम संगठनों ने इसे मुसलमानों को डराने और दबाने की साजिश बताया है।
पीड़ित विक्रेता शेख रियाजुल का कहना है कि वे बेहद डरे हुए हैं। उनका कहना है कि आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और फिर से हमला हो सकता है। वहीं श्यामल मंडल नाम के एक अन्य विक्रेता, जो दलित समुदाय से हैं, ने भी खुद को असुरक्षित बताते हुए प्रशासन से मदद की मांग की है।
इस घटना ने पश्चिम बंगाल की राजनीति को पूरी तरह गरमा दिया है। तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया है, जबकि बीजेपी का कहना है कि धार्मिक कार्यक्रम में नॉन-वेज खाना बेचना गलत था। हालांकि वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि हमलावरों ने पहले विक्रेताओं की पहचान पूछी और मुस्लिम होने पर उनके साथ ज्यादा मारपीट की।
मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना को भीड़ हिंसा करार दिया है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में डर और विभाजन पैदा करती हैं। पृष्ठभूमि में देखें तो पिछले कुछ समय से बंगाल में सांप्रदायिक तनाव की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, खासकर 2024 के चुनावों के बाद।
फिलहाल पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है, लेकिन आरोपियों को जल्दी जमानत मिलने से कई सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर हजारों लोग इसे संविधान और कानून व्यवस्था के खिलाफ बता रहे हैं। पीड़ित विक्रेता अपने परिवार के साथ छिपकर रहने को मजबूर हैं। यह मामला देश को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और विरोध प्रदर्शन होने की संभावना जताई जा रही है।
by ITN Desk.
