क्रिसमस: यीशु मसीह के जन्म का पावन पर्व
क्रिसमस हर साल एक शांत और कोमल सूर्योदय की तरह आता है। यह जाना-पहचाना होते हुए भी हर बार दिल में नई खुशी और उम्मीद भर देता है। दुनिया भर में घर-घर रोशनी से सज जाते हैं, चर्चों में कैरोल गीत गूंजने लगते हैं और परिवार एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए एकत्र होते हैं। इन सभी खुशियों के पीछे एक गहरी और प्रेरणादायक कहानी छिपी है—एक साधारण गौशाला में यीशु मसीह का विनम्र जन्म।
क्रिसमस केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह आत्ममंथन और आत्मिक जुड़ाव का अवसर है। यह हमें कुछ पल रुकने, सोचने और ईश्वर के प्रेम के सच्चे अर्थ को समझने का निमंत्रण देता है। यीशु का जन्म सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं था, बल्कि यह मानवता के लिए ईश्वर का महान उपहार था। यह इस बात का प्रतीक है कि ईश्वर स्वयं मानव रूप में इस धरती पर आए, ताकि हमारे दुख-सुख को समझ सकें और हमें आशा का मार्ग दिखा सकें।
पवित्र शास्त्र में कहा गया है कि ईश्वर ने संसार से इतना प्रेम किया कि उन्होंने अपने पुत्र को मानव कल्याण के लिए भेजा, ताकि विश्वास रखने वाले लोगों को नया जीवन और आशा मिल सके। यही संदेश क्रिसमस की आत्मा है, जो कई बार सजावट, उपहारों और खरीदारी की चहल-पहल में पीछे छूट जाता है।
क्रिसमस का सच्चा आनंद तब महसूस होता है, जब हम यीशु मसीह को अपने जीवन और उत्सव का केंद्र बनाते हैं। वे प्रेम, क्षमा, करुणा और आशा का संदेश लेकर आए। उन्होंने सिखाया कि कैसे घावों को भरना है, दिलों को जोड़ना है और निराशा में भी विश्वास बनाए रखना है।
आज के समय में, जब दुनिया संघर्ष, तनाव और अनिश्चितताओं से जूझ रही है, यीशु का संदेश और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि दीवारें नहीं, बल्कि पुल बनाए जाएँ। वे हमें निराशा में आशा, भय में विश्वास और अशांति में शांति का मार्ग दिखाते हैं।
एक विचारक ने सुंदर शब्दों में कहा है कि धरती पर सच्ची और स्थायी शांति तभी आएगी, जब हम हर दिन अपने जीवन में क्रिसमस की भावना को अपनाएँगे।
इस क्रिसमस, आइए हम यीशु द्वारा दिए गए उपहारों—प्रेम, आनंद और शांति—को अपने दिलों में जगह दें। आइए खुले मन से दूसरों की मदद करें, खुशी से बाँटें और संवेदनशीलता के साथ एक-दूसरे की परवाह करें।
आप सभी को हर्षोल्लास से भरे क्रिसमस और आशीषमय नववर्ष 2026 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
डॉ. ए. एफ. पिंटो
अध्यक्ष
रयान ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन्स
