मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार: गायघाट विधानसभा क्षेत्र में आगामी चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। एनडीए गठबंधन के दो प्रमुख घटक दल—लोजपा (रामविलास पासवान) और जदयू—के बीच इस बार टिकट को लेकर अंदरूनी घमासान मचा हुआ है। यह स्थिति एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।
हाल ही में गायघाट में आयोजित एनडीए सम्मेलन के दौरान लोजपा की पूर्व प्रत्याशी कोमल सिंह और जदयू नेता प्रभात किरण के समर्थकों के बीच जमकर नारेबाज़ी हुई। दोनों पक्षों के कार्यकर्ता अपने-अपने नेताओं की उम्मीदवारी के समर्थन में नारे लगाने लगे, जिससे माहौल गर्मा गया। धीरे-धीरे बात कहासुनी से धक्का-मुक्की तक पहुंच गई और सम्मेलन में अफरा-तफरी मच गई।
स्थानीय पुलिस और कुछ समझदार लोगों के हस्तक्षेप से स्थिति को काबू में किया गया, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। सोशल मीडिया और स्थानीय न्यूज़ चैनलों पर दोनों पक्ष एक-दूसरे पर बवाल कराने का आरोप लगा रहे हैं और अपनी-अपनी दावेदारी को जायज़ ठहरा रहे हैं।
प्रभात किरण जदयू के वरिष्ठ नेता व पांच बार विधायक रहे महेश्वर प्रसाद के पुत्र हैं। वह यादव समुदाय से आते हैं और पिछले चुनाव में जदयू के टिकट पर राजद के निरंजन यादव से हार गए थे। वहीं, कोमल सिंह एक प्रभावशाली राजपूत परिवार से आती हैं। वे शहर के वरिष्ठ नेता व जदयू एमएलसी दिनेश सिंह की बेटी हैं। दिलचस्प बात यह है कि दिनेश सिंह भी जदयू में हैं और गायघाट क्षेत्र में उनका प्रभाव मजबूत है।
अब स्थिति यह बन गई है कि दोनों ही संभावित प्रत्याशी—प्रभात किरण और कोमल सिंह—एक ही गठबंधन के अलग-अलग घटक दलों से ताल्लुक रखते हैं। पिछली बार यह सीट जदयू को मिली थी, लेकिन कोमल सिंह ने लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहीं। इस बार भी यदि यही भ्रम की स्थिति रही तो एनडीए के लिए सीट निकाल पाना मुश्किल हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि लोजपा और जदयू के बीच यह विवाद यूँ ही चलता रहा, तो राजद के निरंजन यादव को पुनः लाभ मिल सकता है। गठबंधन की आंतरिक कलह से विपक्ष को मजबूती मिलेगी और एक बार फिर गायघाट एनडीए के हाथ से निकल सकता है।
रिपोर्ट: अजय कुमार पाण्डेय/ग़ज़नफर इकबाल.