मुस्लिम देशों ने गाजा से फिलिस्तीनियों को निकालने की कोशिशों का सख्त विरोध किया

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आज, 6 दिसंबर 2025 को दुनिया के कई बड़े मुस्लिम और अरब देशों ने गाजा पट्टी से फिलिस्तीनियों को जबरन बाहर निकालने की इजरायल की कोशिशों का कड़ा विरोध किया है। यह मुद्दा सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर तेजी से चर्चा में है।
पाकिस्तान, मिस्र, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), इंडोनेशिया, तुर्की, सऊदी अरब और कतर जैसे आठ देशों के विदेश मंत्रियों ने मिलकर एक संयुक्त बयान जारी किया और साफ कहा कि वे ऐसी किसी भी कार्रवाई को पूरी तरह खारिज करते हैं।

इन देशों का कहना है कि फिलिस्तीनियों को उनकी जमीन से हटाने की कोशिश, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्लान के खिलाफ है। इस प्लान के अनुसार रफाह क्रॉसिंग को दोनों तरफ से खुला रहना चाहिए, ताकि गाजा के लोगों को आने-जाने में कोई दिक्कत न हो और वे अपनी ही जमीन पर सुरक्षित रह सकें।

गाजा में हालात

गाजा पट्टी लंबे समय से तनाव और हिंसा का केंद्र रही है। वर्ष 2025 में एक नाजुक सीजफायर जरूर हुआ, लेकिन हालात अब भी सामान्य नहीं हैं।
अक्टूबर 2025 में सीजफायर का पहला चरण शुरू हुआ था। इसमें इजरायली सेना ने आंशिक वापसी की, हमास ने कुछ कैदियों को छोड़ा और मानवीय मदद बढ़ाई गई।
हालांकि, दूसरा चरण अब तक अटका हुआ है, क्योंकि इजरायल आखिरी बंधक के शव की बरामदगी की शर्त पर अड़ा है।

इस बीच, गाजा को मिस्र से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण रास्ता रफाह क्रॉसिंग पिछले कई महीनों से बंद है। यही रास्ता गाजा तक दवाइयों, खाने और जरूरी सामान पहुंचाने का मुख्य जरिया है।
3 दिसंबर को इजरायल ने ऐलान किया कि रफाह क्रॉसिंग सिर्फ बाहर जाने के लिए खोला जाएगा, ताकि लोग गाजा छोड़ सकें।
मिस्र ने इस फैसले को तुरंत खारिज कर दिया और कहा कि यह शांति प्लान का सीधा उल्लंघन है।

संयुक्त बयान में क्या कहा गया?

विदेश मंत्रियों के संयुक्त बयान में साफ कहा गया:

“हम फिलिस्तीनी लोगों को उनकी जमीन से हटाने या बाहर निकालने की किसी भी कोशिश को पूरी तरह नकारते हैं। रफाह क्रॉसिंग दोनों दिशाओं में खुली रहनी चाहिए, ताकि लोगों की आवाजाही आज़ाद रहे और कोई भी गाजा का निवासी मजबूरी में अपना घर न छोड़े। बल्कि, ऐसी परिस्थितियाँ बननी चाहिए, ताकि लोग अपनी जमीन पर रह सकें, अपने घर फिर से बना सकें और मानवीय हालात बेहतर हों।”

बयान में यह भी कहा गया कि गाजा में लाखों लोग भुखमरी, बीमारी और तबाही के बीच जी रहे हैं। इसलिए बिना रुकावट मानवीय मदद पहुंचाने, सीजफायर बनाए रखने और पुनर्निर्माण का काम तेज करने की सख्त जरूरत है।
मिस्र जल्द ही गाजा के पुनर्निर्माण को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने वाला है।

पाकिस्तान और सऊदी अरब की बातचीत

पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान से फोन पर बात की।
इशाक डार ने कहा कि:

“रफाह क्रॉसिंग को सिर्फ बाहर निकलने के लिए खोलना शांति समझौते का उल्लंघन है और इससे मानवीय सहायता प्रभावित होती है।”

दोनों नेताओं ने गाजा तक मदद पहुंचाने और शांति प्रयासों को मजबूत करने पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई।

दो-राज्य समाधान की मांग

संयुक्त बयान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2803 का हवाला देते हुए दो-राज्य समाधान की मांग दोहराई गई। इसके तहत 1967 की सीमाओं पर आधारित एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य बनाने की बात कही गई, जिसमें गाजा, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम शामिल हों।

सोशल मीडिया पर गूंज

यह खबर इसलिए इतनी वायरल हो रही है क्योंकि यह पूरी मुस्लिम दुनिया की एकजुटता दिखाती है।
सोशल मीडिया पर #SaveGaza और #RafahCrossing जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।
इंडोनेशिया जैसे सबसे बड़े मुस्लिम देश से लेकर सऊदी अरब जैसे धार्मिक केंद्र तक, सभी देशों की आवाज एक जैसी सुनाई दे रही है।

आगे क्या?

अब सवाल यही है कि क्या यह विरोध सिर्फ बयानों तक सीमित रहेगा या वास्तविक कदमों में बदलेगा।
ट्रंप शांति प्लान को बिना देरी लागू करने की मांग उठी है, ताकि हालात बिगड़ने से रोके जा सकें।
साथ ही, गाजा में प्रशासनिक जिम्मेदारी फिलिस्तीनी अथॉरिटी को सौंपने की बात भी सामने आई है।

अगर इजरायल अपने रुख पर कायम रहा, तो सीजफायर टूटने का खतरा है और पूरा इलाका एक नए संकट की ओर बढ़ सकता है।

निष्कर्ष

मुस्लिम देशों की इस एकता ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि फिलिस्तीन का मुद्दा सिर्फ अरब दुनिया का नहीं, बल्कि पूरी इस्लामी दुनिया का साझा सरोकार है।
यह मामला राजनीति से आगे बढ़कर मानवाधिकार और न्याय की लड़ाई बन चुका है।
उम्मीद की जा रही है कि यह साझा आवाज शांति और स्थिरता की दिशा में ठोस कदमों में बदलेगी।

-ITN Desk.

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