23 दिसंबर 2025 को मुंबई एयरपोर्ट पर एक ऐसा विवाद सामने आया जिसने लोगों का ध्यान खींच लिया। बीजेपी की माइनॉरिटी लीडर नाजिया इलाही खान ने एयरपोर्ट पर इंडिगो एयरलाइन के स्टाफ पर जोरदार आरोप लगाए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। वीडियो में नाजिया ने कुछ मुस्लिम कर्मचारियों को नाम लेकर निशाना बनाया और उन्हें “मिनी जिहाद” कहकर बुलाया। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर उन्होंने मनमानी नहीं रोकी, तो उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।
वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि नाजिया ने रेहान, मुइनुद्दीन और अब्दुल्ला नाम के कर्मचारियों को सीधे टारगेट किया। उन्होंने इन कर्मचारियों को “उम्माह के जिहादी” कहकर निशाना बनाया। यह पूरी घटना एयरपोर्ट पर मौजूद यात्रियों और स्टाफ के बीच खलबली मचा रही थी।
यह पहली बार नहीं है जब नाजिया इलाही खान किसी विवाद में घिरी हैं। खुद मुस्लिम परिवार से आने वाली नाजिया ने कई मौकों पर धर्म और राजनीति के मिश्रण से विवादित बयान दिए हैं। इस बार उनका यह हमला सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। लोग वीडियो देखकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह बयान समाज में नफरत फैलाने वाला है।
कांग्रेस पार्टी ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और मांग की कि नाजिया को नो फ्लाई लिस्ट में डाला जाए। उनका कहना है कि ऐसे बयानों से समाज में धार्मिक तनाव फैलता है और यह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए गंभीर खतरा है।
इंडिगो एयरलाइन ने फिलहाल इस घटना पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। हालांकि एयरलाइन की ओर से कहा गया है कि कर्मचारी सुरक्षित हैं और कंपनी मामले की जांच कर रही है। इस तरह की घटनाएँ यह दिखाती हैं कि राजनीति में मजहब के मुद्दे को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना कितना खतरनाक हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नाजिया इलाही खान जैसे नेताओं द्वारा किसी धार्मिक समुदाय के खिलाफ बयान देना, समाज में विभाजन और तनाव को बढ़ावा देता है। उनका यह बयान केवल कर्मचारियों पर ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों और धार्मिक समुदायों पर भी असर डाल सकता है।
सोशल मीडिया पर इस घटना ने व्यापक चर्चा छेड़ दी है। लोगों ने हैशटैग के जरिए नाजिया के बयान की निंदा की और यह भी कहा कि ऐसे बयान देश के सांप्रदायिक सौहार्द्र को प्रभावित करते हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि मीडिया को इस घटना को गंभीरता से कवर करना चाहिए और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएँ चुनावों और राजनीतिक रणनीतियों के दौरान और बढ़ सकती हैं। जब नेता किसी धर्म या समुदाय के नाम पर विवादित बयान देते हैं, तो इसका असर सीधे समाज में लोगों की मानसिकता पर पड़ता है। यह एक तरह से चुनावी रोटियां सेंकने की कोशिश भी हो सकती है।
इस घटना से यह सवाल भी उठता है कि एयरलाइन कंपनियों और प्रशासन को ऐसे विवादों से निपटने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि कर्मचारियों की सुरक्षा और उनका मानसिक स्वास्थ्य सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही किसी भी कर्मचारी को धार्मिक या सामाजिक आधार पर टारगेट करना पूरी तरह गलत है और इसके लिए कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
नाजिया इलाही खान ने जिस तरह से अपनी राजनीतिक पहचान और मजहबी दृष्टिकोण को सामने रखा, उसने भारतीय राजनीति में मजहब आधारित विवाद की पुरानी परंपरा को फिर से उजागर कर दिया। यह घटना यह दिखाती है कि राजनीतिक बयान और सोशल मीडिया दोनों ही समाज में गहरी प्रभाव डाल सकते हैं।
इस पूरे मामले में यह भी देखा जा रहा है कि आम नागरिक कैसे प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एयरपोर्ट पर मौजूद यात्री और अन्य स्टाफ ने भी वीडियो रिकॉर्ड किया और इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया। उनके अनुसार, ऐसी घटनाएँ कार्यस्थलों पर तनाव पैदा करती हैं और कर्मचारियों की मानसिक शांति भंग करती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि समाज में नफरत और विभाजन को रोकने के लिए शिक्षा, संवाद और सहिष्णुता को बढ़ावा देना जरूरी है। नेताओं और समाज के प्रभावशाली लोग अपने बयानों के प्रति जिम्मेदार होने चाहिए। राजनीतिक बयानबाजी के दौरान किसी समुदाय को टारगेट करना, केवल राजनीतिक लाभ के लिए नफरत फैलाने जैसा काम है।
इस घटना ने पूरे देश में यह संदेश दिया कि धार्मिक आधार पर किसी भी प्रकार का हमला या भेदभाव स्वीकार्य नहीं है। भारत जैसे बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक देश में सभी समुदायों के लिए समान अधिकार और सम्मान सुनिश्चित करना आवश्यक है।
इस विवाद ने मीडिया और जनता दोनों के लिए चेतावनी का काम किया है। यह दिखाता है कि सोशल मीडिया के युग में किसी भी विवादित बयान का असर तुरंत फैल सकता है। इसलिए नेताओं को अपने शब्दों का सावधानीपूर्वक चयन करना चाहिए और समाज में शांति और सहिष्णुता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।
अंत में, यह घटना यह स्पष्ट करती है कि राजनीति में मजहब और धर्म के मुद्दे को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना कितना खतरनाक हो सकता है। समाज, प्रशासन और मीडिया को मिलकर ऐसे मामलों से निपटने और संतुलन बनाए रखने की जरूरत है, ताकि नागरिक सुरक्षित रहें और समाज में शांति बनी रहे।
by ITN Desk.
