रायसेन, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में कथित गौरक्षकों के हमले में एक मुस्लिम व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि दूसरा व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है और अस्पताल में जिंदगी के लिए जूझ रहा है। यह घटना 5 जून को हुई, जब जुनैद खान और उनके साथी अरमान मवेशियों को ले जा रहे थे। इस घटना ने क्षेत्र में तनाव पैदा कर दिया है और सांप्रदायिक सद्भाव पर सवाल उठाए हैं।
पुलिस के अनुसार, 5 जून की रात को जुनैद खान और अरमान एक वाहन में मवेशी ले जा रहे थे, तभी 10-15 लोगों के एक समूह ने, जो खुद को गौरक्षक बता रहे थे, उनकी गाड़ी को रोका। आरोप है कि इन लोगों ने दोनों पर लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से हमला किया। हमले में जुनैद और अरमान गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों को तत्काल भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जुनैद ने 17 जून की सुबह इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अरमान की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है और वे आईसीयू में वेंटिलेटर पर हैं।
स्थानीय लोगों और पीड़ितों के परिवार का कहना है कि हमलावरों ने दोनों को रातभर बंधक बनाकर बेरहमी से पीटा। परिवार वालों ने आरोप लगाया कि हमला सांप्रदायिक आधार पर किया गया और गौरक्षा के नाम पर हिंसा को अंजाम दिया गया। जुनैद के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं, जो इस घटना से गहरे सदमे में हैं। उन्होंने प्रशासन से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है और कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। रायसेन के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मामले की जांच चल रही है और सभी पहलुओं की गहन पड़ताल की जा रही है। उन्होंने कहा, “हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” हालांकि, स्थानीय समुदाय में आक्रोश बढ़ रहा है और लोग निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
इस घटना ने मध्य प्रदेश में गौरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा को फिर से चर्चा में ला दिया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं राज्य में कानून-व्यवस्था की कमजोरी को दर्शाती हैं। कुछ संगठनों ने इस घटना को सांप्रदायिक हिंसा का रूप देते हुए शांति और भाईचारे की अपील की है।
स्थानीय प्रशासन ने क्षेत्र में तनाव को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है। यह घटना न केवल रायसेन, बल्कि पूरे राज्य में गौरक्षा के नाम पर हिंसा और सांप्रदायिक तनाव के मुद्दे को फिर से उजागर करती है। समाज के सभी वर्गों से संयम बरतने और कानून को हाथ में न लेने की अपील की जा रही है।