बेनीबाद, मुजफ्फरपुर: पिछले कई दिनों से लगातार हो रही मूसलधार बारिश और नेपाल द्वारा छोड़े गए पानी के कारण बागमती नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर को पार कर गया है। नदी की रौद्रता के चलते बेनीबाद और उसके आसपास के गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। खासकर बेनीबाद गांव में स्थिति अत्यंत भयावह हो चुकी है।
सड़कों पर पानी बह रहा है, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है। मुख्य पहुंच पथ पर यातायात पूरी तरह ठप हो चुका है। मदरसा क़ासमिया, स्थानीय सरकारी स्कूलों और क़ब्रिस्तानों के प्रांगण में पानी भर चुका है। स्कूलों को बंद कर बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है।

गांव के अधिकांश घरों में पानी घुसने से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। खाने-पीने की वस्तुओं की भारी किल्लत हो रही है। आवागमन बाधित होने के कारण आवश्यक वस्तुओं की खरीद-बिक्री भी संभव नहीं हो पा रही है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस राहत पहल नहीं की गई है। न तो राहत सामग्री उपलब्ध कराई गई है और न ही सरकारी नावों की व्यवस्था की गई है। स्थिति यह है कि सिर्फ स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की पहल पर ही कुछ हद तक राहत मिल पा रही है।
मुजफ्फरपुर-दरभंगा नेशनल हाईवे संख्या 57 (वर्तमान में 27) के बिल्कुल निकट बसे इस गांव की आबादी लगभग 5,000 है। यहां तीन सरकारी स्कूल, तीन आंगनबाड़ी केंद्र, तीन मस्जिदें, तीन कब्रिस्तान, एक मदरसा, एक थाना, खादी ग्रामोद्योग केंद्र और एक बाढ़ नियंत्रण कार्यालय स्थित हैं। इन सब सुविधाओं के बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता आश्चर्यजनक है।
हालांकि, यह क्षेत्र पहले भी बाढ़ की चपेट में आता रहा है, लेकिन इस बार की स्थिति कहीं अधिक भयावह है। लोगों ने इस बार बाढ़ पूर्व तैयारियां नहीं की थीं, क्योंकि अक्टूबर महीने में आमतौर पर बाढ़ की आशंका नहीं रहती।
स्थानीय पीडब्ल्यूडी की पुरानी सड़क वर्षों से जर्जर हालत में है। उसे जोड़ने वाला पुल भी अब अस्तित्व में नहीं है। यह पुल गांव के एक सिरे को दूसरे सिरे से जोड़ता था और ईदगाह जाने का भी यही मुख्य मार्ग था। इस मुद्दे को कई बार प्रशासन के समक्ष उठाया गया, लेकिन ढिलाई के कारण अब तक इसका पुनर्निर्माण नहीं हो पाया।
स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। अगर जल्द ही राहत और बचाव कार्य शुरू नहीं हुए तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं। इसी बीच चुनावों की तिथियां भी घोषित हो चुकी हैं। प्रशासन की निष्क्रियता और सरकार की अनदेखी से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है, जो आने वाले चुनाव परिणामों पर असर डाल सकता है।
रिपोर्ट: ग़ज़नफर इकबाल.