औरंगाबाद (बिहार): औरंगाबाद शहरवासी लंबे समय से मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से त्रस्त हैं, लेकिन नगर परिषद इस गंभीर समस्या के प्रति उदासीन बनी हुई है। यह कोई नई समस्या नहीं है; सालों से शहर की यही स्थिति बनी हुई है।
शहर में रहने वाले लोग दिनभर कामकाज में व्यस्त रहते हैं — चाहे वे सरकारी नौकरी करते हों या निजी क्षेत्र में। परंतु जब रात में वे अपने घर लौटकर आराम करना चाहते हैं, तो मच्छरों का आतंक उन्हें चैन से सोने नहीं देता। नगर परिषद क्षेत्र में न तो नियमित रूप से डी.डी.टी. का छिड़काव होता है, न ही धुएं की मशीनें चलाई जाती हैं। यहां तक कि गलियों की सफाई तक नियमित रूप से नहीं होती, जिससे गंदगी का अंबार लगा रहता है।
स्वाभाविक है कि जहां गंदगी होगी, वहां मच्छर पनपेंगे ही। यही वजह है कि नगर परिषद क्षेत्र में स्थिति जस की तस बनी रहती है। स्थानीय लोग भी कहते हैं कि औरंगाबाद शहर की जैसी बदतर स्थिति उन्होंने कहीं और नहीं देखी।
गौरतलब है कि जब किसी वी.आई.पी. का आगमन होता है, तब नगर परिषद केवल दिखावे के लिए मुख्य बाजार में धुएं की मशीनें चलवा देती है और पानी का छिड़काव करवा देती है, ताकि ऐसा लगे कि परिषद सक्रिय है। लेकिन आम दिनों में शहरवासी मच्छरों और गंदगी से जूझते रहते हैं, जबकि नगर परिषद मस्त बनी रहती है।
रिपोर्ट: अजय कुमार पाण्डेय.
