लखनऊ की अदालत ने 23 दिसंबर 2025 को एक ऐसा मामला सुना, जिसने राजनीति और समाज में तहलका मचा दिया। यह मामला है पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद के खिलाफ। उन पर आरोप है कि उन्होंने डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट के जरिए सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल किया। अदालत में पेश चार्जशीट के मुताबिक, ट्रस्ट ने 71.50 लाख रुपये के सरकारी फंड को विकलांगों के लिए दिए जाने के बजाय अपने फायदे और व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल किया।
इस मामले की शुरुआत लगभग 2012 से हुई थी, जब यूपीए सरकार में सलमान खुर्शीद मंत्री थे। ट्रस्ट उस समय से सरकारी मदद के लिए सक्रिय था। ट्रस्ट का काम था विकलांग लोगों को आर्टिफिशियल लिंब प्रदान करना। लेकिन जांच में सामने आया कि इस फंड का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं हुआ। ईडी (एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट) ने कहा कि फंड को ट्रस्ट और व्यक्तिगत लाभ के लिए लगाया गया, जबकि इसका असली मकसद समाज की सेवा करना था।
लखनऊ अदालत में चार्जशीट दाखिल होने के बाद मामला सुर्खियों में आ गया। आरोपियों में लुईस खुर्शीद के अलावा ट्रस्ट के सेक्रेटरी मोहम्मद अथार और अन्य लोग भी शामिल हैं। ईडी ने 17 एफआईआर की जांच की, और ट्रस्ट के कई संपत्तियों को जब्त किया। फिलहाल, लुईस और सलमान खुर्शीद ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि उन्होंने कोई गलती नहीं की।
इस केस के अनुसार, ट्रस्ट पर फर्जी साइन और सील इस्तेमाल करने का भी आरोप है। ईडी ने ट्रस्ट से जुड़ी संपत्ति जब्त करते हुए 45.92 लाख रुपये की राशि अपने कब्जे में ली। सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो गई है। कुछ लोग इसे कांग्रेस की करप्शन की मिसाल बता रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं।
यह मामला इसलिए भी ध्यान खींच रहा है क्योंकि सलमान खुर्शीद सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक लेखक और सार्वजनिक व्यक्तित्व भी हैं। उनकी किताबें और विचार लोगों के बीच लोकप्रिय हैं। अब उनकी पत्नी का नाम इन मामलों में आने से राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज हो गई है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि सत्ता और राजनीति के साथ जवाबदेही भी आती है। किसी भी राजनीतिक या समाजिक पद पर रहते हुए अगर सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल होता है, तो यह समाज के लिए चिंता का विषय बन जाता है। यह मामला हमें यही याद दिलाता है कि केवल पद और प्रतिष्ठा ही पर्याप्त नहीं, बल्कि ईमानदारी और जवाबदेही भी जरूरी है।
ईडी और पुलिस की जांच अभी चल रही है। अदालत में सुनवाई लंबी प्रक्रिया का हिस्सा है। इसके फैसले से न केवल लुईस और सलमान खुर्शीद का भविष्य प्रभावित होगा, बल्कि राजनीतिक माहौल पर भी असर पड़ सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकारी फंड का सही और पारदर्शी उपयोग कितना महत्वपूर्ण है। यदि ट्रस्ट या कोई भी संस्था फंड का दुरुपयोग करती है, तो उसकी जवाबदेही तय होना चाहिए। ऐसे मामलों में समय पर जांच और उचित कार्रवाई समाज में विश्वास बनाए रखने के लिए जरूरी है।
हालांकि मामला विवादास्पद है, लेकिन एक बात साफ है कि जनता इस मामले को नजरअंदाज नहीं कर रही। सोशल मीडिया और समाचार चैनल इस घटना पर लगातार चर्चा कर रहे हैं। लोगों की राय अलग-अलग है। कुछ इसे राजनीतिक चाल कहते हैं, कुछ इसे वास्तविक करप्शन का उदाहरण।
समापन में कहा जा सकता है कि यह मामला केवल एक ट्रस्ट और एक परिवार का नहीं है। यह पूरे देश में सरकारी फंड, राजनीतिक जवाबदेही और कानून के शासन की परीक्षा है। न्यायालय का फैसला आने वाला है और वही तय करेगा कि इस पूरे मामले में क्या सही और क्या गलत था।
निष्कर्ष:
सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद पर मनी लॉन्ड्रिंग और सरकारी फंड के दुरुपयोग का आरोप गंभीर है। इस केस से यह सीख मिलती है कि सत्ता के साथ जिम्मेदारी और पारदर्शिता जरूरी है। चाहे राजनीतिक माहौल कुछ भी हो, कानून सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।
by ITN Desk.
