मंत्रियों और साथियों को फ्री सुविधा और लोन माफी तो जनता को क्या
फ्री में मंत्रियों को सुविधाएं व किसी कम्पनी को मुफ्त और सस्ती सुविधा या लोन माफी तो जनता को क्या : केजरीवाल मुख्यमंत्री दिल्ली
दिल्ली सीएम केजरीवाल ने कहा कि जनता को मुफ़्त सुविधाएँ देने से आर्थिक संकट नहीं आयेगा. “दोस्तों” को लाखों करोड़ों रुपए का फ्री फ़ायदा देने से आर्थिक संकट आएगा. उन्होंने आगे कहा कि चुनाव से पहले घोषणाओं पर रोक? क्यों? घोषणाओं से आर्थिक संकट कैसे आयेगा? इनका निशाना कही और है. घोषणाओं पर रोक नहीं होनी चाहिए. सरकारी बजट के एक हिस्से से ज़्यादा फ्री नहीं देने पर विचार हो सकता है. “फ्री” में मंत्रियों को सुविधाएँ एवं किसी कम्पनी को मुफ़्त / सस्ती सुविधा या लोन माफ़ी भी शामिल हो.
क्या हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा फ्री मिलनी चाहिए, हर भारतीय को अच्छा इलाज फ्री मिलना चाहिए या बैंक लूटने वालों के लोन माफ़ होने चाहिए - देश को इस पर विचार करना चाहिए
दिल्ली सीएम केजरीवाल ने बुधवार को जनता को मुफ्त सुविधाएं देने की वकालत की. उन्होंने कहा कि जनता को मुफ्त सुविधाएं देने से आर्थिक संकट नहीं आएगा. उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दोस्तों को लाखों करोड़ों रुपये का फ्री फायदा देने से आर्थिक संकट आएगा.
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त देने की परंपरा से आर्थिक समस्याएं आएंगी.
दिल्ली के सीएम ने पूछा कि चुनाव से पहले घोषणाओं पर रोक क्यों? उन्होंने कहा कि इन घोषणाओं से आर्थिक संकट कैसे आयेगा? इसके बाद उन्होंने कहा कि इनका (केंद्र सरकार) निशाना कही और है. उन्होंने कहा कि घोषणाओं पर रोक नहीं होनी चाहिए. सरकारी बजट के एक हिस्से से ज्यादा फ्री नहीं देने पर विचार हो सकता है. फ्री में मंत्रियों को सुविधाएं व किसी कम्पनी को मुफ्त और सस्ती सुविधा या लोन माफी भी शामिल हो.
इसके बाद उन्होंने सवाल किया कि क्या हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा फ्री में नहीं मिलनी चाहिए? क्या हर भारतीय को अच्छा इलाज फ्री में नहीं मिलना चाहिए या फिर बैंक लूटने वालों के लोन माफ कर देने चाहिए. उन्होंने कहा कि देश को इस पर विचार करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश भर में चुनाव से पहले किए जाने वाली फ्री योजनाओं के वादे के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने रेवड़ी कल्चर पर सख्ती दिखाते हुए केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और याचिका के सभी पक्षों से एक ऐसी संस्था के गठन पर सुझाव मांगा है, जो चुनाव से पहले रेवड़ी कल्चर मामले पर विचार कर हल निकाले.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील विकास सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा कि ये फ्री योजनाएं देश, राज्य और जनता पर बोझ बढ़ाता है. इस पर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से तो सरकार भी इस दलील से सहमत है. इससे वोटर की अपनी राय डगमगाती है.ऐसी प्रवृत्ति से हम आर्थिक विनाश की ओर बढ़ रहे हैं.
विकास सिंह ने कहा कि राजनीतिक दलों को फ्री बी के लिए पैसा कहां से मिलता है? सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को एक बार समीक्षा करने दिया जाए और सोमवार को मामले पर सुनवाई की जाए. वहीं, कोर्ट ने सभी पक्षों को 7 दिन में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. इस मामले में 11 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.
सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता के वकील ने पूछा कि आखिर किसकी जेब से यह मुफ्त का सामान दिलाया जाता है?. इस पर CJI एनवी रमणा ने कहा कि यह तो हम सबकी जेब से जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्री बी कल्चर से निपटने के लिए एक निकाय बनाने की जरूरत है. इसमें केंद्र, विपक्षी दल, चुनाव आयोग, नीति आयोग, आरबीआई और अन्य हित धारकों को शामिल किया जाए. कोर्ट ने कहा कि इसमें फ्री बी पाने वाले और इसका विरोध करने वाले भी शामिल हों.
Source; inshorts