क्या आप जानते हैं इस्लाम में ईमान की 70 से अधिक शाखाएँ हैं.
पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने ईमान की 70 शाखाओं का उल्लेख किया है. यह शाखाएँ केवल विश्वास तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये हर एक व्यक्ति के आचार-व्यवहार, नैतिकता, और अच्छाई के कार्यों का हिस्सा भी हैं.
इस्लाम में ईमान की 70 से अधिक शाखाएँ हैं जो एक मुसलमान के विश्वास और आस्थाओं को विभिन्न पहलुओं से दर्शाती हैं. इन शाखाओं को कुछ हदीसों में वर्णित किया गया है, जिनमें पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने ईमान की 70 शाखाओं का उल्लेख किया है. यह शाखाएँ केवल विश्वास तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये हर एक व्यक्ति के आचार-व्यवहार, नैतिकता, और अच्छाई के कार्यों का हिस्सा भी हैं.
यहाँ हम ईमान की 70 शाखाओं का विस्तृत विवरण देंगे. इनमें से कुछ शाखाएँ क़ुरआन और हदीस में सीधे तौर पर वर्णित हैं, जबकि कुछ अन्य परिभाषाएँ और प्रवृत्तियाँ हैं जो मुसलमानों को सही जीवन जीने की दिशा दिखाती हैं.
- अल्लाह पर विश्वास (तौहीद)
यह विश्वास कि अल्लाह के अलावा कोई पूजा के योग्य नहीं है, और वह सर्वशक्तिमान है.
- फरिश्तों पर विश्वास (मलाइकाह)
यह विश्वास कि अल्लाह ने फरिश्तों को बनाया है जो उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं.
- अल्लाह की किताबों पर विश्वास (किताब)
यह विश्वास कि अल्लाह ने अपनी किताबें जैसे तौरा, इंजील, ज़बूर, और कुरआन को भेजा है.
नबियों पर विश्वास (रुसूल)
- यह विश्वास कि अल्लाह ने इंसानियत की राह दिखाने के लिए अनेक नबियों को भेजा, जिनमें अंतिम नबी मुहम्मद ﷺ हैं.
- क़ियामत के दिन पर विश्वास (यौमुल क़ियामाह)
यह विश्वास कि एक दिन हर व्यक्ति को उसके कर्मों के लिए उठाया जाएगा और उसका हिसाब लिया जाएगा.
- क़दर (किस्मत) पर विश्वास
यह विश्वास कि अल्लाह ने पहले से सभी घटनाओं का निर्धारण किया है, लेकिन इंसान को अपनी इच्छानुसार कार्य करने का अधिकार है.
- शहादत (विश्वास का घोषणापत्र)
"लाहिलाह इल्लाल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह" का घोषणापत्र करना.
- नमाज़ (सालाह) पढ़ना
पांच वक्त की नमाज़ अदा करना.
- जकात (दान) देना
गरीबों और जरूरतमंदों को धन का एक हिस्सा देना.
- रमजान के महीने में रोज़ा (उपवासी) रखना
रमजान के महीने में रोज़ा रखना, जो एक फर्ज़ इबादत है.
- हज (काबा का तीर्थ यात्रा) करना
शारीरिक और वित्तीय रूप से सक्षम मुसलमानों के लिए हज यात्रा करना एक अहम इबादत है.
- सच बोलना
सत्य बोलना और ईमानदारी से व्यवहार करना.
- संकोच (हया) रखना
अपने आप को विनम्र रखना और घमंड से बचना.
- पीठ पीछे बुराई (ग़ीबत) से बचना
दूसरों की पीठ पीछे बुराई करने से बचना.
- सड़क से हानिकारक वस्तु को हटाना
सड़क पर से हानिकारक चीजों को हटाना, ताकि किसी को तकलीफ न हो.
- रिश्तेदारों से अच्छे संबंध रखना (सिलत अर-रहम)
अपने रिश्तेदारों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना और उनकी मदद करना.
- माता-पिता का सम्मान करना
माता-पिता के प्रति आदर और उनका ख्याल रखना.
- पैगंबर मुहम्मद ﷺ से प्रेम करना
पैगंबर मुहम्मद ﷺ से प्रेम और आदर करना.
- पापों से तौबा करना
अपने पापों से पश्चाताप करना और अल्लाह से माफी मांगना.
- अल्लाह पर भरोसा (तवक्कुल)
अल्लाह पर पूरा विश्वास रखना, साथ ही कोशिशें करना.
- निष्ठा (इखलास)
सभी कार्यों को सिर्फ अल्लाह के लिए करना.
- धैर्य (सब्र) रखना
कष्टों और कठिनाइयों में धैर्य रखना.
- आभार (शुक्र) करना
अल्लाह के आशीर्वाद का आभार व्यक्त करना और उसका सही उपयोग करना.
- इंसाफ (न्याय) करना
हर काम में न्यायपूर्ण रहना और किसी के साथ अत्याचार नहीं करना.
- माफ़ करना
दूसरों की गलतियों को माफ़ करना और उन्हें दूसरा मौका देना.
- अच्छाई का प्रचार (अम्र बिल मआरूफ) करना
अच्छाई और धर्म का प्रचार करना.
- बुराई से रोकना (नाहि अनिल मंक़र)
बुराई और पाप से बचने के लिए लोगों को सचेत करना.
- सलाम का आदान-प्रदान करना
एक दूसरे को शांति का संदेश देना, "अस्सलामु अलैकुम" कहना.
- ज्ञान प्राप्त करना
धार्मिक और दुनियावी ज्ञान प्राप्त करना.
- विनम्रता दिखाना
विनम्रता और सरलता दिखाना.
- ईर्ष्या (हसद) से बचना
दूसरों के अच्छे कामों पर ईर्ष्या नहीं करना.
- उम्मत से प्रेम करना
मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए काम करना.
- यतीमों का ख्याल रखना
यतीमों की मदद करना और उनका ख्याल रखना.
- झूठ से बचना
झूठ बोलने से बचना और सत्य बोलना.
- पड़ोसियों का अधिकार निभाना
पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना और उनका सम्मान करना.
- जानवरों के साथ दया दिखाना
जानवरों के साथ भी दयालुता से पेश आना.
- गरीबों की मदद करना
गरीबों को मदद देना और उनके अधिकारों की रक्षा करना.
- गुस्से को नियंत्रित करना
गुस्से को काबू में रखना और शांति बनाए रखना.
- विश्वसनीयता (अमाना)
वादों को निभाना और विश्वास को बनाए रखना.
- स्वयं से संघर्ष (जिहाद अल-नफ्स) करना
अपनी बुरी इच्छाओं और आदतों से लड़ना और अच्छाई की दिशा में बढ़ना.
- कुरआन का पाठ करना और उसका समझना
नियमित रूप से कुरआन पढ़ना और उसका अर्थ समझना.
- अल्लाह का ज़िक्र करना (धिक्र)
अल्लाह की याद में रहना, मसलन, "सबाहानअल्लाह", "अलहम्दुलिल्लाह" कहना.
- अच्छे आचार-व्यवहार रखना
अपने आचार-व्यवहार में अच्छाई और नेकनीयत रखना.
- पापों से बचना
हर प्रकार के पापों से बचने का प्रयास करना.
- धन को सही जगह पर खर्च करना
धन का इस्तेमाल अच्छे कार्यों के लिए करना और इसे व्यर्थ खर्च करने से बचना.
- पुनर्विचार करना और माफी मांगना
आत्ममंथन करना और जो गलतियाँ की हों, उनके लिए माफी मांगना.
- कभी न हारना
जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए कभी हार नहीं मानना.
- सीमित वचन देना
किसी भी काम के लिए वचन देने से पहले उसकी क्षमता का सही आकलन करना.
- नफ़्स की नियंत्रण की कोशिश
अपने आप को अच्छे कार्यों की ओर अग्रसर करना और बुराई से बचना.
- आस्था को मजबूत करना
अपने ईमान को और अधिक मजबूत और ठोस बनाना.
- धन्यकारी करना
अच्छे कार्यों को मान्यता देना और उनकी सराहना करना.
- ज़िंदगी को सरल और शांति से जीना
शांति और संतोष के साथ जीवन जीना और ज्यादा इच्छाओं से बचना.
- दूसरों से मदद करना
जो भी जरूरतमंद हैं, उनकी मदद करना.
- प्रकृति का सम्मान करना
अल्लाह की बनाई दुनिया की कद्र करना और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करना.
- सभी की मदद करना, विशेषकर कमजोरों की
कमजोरों और वंचितों की मदद करना और उनका ख्याल रखना.
- सच्चे दोस्त बनाना
अच्छे और सच्चे दोस्तों से जुड़ना, जो ईमान और अच्छे कामों में आपकी मदद करें.
- समाज में सुधार लाना
समाज के भीतर अच्छाई और सुधार लाने के लिए काम करना.
- रुपया और संपत्ति का सही उपयोग करना
अपनी संपत्ति का सही जगह पर इस्तेमाल करना और इस्लाम के सिद्धांतों के अनुसार धन को खर्च करना.
- आध्यात्मिक और शारीरिक स्वच्छता
शारीरिक और मानसिक स्वच्छता को बनाए रखना.
- परिवार की जिम्मेदारियों को निभाना
परिवार के सभी सदस्यों के अधिकारों का सम्मान करना और उनकी देखभाल करना.
- स्वास्थ्य का ख्याल रखना
अपने शरीर और स्वास्थ्य की देखभाल करना, क्योंकि यह अल्लाह का दिया हुआ तोहफा है.
- विवाद से बचना
किसी भी तरह के विवाद या झगड़े से दूर रहना और शांति बनाए रखना.
- सभी धर्मों का आदर करना
विभिन्न धर्मों के प्रति सम्मान रखना और आपसी समझदारी को बढ़ावा देना.
- मूल्य और नैतिकता को बढ़ावा देना
नैतिक मूल्यों का पालन करना और समाज में उच्च नैतिक स्तर बनाए रखना.
- भ्रष्टाचार से बचना
किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार और अन्याय से बचना.
- सच्चाई के साथ रहना
सत्य के साथ बने रहना, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो.
- इस्तीगफ़ार (माफी की दुआ) करना
नियमित रूप से अल्लाह से माफी मांगना और अपनी गलतियों से सुधारना.
- दूसरों को अच्छी शिक्षा देना
दूसरों को अच्छे और सही ज्ञान देने का प्रयास करना.
- जवाबदेही का एहसास रखना
अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार होना और अच्छे कार्यों को करना.
- किसी की मदद की उम्मीद न रखना
किसी की मदद की उम्मीद न रखना, बल्कि अपनी मेहनत और अल्लाह पर विश्वास रखना.
यह 70 से अधिक शाखाएँ इस्लाम में ईमान के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं, जो एक मुसलमान को न केवल अपने आस्थाओं का पालन करने के लिए, बल्कि अपने जीवन को सही तरीके से जीने और दूसरों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए मार्गदर्शन करती हैं.
--by Mohammad Ismail.
(Note : This article is intended for informational use only)