अंजीर (fig) के लाभदायक प्रयोग
Medicinal benefits of figs
New Delhi, October 09, 2012: अंजीर का वृक्ष पहाड़ों पर खूब पैदा होता है. जून-जुलाई तथा इसके बाद जनवरी मास में इसमें वर्ष में दो बार फल आते हैं.
अंजीर के गुण :
अंजीर के पके हुए फल को शीतल, मधुर, तृप्तिदायक, क्षय, वात, पित्त एवं कफ को नष्ट करने वाला माना जाता है. यह आमवात नाशक, कुष्ठ, खुजली तथा अन्य त्वचीय रोगों को दूर करने वाला, जलन को शांत करने वाला, व्रणनाशक स्तंभक, सोजहर, तथा रक्तस्राव को रोकने वाला होता है. इसकी छाल कसैली, ठंडी, व्रणनाशक तथा दस्तनिवारक होती है. विटामिन ए तथा सी व कैल्शियम भी इसमें पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं.
अंजीर के बारे में आयुर्वेद क्या कहता है?
आयुर्वेद के अनुसार थोड़ी मात्रा में खाए जाने पर अंजीर पाचक, रूचिकर और हृदय के लिए हितकर होता है परन्तु ज्यादा खा लेने पर दर्द के साथ अतिसार और अफरा हो सकता है. पाचन संस्थान की निर्बलता दूर करने के लिए अंजीर का प्रयोग किया जाता है परन्तु ऐसे में अंजीर का पूरा फल देने के बजाए उसका काढ़ा बनाकर देना चाहिए.
अंजीर के के बहुत से प्रयोग
पेचिश वाले दस्तों के लिए अंजीर का काढ़ा बहुत उपयोगी होता है परन्तु काढ़ा बनाने के लिए उबालने से पहले इन्हें कुछ घंटे तक पानी में डालकर नरम कर लेना चाहिए और फिर तब तक पकाना चाहिए जबकि वे घुल ना जाएं. प्रतिदिन दूध के साथ अंजीर का सेवन करने से कब्ज़ दूर होती है. जिन लोगों को सदैव मलबंध की शिकायत होती है उन्हें अंजीर को अपने दैनिक आहार में शामिल कर लेना चाहिए. इनका प्रयोग नाश्ते में किया जा सकता है. अंजीर का दूध एक अच्छा आंत्रकृमि नाशक होता है. बवासीर के निदान के लिए पांच सूखे अंजीर को पानी में भिगोकर रात को रख दें. सुबह अंजीरों को उसी पानी में मसलकर पी लें.
जिन लोगों को होठ, मुख फटने की शिकायत होती है उनके लिए ताजा या सूखा अंजीर बलदायक सिद्ध होता है. मुख के जख्मों में अंजीर का दूध लगाया जाता है. नियमित रूप से अंजीर पाक का सेवन रक्त की शुद्धि करता है. बादाम तथा पिस्ता के साथ अंजीर का नियमित सेवन करने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है, बुद्धि तथा याददाश्त तेज होती है.
रक्त-पित्तजनित रक्तस्राव में अंजीर का रस शहद मिलाकर प्रयोग से लाभ होता है. नक्सीर में अंजीर लाभदायक माना जाता है. बच्चों का जिगर बढ़ने की शिकायत दूर करने के लिए अंजीर बहुत फ़ायदेमंद है. सिरके में डाले गए अंजीर का नियमित सेवन करने से तिल्ली नहीं बढ़ती. सूखे अंजीर को पानी में भिगोकर सुबह उन्हें मसलकर शहद के साथ एक माह नियमित रूप से सेवन करने से मूत्र में जलन तथा मूत्रावरोध जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं. अंजीर के रस में शहद मिलाकर पीने तथा बाद में दूध में खांड मिलाकर पीने से रक्त प्रदर का निदान हो जाता है.