शिवकुंड की ज़मीन पर अवैध निर्माण और मिट्टी की बिक्री: नबीनगर में इतिहासिक स्थल की सुरक्षा पर सवाल

नबीनगर के महुआव पंचायत में स्थित ऐतिहासिक शिवकुंड की जमीन पर अवैध निर्माण और मिट्टी की बिक्री का मामला सामने आया है. जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने मामले की जांच का आश्वासन दिया था. पढ़ें पूरी खबर.

शिवकुंड की ज़मीन पर अवैध निर्माण और मिट्टी की बिक्री: नबीनगर में इतिहासिक स्थल की सुरक्षा पर सवाल
Illegal construction and sale of soil on Shivkund land

समाज में बढ़ती अवैध गतिविधियाँ और प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

नबीनगर प्रखंड के महुआव पंचायत में स्थित ऐतिहासिक शिवकुंड की ज़मीन पर अवैध निर्माण और गढ़ाई करने के मामले ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है. स्थानीय लोगों द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि इस धार्मिक स्थल पर कुछ असामाजिक तत्वों ने न केवल गलत तरीके से जमीन का अतिक्रमण किया है, बल्कि यहां से मिट्टी की बिक्री भी की जा रही है. इस मामले ने धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं.

शिवकुंड के ऐतिहासिक महत्व को पहुंचा रहे हैं नुकसान

शिवकुंड का स्थल ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह न केवल गांव के निवासियों, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लोग भी इसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से मानते हैं. लेकिन अब यह ज़मीन, जो पहले एक शांतिपूर्ण और धार्मिक स्थल था, अवैध निर्माणों और गढ़ाई के कारण तहस-नहस हो रही है. स्थानीय लोगों के अनुसार, कुछ असामाजिक तत्वों ने बिना किसी अनुमति के यहां गड्ढे खोदकर मिट्टी की बिक्री की है, जिससे न केवल शिवकुंड की पवित्रता को नुकसान पहुंचा है, बल्कि वहां की भौतिक संरचना भी प्रभावित हुई है.

गांव के लोगों का आरोप है कि यह गतिविधियां प्रशासन की मिलीभगत से हो रही हैं. आरोप है कि अधिकारियों ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया और किसी प्रकार की जांच या कार्रवाई नहीं की. इससे गांववासियों में नाराजगी है, क्योंकि वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक स्थल को बचाया जाए और इसका उचित संरक्षण किया जाए.

नबीनगर में पैक्स गोदाम का अधूरा निर्माण भी ध्यान आकर्षित करता है

इस क्षेत्र में पैक्स गोदाम का निर्माण कार्य भी अधूरा पड़ा हुआ है, जो गांववासियों की चिंता का एक और कारण बन चुका है. शिवकुंड की ज़मीन पर ही स्थित इस गोदाम के निर्माण में लापरवाही बरती जा रही है, और इसका कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है. पैक्स गोदाम का अधूरा निर्माण भी स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बन चुका है, क्योंकि यह भी ज़मीन की अवैध रूप से इस्तेमाल की ओर इशारा करता है.

कुछ लोग यह आरोप भी लगा रहे हैं कि इस गोदाम का निर्माण विशेष व्यक्तियों के फायदे के लिए किया जा रहा है, और स्थानीय जनता की जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा है. इस पर भी प्रशासन की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है, क्योंकि इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

प्रेस कांफ्रेंस में जिला पदाधिकारी ने की जांच की बात

इस पूरे मामले को लेकर पत्रकारों ने औरंगाबाद के जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री से सवाल किए थे. 25 सितंबर 2024 को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में संवाददाता ने इस मुद्दे को उठाया था और जिला पदाधिकारी से जवाब माँगा था.

इस पर श्रीकांत शास्त्री ने जवाब देते हुए कहा था, “अगर यह मामला मेरे संज्ञान में आया है, तो मैं इसकी जांच करवाऊंगा. जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.”

उनके इस जवाब से स्थानीय लोगों को थोड़ी उम्मीद बंधी थी कि प्रशासन अब इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करेगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा. हालांकि, अब तक इस मामले में प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे क्षेत्रीय लोग निराश हैं.

स्थानीय लोगों की चिंताएँ और प्रशासन से उम्मीदें

महुआव पंचायत और नबीनगर के अन्य गांवों के लोग अब इस मामले में प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर शीघ्र ही इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं की जाती, तो न केवल शिवकुंड की पवित्रता को खतरा होगा, बल्कि क्षेत्रीय वातावरण और सांस्कृतिक धरोहर को भी गंभीर नुकसान हो सकता है.

स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता अब यह मांग कर रहे हैं कि इस मुद्दे पर उच्च स्तरीय जांच की जाए और जो लोग इस कृत्य के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें कड़ी सजा दी जाए. साथ ही, शिवकुंड और अन्य धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.

निष्कर्ष:

यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर विवाद का कारण बना है, बल्कि इसने प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर किया है. अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस मामले की पूरी तरह से जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें, ताकि न केवल शिवकुंड की पवित्रता को बचाया जा सके, बल्कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके.

यह स्थिति नबीनगर और महुआव पंचायत के इतिहास, संस्कृति और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, और अब यह देखने योग्य होगा कि प्रशासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है.

 --अजय कुमार पाण्डेय.