प्राकृतिक वातावरण में व्यायाम से जीवन बनेगा रोगों से मुक्त

प्राकृतिक वातावरण में व्यायाम से जीवन बनेगा रोगों से मुक्त

सुदेश गोगिया:

अगर आपको व्यायाम करने के लिए जिम जाने का समय नहीं मिल रहा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं। जरा ब्रह्ममुर्हुत के वक़्त उठ बैठिए, उसके लिए रात टीवी सीरियल इत्यादि से मन हटाइये। अच्छा स्वास्थ्य जीवन में सुखों की कुंजी है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रकृति का अहम् योगदान है। 

जीवन में 'तनाव', 'स्ट्रेस', 'टेंशन' दूर करना हो तो कुदरत के मध्य आ जाइये। शोध के अनुसार प्रदूषण रहित खुली हवा, हरियाली, पौधों वृक्षों के बीच कुदरत के संग हरे-भरे वातावरण के आस-पास रहना और व्यायाम करना उच्च क्षमता की जीवन शैली प्रदान कर बी.पी., दमा, एलर्जी, डायबिटीज व हृदय संबंधी रोगों के खतरों को भी घटाता है। 

यह व्यायाम, योग, प्राणायाम, तालियां लगाना, खुल कर हँसना जिम में 20 घंटे बिताने से भी बेहतर है। लिवर पूल जॉन्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ता सैम स्कॉट के अनुसार ओपन पार्क में जहां कुदरत अपने यौवन पर स्थिर है, व्यायाम प्राणायाम करने से समय एवं पैसे की बचत होती है। जिम में प्रायः दरवाजे, खिड़की, रोशनदान बंद होते हैं जहां प्रदूषित हवा की कोई निकासी नहीं होती। 

धूल के कण, पर्दों, पेल्मेट्स, खिड़कियों, रोशनदानों, पंखों की पंखुड़ियों एवं वहां के उपकरण में बैक्टीरिया सहित जमा रहते हैं। बाहरी रूप में एयर कंडीशनर की वजह से सब अच्छा लगता है। जबकि पार्क में शुद्ध हवा ऑक्सीजन प्राणशक्ति के रूप में मन शरीर के एक-एक सेल को ऊर्जा से भरती रहती है। शुद्ध हवा में व्यायाम में उम्र की कोई सीमा नहीं। 

शरीर-मन प्रसन्नचित रहता है। मनुष्य सारा दिन प्रफुल्लित रहता है। आप दिन भर ऊर्जा से भरे-भरे हँसमुख सृजनशील एवं सकारात्मक बने रहते हैं। अनुभव की बात है सकिय लोग पहले के मुकाबले अधिक सक्रिय हो जाते हैं।