नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन में पर्यावरणीय लोक सुनवाई आयोजित

नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (एन.टी.पी.सी.) अंकोरहा में पर्यावरणीय लोक सुनवाई का आयोजन हुआ, जिसमें औरंगाबाद के जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री, सदर अनुमंडल पदाधिकारी संतन कुमार सिंह, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.

नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन में पर्यावरणीय लोक सुनवाई आयोजित
Environmental public hearing held at Nabinagar Super Thermal Power Station

एन.टी.पी.सी. अंकोरहा में प्रस्तावित तीन नई इकाइयों पर चर्चा, अधिकारियों ने किया जनप्रतिनिधियों और जनता के सवालों का समाधान

औरंगाबाद (बिहार): 13 नवंबर 2024 को नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (एन.टी.पी.सी.) अंकोरहा में पर्यावरणीय लोक सुनवाई का आयोजन हुआ, जिसमें औरंगाबाद के जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री, सदर अनुमंडल पदाधिकारी संतन कुमार सिंह, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. यह सुनवाई विशेष रूप से एन.टी.पी.सी. द्वारा प्रस्तावित तीन नई विद्युत उत्पादन इकाइयों के निर्माण के संदर्भ में आयोजित की गई थी, ताकि पर्यावरणीय पहलुओं और संभावित प्रभावों के बारे में स्थानीय जनता से राय ली जा सके.

इस कार्यक्रम का उद्देश्य पावर प्लांट के विस्तार के संबंध में क्षेत्रीय समुदाय की सहमति प्राप्त करना था, जिसमें विशेष रूप से प्रभावित गांवों के प्रतिनिधि और स्थानीय लोग भागीदार बने. जनहित में हुई इस सुनवाई ने परियोजना की पारदर्शिता और स्थानीय विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.

नबीनगर पावर प्लांट का महत्व

कार्यक्रम की शुरुआत में जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा कि नबीनगर पावर प्लांट भविष्य में देश का सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट बनने की दिशा में बढ़ रहा है. उन्होंने बताया कि यह पावर स्टेशन न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत बनेगा. "नबीनगर पावर प्लांट की आगामी योजनाओं से बिहार की बिजली आपूर्ति में एक नया आयाम जुड़ेगा और यह परियोजना राज्य और राष्ट्र के विकास में अहम योगदान देगी," उन्होंने अपने संबोधन में कहा.

नवीन इकाइयों के निर्माण की योजना

इस समय मौजूद अधिकारियों ने बताया कि स्टेज-02 के तहत नबीनगर में तीन नई इकाइयों का निर्माण किया जाएगा, जिनकी कुल क्षमता 800 मेगावाट होगी. इन इकाइयों का निर्माण पूरे पावर स्टेशन की क्षमता को 4,380 मेगावाट तक बढ़ा देगा, जिससे यह न केवल बिहार, बल्कि भारत के सबसे बड़े पावर प्लांटों में से एक बन जाएगा. वर्तमान में, नबीनगर पावर प्लांट में तीन इकाइयां पहले से ही स्थापित हैं, जिनकी कुल क्षमता 2400 मेगावाट है.

स्थानीय समुदाय की भागीदारी और चिंता

इस पर्यावरणीय लोक सुनवाई में परियोजना से प्रभावित गांवों के लोग भी शामिल हुए और अपनी राय साझा की. कई ग्रामीणों ने पावर स्टेशन के विस्तार को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की, खासकर पर्यावरणीय प्रभावों के संदर्भ में. हालांकि, अधिकारियों ने इन चिंताओं का समाधान करते हुए बताया कि पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे और प्लांट के प्रभावों को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे.

इस दौरान पावर प्लांट के अधिकारियों ने इन नई इकाइयों के निर्माण से जुड़े पर्यावरणीय प्रबंधन, जल प्रबंधन, और उत्सर्जन नियंत्रण पर विस्तृत जानकारी प्रदान की. उन्होंने यह भी बताया कि पर्यावरणीय मानकों का पालन करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे जल, वायु, और मृदा प्रदूषण को न्यूनतम किया जा सके.

सार्वजनिक सुनवाई और वातावरणीय सुरक्षा

एन.टी.पी.सी. के परियोजना प्रमुख चंदन कुमार सामंता ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक सुनवाई का उद्देश्य केवल कानूनी प्रक्रिया को पूरा करना नहीं, बल्कि स्थानीय समुदाय से खुलकर बातचीत करना था. "हम चाहते हैं कि लोगों को हमारी योजनाओं और उनके संभावित प्रभावों के बारे में पूरी जानकारी हो, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी या संकोच न रहे. यह परियोजना न केवल ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास में भी योगदान करेगी," उन्होंने कहा.

इस पावर स्टेशन से संबंधित अधिकारियों ने यह भी बताया कि पर्यावरणीय अनुमति प्राप्त करने के बाद, सभी प्रोजेक्ट्स पर स्थानीय निगरानी समितियां काम करेंगी, जो यह सुनिश्चित करेंगी कि परियोजना के संचालन से कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े.

जिलाधिकारी की भूमिका

जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने इस सुनवाई को बहुत महत्वपूर्ण बताया और इसे स्थानीय समुदाय के लिए एक सशक्त मंच बताया, जहां वे अपनी राय रख सकते थे. उन्होंने कहा कि नबीनगर पावर स्टेशन के विस्तार से न केवल बिजली उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा.

इसके अलावा, उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि पावर प्लांट के विस्तार के दौरान किसानों, जमीन मालिकों, और अन्य प्रभावित लोगों के लिए उचित मुआवजा और पुनर्वास योजना बनाई जाएगी.

प्रदूषण नियंत्रण और सुरक्षा उपाय

इस आयोजन में बिहार राज्य प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी मनोरंजन सिंह ने भी भाग लिया और प्रदूषण नियंत्रण उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा, "हमारे बोर्ड का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पावर प्लांट पर्यावरणीय मानकों का पूरी तरह से पालन करे. हम लगातार निगरानी रखते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि उत्सर्जन सीमा के भीतर हो. साथ ही, जल स्रोतों का सही तरीके से उपयोग किया जाए."

साथ ही, उन्होंने बताया कि पावर प्लांट से निकलने वाली राख और गैसों के नियंत्रण के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे, जिससे आसपास के पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े. उन्होंने विश्वास दिलाया कि परियोजना के सभी पहलुओं में पर्यावरणीय सुरक्षा प्राथमिकता होगी.

स्थानीय रोजगार और समग्र विकास

इस अवसर पर परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने यह भी कहा कि नए पावर प्लांट के निर्माण से आसपास के क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. "हमने स्थानीय निवासियों को रोजगार देने के लिए एक योजना तैयार की है, जिसमें निर्माण कार्यों से लेकर भविष्य में पावर स्टेशन के संचालन तक स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता दी जाएगी," परियोजना प्रमुख चंदन कुमार सामंता ने कहा.

उन्होंने यह भी बताया कि परियोजना के पूरा होने के बाद आसपास के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास होगा, जिसमें सड़कें, जल आपूर्ति, और अन्य सुविधाओं में सुधार किया जाएगा.

अधिकारियों का संवाद और स्थानीय समुदाय से सहयोग की अपील

इस कार्यक्रम में अधिकारियों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे परियोजना के लाभों को समझें और इसके समर्थन में सहयोग करें. उन्होंने इस विस्तार को क्षेत्र के समग्र विकास और समृद्धि की दिशा में एक अहम कदम बताया.

समाप्ति

नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन का विस्तार न केवल बिहार के ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ी छलांग साबित होगा, बल्कि यह पूरे देश की बिजली आपूर्ति की क्षमता को भी मजबूत करेगा. इस परियोजना से जुड़े सभी अधिकारी और स्थानीय समुदाय के सदस्य इस नई पहल को लेकर उत्साहित हैं और एक बेहतर, स्वच्छ, और सशक्त भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

-- अजय कुमार पाण्डेय