इतिहास से सबक सीखें
यह तस्वीर मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के दरबार की है, जिसमें औरंगज़ेब सिंहासन पर विराजमान हैं, और अंग्रेज उनके सामने घुटने बल गिरकर माफी मांग रहे हैं. ईस्ट इंडिया कंपनी ने औरंगज़ेब आलमगीर से भी जंग लड़ने की कोशिश की थी लेकिन इसमें बुरी हार का सामना करने के बाद अंग्रेज़ों के दूतों को हाथ बांधकर और दरबार के फ़र्श पर लेटकर मुग़ल बादशाह से माफ़ी मांगने पर मजबूर होना पड़ा था - लेकिन उसके बावजूद मुग़लों को लुटेरा कहा जाता है.
एक और ऐतिहासिक तथ्य यह है कि एक शख्स ने अंग्रेजों से माफी मांगी और उस शख्स का नाम 'वीर' सावरकर रखा गया. और आज वही लोग देशभक्ती के ठेकेदार बने बैठे हैं, और जिन्होंने अंग्रेजों को घुटनों के बल चलवाया उन्हें देशद्रोही साबित करने की जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं.
इन सब घटनाओं से इतिहास बार-बार हमें यही समझाता है कि चंद लोगों की मक्कारी के कारण पूरे देश को नुकसान उठाना पड़ता है. आज देश को 75 साल हो गए मगर तरक्की ईमानदारी की नही हुई सिर्फ बेईमानी की हुई, मक्कारी की हुई, भ्रष्टाचार की हुई. यह याद रखना होगा कि मुसलमान अगर कोई है तो उससे ईमानदारी, बफादारी और अमन की उम्मीद की जा सकती है. बशर्ते मुसलमान हो, मुनाफिक मुसलमान नहीं.
-इसमाइल सईद