“आंखों की हिचकियां, अनुभव और अनुभूतियों” और “भारत की 75 वीरांगनाए ” पुस्तक का सफल लोकार्पण

डा. पुष्पिता अवस्थी जी का कहना है कि हिंदी हमारी मातृभाषा ही नही गर्व की भाषा भी है इसलिए भाषा की समृद्धि में ही हमारी समृद्धि है

“आंखों की हिचकियां, अनुभव और अनुभूतियों” और “भारत की 75 वीरांगनाए ” पुस्तक का सफल लोकार्पण
launching of the book 75 Heroines of India

हिंदी हमारी मातृभाषा ही नही गर्व की भाषा भी है इसलिए भाषा की समृद्धि में ही हमारी समृद्धि: डा. पुष्पिता अवस्थी

नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में डायमंड बुक्स द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में प्रख्यात लेखिका रिंकल शर्मा की पुस्तक “भारत की 75 वीरांगनाएं” तथा अटल फाउंडेशन की संयोजक डा. पुष्पिता अवस्थी की पुस्तकों “आंखों की हिचकियां, अनुभव और अनुभूतियों” का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में डायमंड बुक्स के उप चेयरमैन मनीष वर्मा ने सभी अतिथियों का शॉल, स्मृति चिन्ह और पुस्तक देकर स्वागत किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि आलोक यात्री ( वरिष्ठ पत्रकार एवम लेखक) एवम मुख्य अतिथि सुभाष चंदर (वरिष्ठ उपन्यासकार एवम व्यंग्यकार) थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय कवि लक्ष्मी शंकर बाजपई द्वारा की गई। रत्ना सिंह ने अवधि और हिंदी भाषा में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. राजेश कुमार ‘मांझी ‘ द्वारा किया गया।

डा. पुष्पिता अवस्थी जी का कहना है कि हिंदी हमारी मातृभाषा ही नही गर्व की भाषा भी है इसलिए भाषा की समृद्धि में ही हमारी समृद्धि है हम विश्व के किसी भी कोने में रहें लेकिन इसकी शीतलता हमेशा हमारे साथ रहती है हिंदी प्रेमी होना, देश प्रेमी होने जैसा है इसलिए यह प्रेम निरंतर बना रहना चाहिए।

डायमंड बुक्स के चेयरमैन नरेन्द्र वर्मा जी ने उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद किया और कहा कि प्रो. पुष्पिता अवस्थी जी की पुस्तक अनुभव और अनुभूतियाँ, आँखों की हिचकियाँ और अहिंसा स्वर और रिंकल शर्मा की भारत की 75 वीरांगनाएँ पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर उपस्थिति सभी लोगों हृदय से स्वागत करता हूँ। पुष्पिता जी हिंदी की सारथी हैं विश्व में हिंदी की यशस्वी क्रान्तिकारी हैं उनकी साहित्य साधना और उनको हम अपने बीच पाकर धन्य हो गए हैं। उनके लेखन की ओजस्विता हिंदी प्रेमियों के हृदय को आंदोलित करती है। खासकर इनका प्रवासी साहित्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे अनुभवी लेखकों की पुस्तक छापने का अवसर मिलता रहा और आशा करूँगा कि ये यात्रा निरंतर चलती रहेगी।

इसके अलावा कार्यक्रम में प्रख्यात लेखक बाल स्वरूप राही, अनिमेष शर्मा, विक्रम विनय सिंह, सुरेन्द्र शर्मा, शकील अहमद सैफ, रेणु अंशुल, रविन्द्र सिंह, एस के सिंघल, नरेश सांडिल्य, टेकचंद ‘ संस्कारी ‘, अमित शर्मा एवम अर्जुन, इत्यादि उपस्थित थे।