आशूरा का दिन

आशूरा का दिन

आशूरा का दिन

 मुहर्रम के पूरे महीने का सम्मान किया जाता है, लेकिन मुहर्रम की 10 वीं का महत्वपूर्ण महत्व है क्योंकि इस दिन होने वाली कई महत्वपूर्ण घटनाएं हैं।

 उनमें से एक यह है कि हमारे प्यारे पैगंबर ﷺ के परिवार के कई सदस्य कर्बला में शहीद हुए थे, जिसमें उनके नवासे इमाम हुसैन (रदी अल्लाहु अन्हु वा अलैहिस्सलाम) भी शामिल थे।

 इस दिन (10वें) और एक दिन पहले (9वें) या अगले दिन (11वें) रोज़ा रखना सुन्नत है।  हज़रत अबू क़तादा (रदि अल्लाहु अन्हु) ने फरमाया कि प्यारे पैगंबर ‎ﷺ ने फरमाया, "मैं अल्लाह से दुआ करता हूं कि आशूरा के दिन के रोज़े की फज़ीलत से पिछले वर्ष के गुनाहों को अल्लाह दूर फरमाए।"  (सही मुस्लिम 1162)।

 हज़रत इब्न अब्बास (रदी अल्लाहु अन्हु) ने फरमाया कि प्यारे पैग़म्बर ‎ﷺ मदीना मुनवराह पहुंचे और यहूदी धर्म के लोगों को आशूरा के दिन रोज़ा रखते देखा।  उन्होंने इसलिए रोज़ा रखा क्योंकि यह वह दिन था जब अल्लाह सुभानहू वा ताआला ने पैगंबर मूसा (अलैहिस्सलाम) और उनके लोगों को बचाया, और फिरौन को डुबो दिया इसलिए शुकराने कि तौर पे पैगंबर मूसा (अलैहिस्सलाम) इस दिन रोज़ा रखते और उन्हें रोज़ा रखते देख यहूदियों ने इस प्रथा का पालन किया। प्यारे पैगंबर ‎ﷺ ने फरमाया, " हमें मूसा (अलैहिस्सलाम) पे उन से ज़ादा हक़ है और   नज़दीकी ताल्लुक़ हैं," इसलिए प्यारे पैगंबर ‎ﷺ ने आशूरा के दिन का रोज़ा रखा।

 हज़रत इब्न अब्बास (रदि अल्लाहु अन्हु) के एक अन्य कथन में फरमाया की प्यारे पैगंबर ‎ﷺ ने फरमाया: "जब अगला साल आएगा ,अल्लाह ताला की मर्ज़ी से, हम 9 (मुहर्रम के) दिन भी रोज़ा रखेंगे। ( सही मुस्लिम 1134)।

 हम सभी को आशूरा के दिन और  अगले दिन (11वें) या एक दिन पहले (9वें) रोज़ा रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।  अल्लाह सुभानाहु वा ताअला हमारी इबादत को क़ुबूल फरमाए, इंशाअल्लाह।

 दुआ:

 राह में तेरी रहे साबित क़दम ए बेनियाज़,
 सब्र दे हमको शहीद ए कर्बला के वास्ते

 सिलसिला - ए - आलिया ख़ुशहालिया  !!