वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट सलीम बेग के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने एमपी मौलाना मुहिब्बुल्लाह नदवी से की मुलाकात.
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 आजकल मुस्लिम समाज में बहुत चर्चा का विषय बना हुआ है. कुछ लोग कह रह हैं कि अभी जो पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं उसमें वोटों का ध्रुवीकरण के लिए यह सब चल रहा है. मोदी सरकार ने 8 अगस्त को ससद में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया था मगर संसद सदन में बिल पास नहीं हो सका जिसको मजबूरन लोकसभा अध्यक्ष ओमबिड़ला ने दस सदस्यों की ज्वाइंट पार्लिमेंट्री कमेटी को सौंप दिया है. रामपुर से सांसद मौलाना मुहिब्बुल्लाह नदवी भी ज्वाइंट पार्लिमेंट्री कमेटी के मेम्बर है.
प्रतिनिधि मण्डल में शामिल शाद अनवर एडवोकेट सुप्रीमकोर्ट, नोमान मंसूरी आर्टीजन एक्टिविस्ट, वजीउल हसन आजाद, अनवर वसीम और आरटीआई एक्टिविस्ट सलीम बेग मौजूद रहे.
सांसद मौलाना नदवी ने कहा हम इस मामले को 30 अगस्त को जेपीसी की मीटिंग में रखेंग.े आप लोगों की मेहनत को जाया नही होने दिया जायेगा.
आरटीआई एक्टिविस्ट सलीम बेग के नेतृत्व में प्रतिनिधि मण्डल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 की संयुक्त संसदीय समिति के आगे जो जनहित याचिका पेश दी है वह इस प्रकार हैः
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के लिए संयुक्त संसदीय समिति.
प्रतिनिधित्व,
आदरणीय सदस्यगण,
हमें पता चला कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 लोक सभा में 08.08.2024 को पेश किया गया था, जिसे आपके विचारार्थ भेजा गया था. मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि मैंने मानव विकास सेवा समिति की ओर से इसके अध्यक्ष श्री सलीम बेग के माध्यम से भारत संघ, केंद्रीय वक्फ परिषद और भारत के सभी वक्फ बोर्डों के खिलाफ जनहित याचिका सीडब्ल्यू 814/13 दायर की है और इसे पूरा करने को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश मांगे हैं.
सरकार के अनुपालन में रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा जारी आदेश दिनांक 18.12.2012. जनहित याचिका का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की पुनर्प्राप्ति की कार्यवाही में तेजी लाने के लिए वक्फ संपत्तियों पर अनधिकृत कब्जे या अतिक्रमण के मामलों से निपटने वाले अधिकारियों को जानकारी प्रदान करना था, ताकि वक्फ संपत्तियों का उपयोग मुसलमानों के कल्याण के लिए आय उत्पन्न करने के लिए किया जा सके.
20.09.2013 को, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सभी उत्तरदाताओं यानी भारत संघ, केंद्रीय वक्फ परिषद और भारत के सभी राज्यों के वक्फ बोर्डों को नोटिस जारी किया.
सेंट्रल वक्फ काउंसिल ने फरवरी 2015 में जवाबी हलफनामा दायर कर कहा कि वक्फ संपत्तियों पर अनधिकृत कब्जा करने वालों की जानकारी प्राप्त करने के लिए वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण एक वर्ष के निर्धारित समय में पूरा किया जाएगा. केंद्रीय वक्फ परिषद ने सभी वक्फ बोर्डों को डिजिटलीकरण कार्य को आउटसोर्स करने और अपने वक्फ रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के लिए निविदाएं जारी करने के निर्देश जारी किए.
04.07.2014 को भारत संघ द्वारा जवाबी हलफनामा दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण दो साल की अवधि के लिए पूरा किया जाएगा क्योंकि योजना 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पूरी करने का प्रस्ताव था.
मैंने वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण कार्य की प्रगति जानने के लिए केंद्रीय वक्फ परिषद दिल्ली के कार्यालय में आरटीआई दायर की, क्योंकि उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि यह एक वर्ष के भीतर किया जाएगा. आरटीआई का जवाब अस्पष्ट था. ऐसा लगता है कि डिजिटलीकरण का महत्वपूर्ण कार्य 11 वर्ष बीत जाने के बाद भी अधूरा है, जिसका कारण वे ही जानते हैं.
जनहित याचिका के लंबित रहने के दौरान वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2013 पारित किया गया था, जिसमें उपधारा शामिल की गई थी (1ए) प्रत्येक राज्य सरकार उपधारा (1) में निर्दिष्ट औकाफ की एक सूची बनाए रखेगी और औकाफ का सर्वेक्षण करेगी जिसे 1 वर्ष की अवधि के भीतर पूरा किया जाना चाहिए
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2013 के प्रारंभ होने की तिथि, यदि ऐसा सर्वेक्षण वक्फ संशोधन अधिनियम 2013 के प्रारंभ होने से पहले नहीं किया गया था.
यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया गया है कि वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण का कार्य सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रावधान वक्फ संशोधन अधिनियम, 2024 में होगा.
वर्तमान जनहित याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष 30.08.2024 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.
सलीम बेग,
अध्यक्ष, मो. 9717455303
मानव विकास सेवा समिति
शाद अनवर (वकील), मो. 9811038828