राजयोग अपनाएं, जीवन में हैप्पीनेस इंडैक्स को बढ़ाएं: डंग
तनावमुक्त जीवन के बीच करें अपना सशक्तिकरण
राजयोग एक ऐसा योग है जिसे हर कोई कर सकता हैं. ये एक ऐसा योग है जिसमें कोई धार्मिक प्रक्रिया या मंत्र आदि नहीं है. इसे कहीं भी और किसी भी समय किया जा सकता है. राज योग को आँखे खोलकर किया जाता है इसलिए ये अभ्यास सरल और आसान है. बात मीडिया के संदर्भ में करें तो योग एक ऐसी स्थिति है जिसमे हम अपनी रोजमर्रा की चिन्ताओ से परे जाते है ओर हम अपने आध्यात्मिक सशक्तिकरण का आरंभ करते है.
मीडियाकर्मी तनाव से बचने के लिए बनाए दैनिक जीवन का हिस्सा
बीते रोज ब्रह्माकुमारीज संस्था के हरीनगर सेवा केंद्र द्वारा पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों के लिए विशेष रुप से आयोजित संगोष्ठी "स्वस्थ, सुखी व तनाव मुक्त जीवन" में विभिन्न विद्वानों के उदगार श्रवण करने के बाद राजौरी गार्डन सेंटर के मीडिया प्रभारी सुनील डंग ने यह बात पत्रकारों के बीच कही. रविवार को आयोजित इस कार्यक्रम में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक (कॉर्पोरेट संचार)अनुज दयाल, ब्रह्माकुमारी संस्था के मीडिया विंग के राष्ट्रीय संयोजक बीके सुशांत भाई, स्टार लैब डायग्नोस्टिक के निदेशक समीर भाटी, 100 से अधिक सेवाकेंद्रों की निदेशिका राजयोगिनी शुक्ला, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अनुसूया सहित ब्रह्मकुमारीज संंस्था से जुड़े वक्ताओं ने आमंत्रित पत्रकारों को हैप्पीनैस इंडेक्स को विकसित करने हेतु मार्ग दर्शन किया.
गोष्ठी के निष्कर्ष में सुनील डंग ने कहा कि आध्यात्मिक जागृति हमें व्यर्थ और नकारात्मक भावों से दूर कर अच्छे और सकारात्मक विचार चुनने की शक्ति देता है.
हम परिस्थितियों का जवाब जल्दबाज़ी मे देने के बजाए , सोंच समज के करेगे. हम समरसता में जीने लगते हैं. बेहतर, खुशनुम: और मज़बूत रिश्ते बना अपने जीवन मे सकारात्मक परिवर्तन कर पाते हैं.
डंग ने कहा कि मीडियाकर्मियों के जीवन में कम आय, नौकरी की असुरक्षा और समय पर खबर बनाने का तनाव निरंतर बना रहता है. ऐसे में, ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा सिखाए जाने वाले राजयोग मेडिटेशन से पत्रकारों के जीवन में मानसिक शान्ति और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति होती है. जिससे वे व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन में संतुलन बनाते हुए, तनावमुक्त रहते हैं. इस दौरान सैवन सीज होटल के मालिक पूर्णचंद डंग ने भी अपने अनुभवों को सांझा करते हुए पत्रकारों से तनावमुक्त रहने के लिए राजयोग को जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया.