इज़राईल की क्रूरता और वैश्विक संघर्ष

इज़राईल की क्रूरता और वैश्विक संघर्ष
Brutality of Israel and global conflict

इज़राईल की क्रूरता इन दिनों लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। इस छोटे से देश के द्वारा गाज़ा और आसपास के इलाकों में चलाए जा रहे हमलों ने न केवल वहां के लोगों की जिंदगी को तबाह किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच एक नई बहस भी छेड़ दी है। 26 अक्टूबर को प्रकाशित अखबारों में यह खबर थी कि एक ही इज़राईली हमले में 72 लोग मारे गए, जिनमें तीन पत्रकार भी शामिल थे। यह घटना पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चेतावनी थी कि हिंसा और युद्ध का असर केवल सैन्य या राजनीतिक सीमाओं तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि इस से अनगिनत निर्दोष लोग प्रभावित होते हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं कि युद्ध और हिंसा के कारण सबसे अधिक नुकसान बच्चों का होता है। गाज़ा में इन दिनों बच्चों की अकाल मृत्यु की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। यह कोई साधारण घटना नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि युद्ध का असर सिर्फ सैनिकों और आतंकवादियों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि मासूम बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी इससे प्रभावित होते हैं। 3 नवंबर को प्रकाशित खबरों में बताया गया कि इज़राईली हवाई हमले में 84 लोग मारे गए, जिनमें से 50 बच्चे थे। यह आंकड़ा न केवल मानवता के लिए शर्मनाक है, बल्कि यह पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह सवाल भी करता है कि एक पक्षीय हिंसा को कब तक अनदेखा किया जाएगा?

इन घटनाओं को लेकर वैश्विक स्तर पर भी आलोचनाएं हो रही हैं। इज़राईल पर आरोप है कि उसने यूनिसेफ द्वारा भेजी गई सहायता पर रोक लगा दी है, जो गाज़ा में बीमारियों और अकाल मृत्यु से जूझ रहे बच्चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। सहायता का यह सिलसिला मानवीय दृष्टिकोण से बेहद आवश्यक था, क्योंकि गाज़ा के लोग वर्षों से निरंतर संघर्ष का सामना कर रहे हैं। इस सहायता के रुकने से केवल बच्चों की जिंदगियों पर खतरा नहीं मंडरा रहा, बल्कि पूरे क्षेत्र में गंभीर मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है।

इज़राईल की इन कार्रवाइयों पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना हो रही है, और अनेक देशों ने इस तरह के हवाई हमलों और निहत्थे नागरिकों पर होनेवाले हमलों को अवैध और अमानवीय करार दिया है। फिर भी, इज़राईल की सरकार की ओर से यह कहा जाता है कि यह सब सुरक्षा की दृष्टि से किया जा रहा है। परंतु सुरक्षा के नाम पर इस तरह के हमलों और नागरिकों के प्रति क्रूरता ने एक सवाल खड़ा कर दिया है: क्या यह सुरक्षा है, या फिर यह एक व्यवस्थित आतंक है?

दुनिया भर में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन

इज़राईल की क्रूरता के साथ-साथ, अन्य देशों में भी सरकारों के द्वारा अपने नागरिकों पर किए जा रहे अत्याचारों की खबरें लगातार आ रही हैं। यह घटनाएं यह साबित करती हैं कि मानवाधिकारों का उल्लंघन केवल एक स्थान या देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक समस्या बन चुकी है।

एक ऐसा देश है जहाँ महिलाओं पर लगातार पाबंदियां लगाई जा रही हैं, और वह देश है ईरान। ईरान में महिलाओं के लिए कठोर सामाजिक नियम बनाए गए हैं, जिन्हें तोड़ने पर उन्हें सजा दी जाती है। हाल ही में, ईरान की एक प्रसिद्ध महिला कार्यकर्ता को केवल इस कारण जेल में डाल दिया गया कि उसने महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई। यह महिला केवल ईरान में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रतीक बन गई है। उसके संघर्ष और साहस को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है और उसे नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

इस महिला के संघर्ष की प्रेरणा आज भी कई देशों की महिलाओं को मिलती है, जो विभिन्न प्रकार के सामाजिक और राजनीतिक प्रतिबंधों का सामना कर रही हैं। ईरान में एक और महिला ने पूरे देश के कठोर कानूनों के खिलाफ पूरी तरह से नग्न होकर विरोध प्रदर्शन किया। उसकी यह बेमिसाल बहादुरी जल्द ही उसके लिए समस्या बन गई, क्योंकि उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यह घटनाएं स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि कई देशों में महिलाओं को अब भी अपनी आवाज़ उठाने और अधिकारों के लिए संघर्ष करने का अवसर नहीं मिलता, और जो इसे करने की कोशिश करते हैं, उन्हें अत्याचार और दमन का सामना करना पड़ता है।

महिलाओं का साहस: दुनिया में बदलाव की लहर

हालांकि, इस कठिन और निराशाजनक वातावरण में कुछ सकारात्मक और प्रेरणादायक घटनाएं भी सामने आ रही हैं। एक ऐसा ही उदाहरण ब्रिटेन से आया है। ब्रिटेन की सबसे बड़ी पार्टी, कन्जर्वेटिव पार्टी के नेता पद पर पहली बार एक गैर-श्वेत महिला का निर्वाचन हुआ है। यह घटना ब्रिटेन में राजनीतिक बदलाव का प्रतीक बन गई है और यह भी दर्शाती है कि विविधता और समावेशिता के सिद्धांत अब पूरी दुनिया में अपना स्थान बना रहे हैं। यह विशेष रूप से इस समय घटित हुआ है जब अमेरिका में एक गैर-श्वेत महिला राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाग लेने जा रही हैं।

यह घटनाएं केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह साबित करती हैं कि महिलाएं और अल्पसंख्यक समाज अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर सकते हैं और बदलाव ला सकते हैं। महिलाएं अब केवल पारंपरिक भूमिकाओं में नहीं बंधी हैं, बल्कि वे राजनीति, विज्ञान, समाज सेवा, और अन्य सभी क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। इस तरह की घटनाएं विश्वभर में महिलाओं के साहस और उनके अधिकारों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती हैं।

समाज में क्रांति की आवश्यकता

इन घटनाओं से एक बात स्पष्ट हो जाती है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन, चाहे वह इज़राईल में हो, ईरान में, या किसी अन्य देश में, अब केवल किसी एक क्षेत्र की समस्या नहीं है। यह पूरी मानवता के लिए चिंता का विषय है। हमें यह समझने की जरूरत है कि युद्ध, हिंसा और अत्याचार से किसी भी समाज में स्थिरता और शांति नहीं लाई जा सकती। इसके बजाय, यह सिर्फ लोगों को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से तबाह करता है।

हमें इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए एक नई दिशा की आवश्यकता है। हमें समाज में समानता, स्वतंत्रता और न्याय की स्थापना करनी होगी। यह केवल तभी संभव है जब हम उन सभी देशों में जन जागरूकता फैलाएं, जहां मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। साथ ही, वैश्विक समुदाय को एकजुट होकर उन देशों पर दबाव डालना होगा जो अपने नागरिकों पर अत्याचार कर रहे हैं, ताकि वे इन अत्याचारों को रोकें और अपने लोगों के अधिकारों का सम्मान करें।

निष्कर्ष

आज का समय संघर्ष और हिंसा का समय है, लेकिन इसी समय में हम बदलाव के प्रतीक भी देख रहे हैं। हमें यह समझना होगा कि किसी भी समाज के लिए शांति और समृद्धि तभी संभव है, जब हम मानवाधिकारों का सम्मान करें, महिलाओं को समान अधिकार दें, और उन सभी का समर्थन करें जो अत्याचार और अन्याय के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। इज़राईल के हमलों, ईरान में महिलाओं के अधिकारों की हनन, और अन्य देशों में हो रहे संघर्षों के बावजूद, दुनिया भर में बदलाव की आवाज सुनाई दे रही है।

यह बदलाव केवल राजनीतिक या सामाजिक सुधारों के रूप में नहीं, बल्कि हमारे सोचने और कार्य करने के तरीके में भी आना चाहिए। अगर हम वास्तव में एक बेहतर और समान समाज की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो हमें उन सभी संघर्षों में शामिल होना होगा, जो मानवता की बेहतरी के लिए हो रहे हैं। तभी हम उस आदर्श समाज की ओर अग्रसर हो सकते हैं, जहां हर व्यक्ति को अपने अधिकार मिलें और कोई भी दमन और अत्याचार का शिकार न हो।

-एल.एस. हरदेनिया द्वारा प्रसारित

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