मुशायरा जश्न-ए-आज़ादी के वक़ार से खिलवाड़ स्वतंत्रता सेनानियों की क़ुर्बानियों का अपमान है
दिल्ली मजलिस के अध्यक्ष कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि अरविंद केजरीवाल हुकूमत के द्वारा जश्न-ए-आज़ादी मुशायरा में सिर्फ 8 शायरों का आमंत्रित किया जाना शर्मनाक है.
नई दिल्ली : कुल हिंद मजलिस ए इत्तिहादु मुस्लिमीन दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष कलीमुल हफ़ीज़ ने मुशायरा जश्न-ए-आज़ादी के वक़ार और अज़मत के साथ खिलवाड़ को अफ़सोसनाक क़रार देते हुए कहा कि दिल्ली उर्दू अकैडमी के द्वारा इस बार मुशायरा जश्न-ए-आज़ादी में केवल आठ शायरों को ही आमंत्रित किया गया है ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और स्वतंत्रता सेनानियों की क़ुर्बानियों की तौहीन है। उर्दू अकैडमी के द्वारा मुशायरा जश्न-ए-आज़ादी को भव्यता के साथ किए जाने की रिवायत रही है दिल्ली के नामवर शायरों के अलावा मुल्क भर से मशहूर शायरों को आमंत्रित किया जाता रहा है लेकिन इस साल जहां दिल्ली हुकूमत हरघर तिरंगा अभियान और आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत दिल्ली में ही 500 तिरंगे लगा रही है तो वहीं मुशायरा जशन-ए-आज़ादी को मात्र आठ शाइरों में सीमित कर दिया है। दिल्ली उर्दू अकैडमी का प्रोग्राम होने के बावजूद दिल्ली से केवल एक शायरा इफ़्फ़त जर्रीन को नुमाइंदगी दी गई है।ऐसा लग रहा है कि दिल्ली उर्दू अकैडमी का कोरोना काल अभी तक समाप्त नहीं हुआ है।
कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल हुकूमत जिस तरह से उर्दू भाषा के साथ भेदभाव करती रही है इस के बारे में हम लगातार आवाज़ उठाते रहे हैं लेकिन अब ये हुकूमत स्वतंत्रता सेनानियों की क़ुर्बानियों का अपमान कर रही है जो ना सिर्फ़ अफ़सोसनाक है बल्कि शर्मनाक भी है।
कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि उर्दू ज़बान का हिंदुस्तान की आज़ादी में महत्वपूर्ण योगदान रहा है और मुस्लमानों ने अज़ीम क़ुर्बानियां देकर देश को आज़ाद कराया जिनको कभी बुलाया नहीं जा सकता।
इन्क़िलाब ज़िंदाबाद का नारा उर्दू ज़बान का है , भगत सिंह, अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ान, राम प्रसाद बिस्मिल उर्दू ज़बान के शेर पढ़ते हुए वतन की आज़ादी के लिए शहीद हो गए लेकिन दिल्ली की अरविंद केजरीवाल हुकूमत उसी भाषा के साथ भेदभाव का गुनाह कर रही है जिसको दिल्ली और देश की जनता माफ़ नहीं करेगी।कलीमुल हफ़ीज़ ने सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली हुकूमत बताए मुशायरा जशन-ए-आज़ादी के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है और दिल्ली उर्दू अकैडमी को मुशायरा के लिए भरपूर फ़ंड क्यों नहीं दिया गया?
मीडिया सेल, दिल्ली