पत्रकारों के लिए स्वस्थ एवं तनाव मुक्त जीवन विषय पर सेमिनार

भौतिक चीजों की चिंता करने की जगह दिव्यता, सुख, शांति, प्रेम, आनंद का चिंतन करेंगे तो वैसे ही प्रकम्पन हम फैलाएंगे. साथ ही जो सकारात्मक शक्तियों का चिरंतन स्रोत परमात्मा से संबंध जोड़कर हम ऊर्जावान बन समाज, पर्यावरण, प्रकृति व वातावरण को बेहतर बना सकते है.

पत्रकारों के लिए स्वस्थ एवं तनाव मुक्त जीवन विषय पर सेमिनार
Seminar on healthy and stress free life for journalists

पत्रकारों के जीवन में संतुलन कायम रखने के लिए मेडिटेशन ज़रूरी है”: अनुज दयाल

“अध्यात्मिक ज्ञान की अभ्यास से हैप्पीनेस इंडेक्स बढ़ाए, तनाव कम करें": मनीष वाजपाई

दिल्ली, 30 जुलाई : ब्रह्माकुमारीज संस्था के स्थानीय हरी नगर सेवा केंद्र के द्वारा पत्रकारों और मीडिया पेशेवर के लिए "स्वस्थ, सुखी व तनाव मुक्त जीवन" विषय पर आज एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक (कॉर्पोरेट संचार), अनुज दयाल ने दीप प्रज्योलित करके संगोष्ठी का शुभारम्भ के लिए. उन्होंने इसमें पैनल डिस्कशन को संबोधित करते हुए कहा कि मीडियाकर्मियों के जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए राजयोग मेडिटेशन कारगर है. उन्होंने कहा, कि मीडिया आज बहुत तनाव में हैं. क्योंकि मीडिया अब एक बिजनेस बन गया है. वे रिवेन्यू के लिए विज्ञापन को पहला दर्जा देते हैं और रिपोर्टिंग को दूसरा.

उन्होंने कहा कि, देश की देहाती इलाकों में कम वेतन व कहीं कहीं बिना वेतन से काम लिया जाता है. वास्तव में, मीडियाकर्मियों के जीवन में कम आय, नौकरी की असुरक्षा और समय पर खबर बनाने का तनाव निरंतर बना रहता है. ऐसे में, ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा सिखाए जाने वाले राजयोग मेडिटेशन से पत्रकारों के जीवन में मानसिक शान्ति और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति होती है. जिससे वे से व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन में संतुलन बनाने हुए, तनावमुक्त रहते हैं.

ब्रह्माकुमारी संस्था के मीडिया विंग के राष्ट्रीय संयोजक ने सकारात्मक परिवर्तन के लिए आध्यामिकता और राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि भौतिक चीजों की चिंता करने की जगह दिव्यता, सुख, शांति, प्रेम, आनंद का चिंतन करेंगे तो वैसे ही प्रकम्पन हम फैलाएंगे. साथ ही जो सकारात्मक शक्तियों का चिरंतन स्रोत परमात्मा से संबंध जोड़कर हम ऊर्जावान बन समाज, पर्यावरण, प्रकृति व वातावरण को बेहतर बना सकते है.

उन्होंने कहा मीडियाकर्मी भी राजयोग के द्वारा अपने मनोबल को बढ़ाकर, तनावमुक्त बन, मनोस्थिति को शान्त कर, सदभाव से कार्य करेंगे तो उसका सकारात्मक प्रभाव समाज और राष्ट्र पर पड़ेगा. उन्होंने बताया कि ब्रह्माकुमारी संस्था आज़ादी के अमृत महोत्सव में मीडिया पेशे से जुड़े लोगों के लिए अब तक 70 कार्यक्रम कर चुकी है और यह संख्या 15 अगस्त तक 75 से अधिक हो जायेगी. उन्होंने बताया आध्यात्मिक ज्ञान से जागृत और सशक्त बनाने का यह अभियान जारी रहेगा, तब ही स्वर्णिम भारत का लक्ष्य पूरा होगा.

स्टार लैब डायग्नोस्टिक के निदेशक समीर भाटी ने पैनल डिस्कशन में एक प्रश्न- राजयोग मेडिटेशन से शारीरिक मानसिक और सामाजिक विकास की कितनी संभावना है, का जवाब देते हुए कहा कि अधिकांश मीडियाकर्मीयों में डोपमाइन एंडोर्फिन सेनाटिन आदि खुशी के हार्मोंस उत्पन्न ही नहीं हो पाते क्योंकि वो अधिकतर फाइट एंड फ्लाइट मोड में रहते हैं इसलिए उनके अंदर स्ट्रेस हार्मोंस पैदा हो रहे हैं किंतु यदि राजयोग व मेडिटेशन को जीवन में अपनाते है तो, बहुत सी लाइफ स्टाइल आधारित बीमारियों से बच सकते हैं.

कार्यक्रम की आयोजक एवं ब्रह्माकुमारी संस्था के दिल्ली एनसीआर में 100 से अधिक सेवाकेंद्रों की निदेशिका राजयोगिनी शुक्ला ने अपने आशीर्वचन में कहा कि सद्गुणों वाले समाज के निर्माण से पहले स्वयं में सद्गुणों को लाना होगा. हम सब मीडिया है हम भी सबको देते हैं, इसलिए पहले अपने को परिवर्तन करना है, तभी समाज का परिवर्तन होगा.

हैपिनेस इंडेक्स को कैसे बढ़ाएं, तनाव कैसे कम करें , इसमें राजयोग की क्या भूमिका है आदि के उत्तर में डीडी न्यूज़ के परामर्श संपादक, मनीष बाजपेयी ने कहा कि बदलती जीवन शैली में हम स्वयं को भूल गए हैं जिससे मन में तनाव घर कर रहा है. विपरीत परिस्थितियों में ऐसा ही तनावपूर्ण जीवन पत्रकार जीता है. किंतु मैने महसूस किया है कि राजयोग हमे खुद से रूबरू कराता है, राजयोग के अभ्यास से जीवन में अनुशासन, संतुलन व खुशी आती है.

वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अनुसूया ने कहा कि राजयोग हमारी कार्य क्षमता को बढ़ाता है जिससे हम अपने कार्यों को परमात्मा की याद में रहे शुद्धता एवं शीघ्रता से कर सकते हैं, परंतु लोग तनाव और व्यर्थ चिंतन में अपना बहुत समय लगा देते हैं, फिर कहते राजयोग के लिए समय नहीं है.

ब्रह्माकुमारी संस्था के मीडिया विंग के अतिरिक्त क्षेत्रीय संयोजक बीके गणेश संचालन के दौरान कहा कि हम परिस्थिति को नहीं बदल सकते हमें अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा राजयोग मेडिटेशन के निरंतर अभ्यास से.

पैनल डिस्कशन का संचालन करते हुए डीडी उर्दू के एंकर अर्चना सिंह ने राजयोग के अभ्यास से जीवन में आये सकारात्मक बदलाव का अनुभव साँझा किया. कवि बी के मनोज ‘खुशनुमा’ ने राष्ट्र भक्ति की कविता – ‘अमृत महोत्सव आज़ादी का, नया सवेरा लाया’ सुनाकर सभी को मंत्र मुग्ध किया.