बिहार में संस्कृत भाषा के निरंतर हो रहे पतन पर बोले कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक
बिहार में संस्कृत भाषा के निरंतर हो रहे पतन पर बोले कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक व बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक
अजय कुमार पाण्डेय :
औरंगाबाद: ( बिहार ) कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक व बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक, राजेश कुमार उर्फ राजेश राम से जब बिजौली स्थित वास्तु विहार आवास पर संवाददाता की मुलाकात मंगलवार दिनांक - 21 नवंबर 2023 को लगभग 2:00 बजे दिन में हुई! तब बातचीत के क्रम में ही संवाददाता ने सवाल पूछा की संस्कृत भाषा को देव तो भाषा माना जाता है! लेकिन हकीकत है कि बिहार में जितने भी संस्कृत विद्यालय चलाए जा रहे हैं! उसमें कहीं भी नियमित रूप से छात्र-छात्राओं की पढ़ाई नहीं हो रही है, और ना ही किसी भी संस्कृत विद्यालय में शिक्षक का पता है! यानी की कहीं भी धरातल पर संस्कृत विद्यालय नहीं चलाया जा रहा है!
सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ कागज के पन्नों पर ही संस्कृत विद्यालय चल रहा है? लेकिन जब भी किसी संस्कृत के माध्यम से प्रथमा ( अष्टम बोर्ड ) या बिहार बोर्ड के समकक्ष मान्यता प्राप्त मध्यमा ( मैट्रिक बोर्ड ) का विद्यालय में छात्र / छात्राओं को रजिस्ट्रेशन करने या फॉर्म भरने का वक्त आता है! तब सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ कागज के पन्नों पर ही चलाए जा रहे संस्कृत विद्यालय के शिक्षक / प्रधानाध्यापक या सेक्रेटरी के माध्यम से छात्र / छात्राओं या उनके अभिभावको को जानकारी दे दी जाती है, कि यदि संस्कृत विद्यालय के माध्यम से प्रथमा या मध्यमा की डिग्री प्राप्त करना है? तो आप निर्धारित समय के अंदर विद्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन कर दें, या फॉर्म भर दें? नहीं तो फिर आप लोगों को इस सत्र में निर्धारित समय पर परीक्षा दिलाकर प्रथमा या मध्यमा का डिग्री नहीं मिल पायेगा? फिर अगले सत्र में ही रजिस्ट्रेशन करना होगा, या फॉर्म भरना होगा! इसलिए आप इस संबंध में क्या कहना चाहेंगे? तब कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक व बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक ने संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा, कि देखिए इसमें बिहार सरकार दोषी नहीं है, क्योंकि अब संस्कृत विषय पढ़ने के लिए छात्र / छात्रा भी उत्सुक नहीं है!
अधिकांश छात्र / छात्रा भी अब आधुनिकता की ओर जा रहे हैं! संस्कृति में बदलाव हुआ है! वैज्ञानिक पद्धति में भी बदलाव हुआ है! हर चीज विज्ञान, टेक्नोलॉजी के तरफ भाग रहा है! हर व्यक्ति शॉर्ट में भी काम करना चाहता है! संस्कृत भाषा से अधिक तो आज के समय में बिहार के अंदर ही सबसे अधिक छात्र / छात्रा फ्रेंच भाषा में अंग्रेजी बोलने के लिए सीख रहे हैं! जिससे की आर्थिक आमदनी बढ़े! चुकी संस्कृत भाषा में कैरियर, स्कोप नहीं है! अब तो ऐसा समय हो गया है, कि बच्चे लोगों को किताब पढ़ने में भी मन नहीं लगता है!
बच्चा लोगों को किताब पढ़ने में लेजी ( सुस्ती ) लगता है! लेकिन अब वही बच्चा मोबाइल खूब देखेगा, और मोबाइल पर कोई भी चीज मिनटों में पढ़ेगा! यह बात सत्य है, कि संस्कृत विषय संस्कृति से जुड़ा हुआ है! संस्कृत हमारा विरासत है! लेकिन अब तो स्थिति ऐसी उत्पन्न हो गई है, कि संस्कृत भाषा को तो आप छोड़ दीजिए! अब यहां के सभी बच्चे इतिहास भी भूल रहे हैं!
तब संवाददाता ने कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक व बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक से सवाल पूछा कि तब फिर बिहार सरकार संस्कृत विद्यालय के माध्यम से निर्धारित समय पर प्रथमा (अष्टम बोर्ड ) या मध्यमा ( मैट्रिक बोर्ड ) का रजिस्ट्रेशन कराकर या फार्म भरवाकर छात्र - छात्राओं को परीक्षा ही क्यों लेती है, और निश्चित समय पर छात्र-छात्राओं से ली गई परीक्षा का परिणाम भी घोषित करके सर्टिफिकेट दे देती है? तब कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक ने संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि निश्चित समय पर गवर्नमेंट एग्जाम ले रही है! सर्विस प्रोवाइडर है! हकीकत है कि संस्कृत विषय से लोगों का ध्यान बंट गया है! इसीलिए अब संस्कृत विषय को सफलीभूत भी कौन करता है?