एहले बैत का सम्मान.
हज़रत अब्दुल्ला इब्न उमर रदी अल्लाहु अन्हा से संबंधित है कि हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदी अल्लाहु अन्हा ने फरमाया, "प्यारे पैगंबर मुहम्मद ﷺ का सम्मान उनके परिवार के सदस्यों का सम्मान करके करें।" (बुख़ारी)।
एक अन्य कथन में, पैगंबर ﷺ ने फरमाया, "हुसैन मुझसे हैं और मैं हुसैन से हूं, अल्लाह भी उनसे प्यार करता है जो अल-हसन और अल-हुसैन से प्यार करता है।ये दोनो मेरी मुमताज़ औलादों में से हैं।” (अल अदब अल-मुफरद 364)।
इमाम मलिक (क्यूएसए) के जीवन के दौरान, उन्हें एक बार मदीना शरीफ के गवर्नर ने इस हद तक पीटा था कि वह बेहोश हो गए थे। जब इमाम मलिक (क्यूएसए) होश में आए तो उन्होंने गवाही दी कि उन्होंने गवर्नर को माफ कर दिया है। उन्होंने लोगों से कहा "मुझे मौत का सोच के ये ख़ौफ हुआ की मर के में किस मुँह से नबी ﷺ से मिलूँगा यह जानकर कि उनके परिवार के सदस्यों में से एक जहन्नुम की आग में प्रवेश कर सकता था क्योंकि उसने मेरे साथ ऐसा किया था।"
हज़रत ख़्वाजा मौलाना मोहम्मद ख़ुशहाल (क्यूएसए) ने सभी लोगों के लिए सम्मान दिखाया, लेकिन उन्होंने विशेष रूप से उलमा हज़रात और एहले बैत (प्यारे पैगंबर ﷺ का परिवार) का सम्मान किया। वह खुशी-खुशी ख़ुद को रसूलल्लाह ﷺ का ग़ुलाम कहते। वह जानते थे कि एहले बैत का सम्मान करना रसूलल्लाह ﷺ का सम्मान करना है। इमाम मलिक (क्यूएसए) की तरह उन्हें हमारे प्यारे पैगंबर ﷺ के लिए इतना प्यार और सम्मान था कि वह पैगंबर ﷺ से जुड़ी कोई भी चीज़ या किसी भी व्यक्ति का सम्मान करते।
दुआ:
इश्क़ दे महबूब का हम को या इलाहुल आलमीन,
सैयदा मासूमा हज़रत फातिमा रदी अल्लाहु अन्हा के वास्ते
सिलसिला - ए - आलिया ख़ुशहालिया से जुम्मा मुबारक !!
Syed afzal Ali shah Maududi.
Editor cum Bureau chief.
Lucknow