नारियों पर बढ़ते अत्याचार चिंता का विषय: डॉ. सर्वेश्वर जी महाराज
गया (बिहार): बोधगया की पावन धरती पर कालचक्र मैदान में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा यज्ञ के चतुर्थ दिवस पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। भगवान शिव की जयकारों से क्षेत्र का वातावरण धर्ममय हो गया। परंपरानुसार, दीप प्रज्वलित कर कथा की शुरुआत की गई। इस अवसर पर जागृति संस्थान के यादवेंद्र नंद जी महाराज, भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा और कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद मिश्र, महंत अमरजीत जी, सुकर्णा जी और आचार्य वैद्यनाथ मिश्र प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
डॉ. सर्वेश्वर जी महाराज का संबोधन
शिव महापुराण कथा का शुभारंभ व्यास पीठ पर बैठे प्रसिद्ध संत डॉ. सर्वेश्वर जी महाराज ने किया। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवान शिव की प्राणियों पर अपार महिमा की चर्चा करते हुए अनेक उदाहरणों से विस्तार से बताया।
नारियों पर बढ़ते अत्याचार
इस दौरान, उन्होंने देश में निरंतर बढ़ते नारियों के प्रति विभत्स और अमानवीय अत्याचारों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भ्रूण हत्या से लेकर वृद्धावस्था तक जो कुकर्म हो रहे हैं, वह न केवल मानवता के लिए, बल्कि इस महान धर्म-प्राण देश की रक्षा एवं सम्मान के लिए भी उचित नहीं है। उन्होंने नारियों के संदर्भ में कहा, "जहां नारियों की पूजा होती है, देवता वहीं निवास करते हैं।"
डॉ. सर्वेश्वर जी ने उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए जोरदार शब्दों में कहा, "तुम न कभी अबला रही हो, न अभी हो। केवल अपनी शक्ति को पहचानो और आगे आकर जो सोए हुए हैं, उन्हें भी जगाओ। सनातन धर्म के साथ अपनी रक्षा एवं देश की प्रतिष्ठा के लिए तैयार हो जाओ। यह मत भूलो कि केवल सरकार द्वारा कानून बनाने से तुम्हारी रक्षा नहीं होगी; तुम्हारी एकता एवं सामाजिक जागरूकता से ही नारियों का कल्याण संभव है।"
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में मगध के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे, जिनमें डॉ. विवेकानंद मिश्र के अलावा शिव कैलाश डालमिया, मुन्ना बाबू सिंधल, ज्योति शिक्षा एवं शोध संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेश भारद्वाज, बिहार प्रदेश राजद की वरिष्ठ नेत्री समाजसेवी रूबी देवी, कौटिल्य मंच के प्रदेश सचिव देवेंद्र कुमार पाठक और समाजसेवी सुमन कुमारी शामिल थे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में मंटू बाबू की सक्रियता उल्लेखनीय रही, जिन्होंने आगत अतिथियों की सेवा में जुटे रहे। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग भी उपस्थित थे।
By विश्वनाथ आनंद.