चंद्रायण साधना में लीन हुए गायत्री परिवार के लोग | गुरु पूर्णिमा से कर रहे हैं साधना
अजय कुमार पाण्डेय :
औरंगाबाद: ( बिहार ) जिला गायत्री परिवार ट्रस्ट, औरंगाबाद के समस्त गायत्री शक्तिपीठ, प्रज्ञापीठ एवं चरणपीठ पर गायत्री परिजन इन दिनों चंद्रायण साधना में लीन है। ऋषियों की बताई हुई विधियों व परंपराओं का अनुसरण करने वाले लोगों ने गुरु पूर्णिमा से साधना प्रारम्भ किया है! जो निरंतर चल रही है। जो सावन महीने की पूर्णिमा तक साधना चलेगी! इसमें चंद्रमा आकार के अनुसार आहार - विहार होगा। चंद्रमा का आकार जैसे - जैसे बढ़ेगा! वैसे - वैसे आहार भी बढ़ेगा। चंद्रमा का आकार कम होने पर आहार भी कम होता जाएगा। इस साधना का मकसद महामारी उन्मूलन, सभी के निरोग जीवन, उज्जवल भविष्य, शक्ति संरक्षण तथा विश्वकल्याण है।
इस संबंध में सासाराम उपजोन - समन्वयक, नीरज सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि चंद्रायण व्रत साधना उपजोन के ( सासाराम, कैमूर और औरंगाबाद ) तीनों जिले के समस्त शक्तिपीठों, प्रज्ञापीठों पर की जा रही है। इस व्रत में जिस तरीके से चंद्रमा की कलाएं घटती, बढ़ती हैं! उसी तरीके से आहार - विहार में निवृत्ति के साथ में यह साधना प्रारंभ की जाती है। शुरूआत में भोजन को थोड़ा - थोड़ा सा कम करते हुए माह के मध्य भाग में एक निश्चित मात्रा में भोजन लेना और भोजन को उसी तरीके से बढ़ाना, जिस भोजन पर हमने शुरू किया था। वहां तक आना व उसके साथ में आहार निद्रा का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाता है। यह है महत्व चंद्रायण साधना के साथ में गायत्री साधना को महत्व दिया जाता है।
बताया जाता है कि हमारे पाप, तापो शमन से चिंतन, चित्र, चरित्र, व्यवहार में एक प्रखरता आती है। इससे व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरने लगता है। इस साधना को गायत्री परिजन हर साल लाखों की संख्या में करते हैं, और विश्व कल्याण की कामना करते हैं। यज्ञ में दी जाएंगी 108 आहुतियां संकल्प के साथ शुरू हुई! यह साधना गायत्री यज्ञ की पूणार्हुति देने पर समाप्त होती है। अंतिम दिन यानि श्रावण मास पूर्णिमा पर गायत्री यज्ञ के तहत 108 आहुतियां देनी पड़ती हैं। इसके अलावे उपजोन - समन्वयक नीरज कुमार सिंह ने बताया कि गायत्री यज्ञ तो साधना के दौरान हर दिन करना है।