दिल्ली में खरतरगच्छ सहस्राब्दी महोत्सव का शुभारम्भ
कार्तिक पूर्णिमा को 857 वर्ष प्राचीन महरौली दादाबाड़ी में खरतरगच्छ सहस्राब्दी महोत्सव का शुभारम्भ हुआ। द्वितीय दादागुरू मणिधारी श्री जिनचंद्रसूरि जी का मूल समाधि स्थल महरौली दादाबाड़ी, देश-विदेश के श्रद्धालुओं की अनन्य श्रद्धा स्थली है। इस पुण्यधरा पर खरतरगच्छ के हजारवें वर्ष (सहस्राब्दी वर्ष) के महोत्सव का शुभारम्भ अध्यात्म योगी श्री महेन्द्रसागर जी म.सा. एवं युवा मनीषी श्री मनीषसागर जी के शिष्यरत्न परमात्मा भक्ति प्रेरक युवा संत श्री विशुद्धसागर जी म.सा. आदि ठाणा-3 की निश्रा एवं छत्तीसगढ़ रत्न शिरोमणि महत्तरा श्री मनोहरश्रीजी म.सा. की विदुषी शिष्या पू-श्री सुलक्षणाश्रीजी म.सा. एवं श्री सद्गुणाश्रीजी म.सा. के पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर श्री कंवर सिंह तंवर, पूर्व सांसद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। महरौली दादाबाड़ी के प्रबंधक श्री मुनीष जी भंसाली ने माननीय अतिथि का माला, शॉल, तथा सम्मान चिन्ह अर्पित कर स्वागत किया। श्री खरतगच्छ सहस्राब्दी महोत्सव समिति के राष्ट्रीय संयोजक श्री ललित कुमार नाहटा ने श्री कंवर सिंह जी को माला, शॉल एवं स्मृति चिन्ह अर्पित कर स्वागत किया। श्री तंवर जी के निकट सहयोगी श्री गिरधारी तंवर का भी स्वागत किया गया।
सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति एवं उनके उत्साह से दादाबाड़ी का कण-कण उर्जावान प्रतीत हो रहा था। इस अवसर पर श्री कंवर सिंह तंवर द्वारा खरतरगच्छ प्रवर्तक आचार्य श्री जिनेश्वरसूरि जी के चित्र का अनावरण किया गया। मुनिश्री विशुद्धसागर जी ने खरतरगच्छ स्थापना की परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए बताया कि वि.सं. 1080 में पाटण (गुजरात) नरेश श्री दुर्लभराज के समक्ष प.पू. आचार्य श्री जिनेश्वरसूरि जी ने चैत्यवासी परंपरा के सूराचार्य को शास्त्रर्थ में परास्त किया था तब पाटण नरेश ने आचार्यश्री की उनके पांडित्य तथा चारित्र पालन की प्रशंसा करते हुए उन्हें खरा-तरा कहते हुये विजयी घोषित किया। इसके उपरान्त आचार्य जिनेश्वरसूरि के शिष्य तथा अनुयायी खरतरगच्छीय एवं ऐसे लोगों का समुदाय खरतरगच्छ के नाम से विख्यात हुआ। उन्होंने कहा कि हम सभी को खरतरगच्छ के प्रखर तथा तेजस्वी इतिहास तथा विरासत की रक्षा करनी है। उन्होंने बताया कि कोटा में खरतरगच्छाचार्य आचार्य श्री जिनपीयूषसागरसूरीश्वर जी म.सा. की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में सहस्राब्दी महोत्सव का शुभारम्भ किया जा चुका है एवं अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि आज दिल्ली में भी इसका शुभारम्भ किया जा रहा है। मुख्य अतिथि श्री कंवर सिंह तंवर ने अपने उद्बोधन में कहा कि दादाबाड़ी में आकर उन्हें आनन्द एवं उर्जा की अनुभूति हो रही है। जैन समाज पूरे देश में अपने सिद्धांतों के पालन, अहिंसा, सत्य, उदारता तथा दया के लिये सुविख्यात है। खरतरगच्छ के उद्भव के विषय में जानकर उनका विश्वास और भी दृढ़ हुआ है कि सिद्धान्त परक जीवन तथा देश-समाज हित में कार्य करने में जैन विशेषकर खरतरगच्छ की महती भूमिका रही है। श्री ललित कुमार नाहटा ने सभी को इन आयोजनों से जुड़ने तथा इनमें बहुभावेन योगदान तथा सहभागिता करने तथा सहस्राब्दी महोत्सव को सार्थक तथा परिणाम मूलक बनाने का आह्नान किया। खरतरगच्छ के विषय में विस्तार से बताते हुए श्री अशोक जी फोफलिया ने मनोहारी ढंग से सभा का संचालन करते हुए श्रोताओं को बांधे रखा।
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चित्र मे बाएं से दाएं: सर्व श्री विरेंद्र मेहता, पीयूष, मैकी, अशोक फोफलिया, प्रदीप नाहटा, मुनीष भंसाली, पूर्व सांसद कंवरसिंह तंवर, ललित नाहटा, सोनेन्द्र जैन आदि चित्र अनावरण के उपरांत।