भारतीय गरिमा की समृद्ध भाषा हिंदी की उपेक्षा दुर्भाग्यपूर्ण: कौटिल्य मंच
विश्वनाथ आनंद
औरंगाबाद (मगध बिहार): गया जिला मुख्यालय के स्थानीय डॉक्टर विवेकानंद पथ में कौटिल्य मंच द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह का शुभारंभ बिहार के जाने -माने साहित्यकार आचार्य राधामोहन मिश्र माधव ने किया. उन्होंने अपने संबोधन में हिंदी की लगातार उपेक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी देश के बहुसंख्यक जन की समृद्ध भाषा है. इसका विपुल साहित्य है.
यह स्वातंत्र्य संग्राम की जोशीली जनभाषा रही है. फिर भी राजकीय स्तर पर यथोचित मान की कमी, विदेशी भाषा को तरजीह देना, किंबहुना, हिंदी की उपेक्षा होने से वांछित सफलता नहीं मिली और वैधानिक राष्ट्रभाषा बनने की बाट जोह रही है.
विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विवेकानंद मिश्रा ने कहा - काश नौकरशाहों से अदालतों तक यदि इसकी उपेक्षा नहीं की जाती तो आज दुनिया की प्रमुख भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान हमारी भाषा हिंदी की होती तथा अमर शहीदों के सपने पूरे होते. महात्मा गाँधी, तिलक, राजेंद्र बाबू जैसे मनीषियों की अभिलाषा पूरी होती जाने-माने शिक्षाविद मगध विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष रहे प्रोफेसर उमेश चंद्र मिश्रा शिव ने कहा कि हिंदी भाषा के उत्थान और सम्मान के लिए अंग्रेजिअत के जाल को तोड़कर बाहर आना होगा. इसके लिए संकीर्ण मानसिकता की राजनीति को तिलांजलि देकर हिंदी की रक्षा एवं विकास में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को सन्नद्ध होने की जरूरत है.
इस आभासीय बैठक में अपने विचार व्यक्त करने वालों में शिवचरण डालमिया पंडित बालमुकुंद मिश्र डॉ सच्चिदानंद पाठक डॉ ज्ञानेश् भारद्वाज आद्यया आनंद मिश्रा प्रियंका मिश्रा डॉक्टर मृदुला मिश्रा किरण पाठक आचार्य राघवेंद्र मिश्र विनयलाल टाटाक रवि भूषण भट्ट राम मोहन शुक्ला अशोक आनंद रवि भूषण पाठक भारतीय डॉक्टर मंटू मिश्रा रणजीत पाठक सुधांशु मिश्रा पवन मिश्रा विश्वजीत चक्रवर्ती पुष्पा गुप्ता पूजा कुमारी अर्चना मिश्रा ममता गुप्ता रूपा शाह निभा कुमारी दीपक पाठक किरणेश मिश्र सुनीता देवी डोमन प्रसाद आचार्य अरुण पाठक अजय मिश्रा अच्युत अनंत मराठे कविता राऊत वैष्णवी मांडवी गुर्दा पियूषा गुप्ता अविनाश मलदहिया कुंदन मिश्रा सुनील यादव आदि हैं.