12 दिवसीय चलाई जा रही विधिक जागरूकता अभियान कार्यक्रम का नगर भवन में हुआ समापन
अजय कुमार पाण्डेय :
औरंगाबाद: (बिहार) जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा लगातार 12 दिनों से चलाई जा रही जागरूकता अभियान कार्यक्रम का रविवार दिनांक - 13 नवंबर 2022 को मुख्यालय स्थित नगर भवन में जिले के तमाम गणमान्य न्यायिक पदाधिकारी, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, जिला विधि संघ अध्यक्ष, जिला विधि संघ सचिव, अधिवक्तागण व विद्यालय बच्चों की उपस्थिति व सौहार्दपूर्ण वातावरण में समस्त न्यायिक पदाधिकारियों तथा समस्त वरीय अधिकारियों ने संयुक्त रूप से एक साथ मिलकर विधिवत द्वीप प्रज्वलित कर समापन समारोह का उद्घाटन किया.
इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार अध्यक्ष सह माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रजनीश कुमार श्रीवास्तव, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार सचिव, प्रणव शंकर, जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल, तेजतर्रार पुलिस कप्तान कांतेश कुमार मिश्रा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, संग्राम सिंह, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) दयाशंकर सिंह, कार्यक्रम पदाधिकारी मध्याह्न भोजन, गार्गी कुमारी, जिला विधि संघ अध्यक्ष, रसिक बिहारी सिंह, जिला विधि संघ सचिव, नागेंद्र सिंह भी मंच पर उपस्थित रहे. स्कूली छात्राओं ने भी स्वागत गान प्रस्तुत की. तत्पश्चात इस कार्यक्रम में पहुंचे जिला विधिक सेवा प्राधिकार अध्यक्ष सह माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रजनीश कुमार श्रीवास्तव ने मंच पर पहुंचने के पश्चात सर्वप्रथम नगर भवन में उपस्थित सभी लोगों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया.
इसके बाद मंच पर बैठे सभी गणमान्य लोगों के साथ संयुक्त रूप से मिलकर पारंपरिक तरीके से द्वीप प्रज्वलित करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित समस्त पदाधिकारी, समस्त अधिवक्ता गण, समस्त मीडिया कर्मी, विद्यालय की उपस्थित छात्राएं एवं नगर भवन में उपस्थित सभी लोगों का आभार प्रकट कर मंच से संबोधित करते हुए कहा कि यह प्रोग्राम 12 दिनों से लगातार चल रहा है, जिसमें हमारे जिला पदाधिकारी का योगदान बहुत ही रहा है. जो कदम से कदम मिलाके चलते हैं. जिले के प्रत्येक व्यक्ति तक की ये चिंता करते हैं. इसके लिए हम उनको नमन करते हैं, और हमारा सौभाग्य है कि जिले के युवा, तेजतर्रार पुलिस अधीक्षक मिले हैं. अभी हम इनको सैल्यूट करते हैं. पूरे ज्यूडिशियल की तरफ से, न्यायपालिका की तरफ से, पूरे औरंगाबाद के पब्लिक की तरफ से. अभी हम लोग दो - चार दिन पहले हमारे बहुत दूर - दराज एरिया में इंस्पेक्टिग जज साहब आए थे. हम लोग गए. वहां सी0आर0पी0एफ0 कैंप था. दो चार लोग घूमते घूमते मिले. उन लोग हमसे कहने लगे कि सर आप लोग कहां यहां सूदूर में आ गए? यहां तो मक्खियां भी आते हुए भी डरती है. लेकिन वहां का लाइन आर्डर देख कर के हम लोग इतना अभिभूत हुए, की हम इसके लिए एस0पी0 साहब को हृदय से आभार व्यक्त कर रहे हैं.
हमारे सचिव साहब ने डाटा पूरा 12 दिन का लेखा - जोखा आप लोगों को पूरा दे दिया है. हम अब डाटा के बीच में नहीं जाते हैं. सारी कामयाबी आप लोगों की है.हमारे जिला शिक्षा पदाधिकारी की कामयाबी हैं. हमारे औरंगाबाद के लोग की कामयाबी हैं. सबकी कामयाबी है. सब लोगों को हम इसके लिए हृदय से धन्यवाद देते हैं. हम इतनी संख्या में बच्चियों को देखकर बहुत ही प्रसन्न है, और मेरा दो मे से बच्चियों से है, कि पहला पढ़ाई का भार एक आप अपने ऊपर लीजिए. अपने परिवार में शांति स्थापित करने के लिए बच्चियों का रोल बहुत होता है. हम भी देखिए दुःख से अगर नाराज हुए परिवार में तो बेटियां आकर ऑबलाइज करती है, और बेटियों का रो परिवार में अगर आप परिवार को संभाल कर रखेंगी, तो निश्चित तौर पर परिवार के लोगों से नहीं होगा. समाज में नहीं होगा. एक बहुत बढ़िया माहौल बनेगा, और जिसके लिए जो हम लोग प्रयास कर रहे हैं. लोग आपस में मिलजुल कर रहे. लड़ाई झगड़ा ना करें. इसमें आप लोग का बहुत बड़ा सहयोग रहा है. दूसरी बात हम कहना चाहते हैं कि आज कल पर्यावरण की भी बहुत बड़ी समस्या है. इसलिए अपने घर के अगल-बगल दो - चार पौधे भी अवश्य लगाएं, जिससे वातावरण शुद्ध रहे. हम अपने बेटियों से कहेंगे. हमारे जो बच्चे आए हैं. उनसे कहेंगे.
अपने घर के अगल - बगल से दो - दो, चार - चार पौधे आप लोग लगाईगा, तो निश्चित तौर पर हम लोग पर्यावरण समस्या को दूर करने में सफल होंगे, और हम आप लोगों से एक और प्रार्थना करते हैं. हम सभी बच्चियों को आश्वस्त करते हैं. हमने निर्देश दे चुका है, अपने डी0एल0एस0ए0 सेक्रेटरी को. 24 घंटा इनका मोबाइल ऑन रहता है. आप लोगों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत हो. किसी भी समय रात 12:00 बजे, 2:00 बजे, 4:00 बजे दिन में. आप हमारे सीधा डी0एल0एस0ए0 सेक्रेटरी से संपर्क कीजिए. सारे समस्याओं का निदान होगा. इसके लिए आप लोग निश्चिंत रहिए.
अभी हमारे अध्यक्ष जी ने कहा कि ज्यूडिशली में तो आज - कल 50% भागीदारी महिलाओं की लगभग पहुंच चुकी है. लेकिन बात एकदम महफूज है, खाली हूं. तब हम आप लोगों से निवेदन करेंगे, कि आप लोग पढ़ाई इस उद्देश्य से भी करें कि आपको जज बनना है, और वकील बनना है. मैक्सिमम पूछा जाता है, तो लोग यह कहते हैं कि इंजीनियर बनेंगे, डॉक्टर बनेंगे, ये बनेंगे, वो बनेंगे, तो ये जो वैक्यूम वकालत में हमारे बच्चियों का हो रहा है. इसको आपूर्ति करें, और हम ज्यादा समय नहीं लेंगे, समझते हैं. हम विचार में शिक्षा पदाधिकारी से रखते हैं कि ये माहौल चल रहा है. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ. हम उनसे निवेदन करेंगे कि आप संडे के दिन भी किसी पंचायत में इस तरीके का फंक्शन ऑर्गेनाइज कीजिए. हम लोग भी आएंगे. हम अपने डी0एम0 साहब से प्रार्थना करेंगे. एस0पी0 साहब से प्रार्थना करेंगे.
मैक्सिमम गार्जियन से मिलेंगे, और घर - घर से एक - एक बच्चियों को, एक - एक बच्चो को निकाल कर के अगर हम लोग स्कूल तक पहुंचाने जाएंगे, तो हम लोग का प्रयास सार्थक होगा, और इस परिवेश में हम जिला पदाधिकारी से निवेदन करते हैं, कि जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश करें, कि इस तरह का कैंप संडे के दिन लगे, और हम लोग भी जाएंगे. निश्चित तौर पर मैं पहुंचुगा. कहीं भी जिला पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी होंगे. हम जिला शिक्षा पदाधिकारी को ये आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब भी वो कैंप लगाएंगे. किसी भी संडे, छुट्टियों के दिन में लगाएंगे, तो निश्चित तौर पर हम जाएंगे, और हम लोग जो है. सारे गार्जियन को शिक्षित करेंगे. बात को, कि अपने बेटियों को, अपने बच्चों को स्कूल तक जरूर पहुंचाएं. इसी में हम लोगों के कामयाबी होगी. ज्यादा समय न लेके हम पुनः अपने मीडिया कर्मियों को बहुत-बहुत साधुवाद देता हूं, कि इनके प्रयास से जन - ज न तक, घर-घर तक पहुंचाया.
जिला विधिक सेवा प्राधिकार का दूरदराज गांवों में भी कार्यक्रम सफल रहा, और भविष्य में भी उम्मीद करता हूं कि आप लोग पहुंचाइएगा, और मैं अपनी बातों को विराम करता हूं, जय हिंद. वहीं अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तेजतर्रार, सबके साथ हमेशा मधुर संबंध रखने वाले मृदुभाषी सचिव, प्रणव शंकर ने भी सर्वप्रथम नगर भवन में उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त करते हुए मंच से संबोधित करते हुए कहा कि आप लोगों ने फेसबुक आप लोगों ने ट्विटर एवं अन्य माध्यम से हम लोगों तक, लोगों तक जो पहुंचाने का कार्य किया है. आप भी धन्यवाद के आभारी हैं. आप जान करके जाएं, की आपका एक गार्जियन, आपका एक मित्र, आपका एक गाइड हमेशा मौजूद है. जो की आपके लिए हमेशा लगातार सोचता रहता है, और आपका किसी भी कारण कोई भी मुसीबत कोई भी कष्ट हो, तो उसके लिए हम लोग लगातार मौजूद है. लगातार हैं. आपको बस एक बार डी0एल0एस0ए0 आना है, या एक बार फोन कर देना है, और आपके कष्ट को हम लोग निश्चित दूर करने का प्रयास करेंगे.
मुझे मालूम है कि आप लोगों को संडे के दिन घूमने का समय होता है, और इस संडे को आप लोगों को यहां उपस्थित होना पड़ा है. इसके लिए हम लोग माफी चाहते हैं. आप लोग बच्चों आप लोग को जो कष्ट हुआ है. आप लोग इस संगठन से प्रण लेंगे. आप लोग से हम लोग क्षमा प्रार्थी हैं. लेकिन जैसा की आप लोगों को कहा गया, कि कुंदन जी ने बताया है. आज आप लोग जब यहां से लौटेंगे, तो आप बच्चों जितने भी यहां शिक्षक गण मौजूद हैं. जिले से आए हुए यहां के निवासी लोग हैं. जब आप यहां से लौटेंगे, तो एक नया मित्र मिला होगा. जो आपके एक नई सोच के साथ, एक फ्रेंड फिलोस्फर गाइड के साथ लौटेंगे, और वो फिलॉस्फर गाइड जिला विधिक सेवा प्राधिकार होगा. आप लोग उसके साथ लौटेंगे.
जिला विधिक सेवा प्राधिकार आप सबों के साथ, आप सभी बच्चों के साथ, जिले के सभी निवासियों के साथ. मैं आप सभी को वादा करता हूं. जिला विधिक सेवा प्राधिकार अध्यक्ष की ओर से कि आप किसी भी तौर से किसी भी समय, अगर आप किसी भी मुसीबत में हैं. कानूनी मुसीबत में है, या अन्य किसी भी प्रकार की दिक्कत में है, तो आपके मित्र के रुप में सदैव चौबीसों घंटे जिला विधिक सेवा प्राधिकार मौजूद है. वो आपके माध्यम से, ना केवल आपके रिकॉर्ड के माध्यम से, ना केवल आप ट्विटर के माध्यम से, ना केवल आप इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से, फेसबुक के माध्यम से, बल्कि आप किसी भी अन्य तरीके से आप स्वयं उपस्थित होकर के अगर आपकी कोई समस्या है. किसी भी प्रकार की.
यदि आपको कोई छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है. आपको कोई परेशान कर रहा है. आपकी कोई बातें नहीं सुनी जा रही है. आपको आपके जमीन पर कोई दखल कब्जा किए जा रहा है, और आप कुछ कर नहीं पा रहे हैं. ऐसी हर परिस्थिति में, ऐसे हर स्थिति में हम लोग जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से आपको हर समय मदद देने के लिए तत्पर रहेंगे. हर समय तत्पर हैं, और आगे भी तत्पर बने रहेंगे. प्रावधानों में जैसा बताया गया कि 01 अक्टूबर को हमारे उच्चतम न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश के दौरा के पूरे कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया था, और कार्यक्रम का उद्देश्य था, कि जिले के सभी लोगों को, या यूं कहें कि इस राष्ट्र के सभी लोगों को अपने कानूनी अधिकारों के बारे में आपको लॉ की डिग्री नहीं लेनी है. लेकिन आपको मोटे मोटे तौर पे कानून की जो जानकारी है. वो आप लोगों के पास होनी चाहिए, ताकि आप लोगों की परेशानियां कम की जा सके.
आपको अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए. हम लोग क्लास फाइभ से, क्लास सिक्स से, क्लास सेवेन से सिविक्स पड़ते हैं. हम लोग अपने फंडामेंटल राइटस की बात करते हैं. हम लोग अपने फंडामेंटल डिजीज की करते हैं. इस बार माननीय नालसा की ओर से बताया गया कि बच्चों खासकर स्कूल के बच्चों को, कॉलेज के बच्चों को फंडामेंटल राइट्स, आपके जो मूलभूत अधिकार है. उन सबसे आपको जानकारी दी जाए. आप सभी बच्चे अधिकारों के बारे में जाने, ताकि आजादी का हमारा जो आजादी का अमृत महोत्सव है. हमारा आजादी के कितने वर्ष हो गए? 75 वर्ष. इस 75वे वर्ष के अवसर पर आप लोग विकास के रास्ते में पीछे ना रह जाएं.
आप लोग इतने ही अपने अधिकारों से लैस हैं, कि ये है कि आवश्यक है कि केवल अधिकार किताब तक सीमित रहके, बल्कि आप अपने ऊस अधिकार को जाने. जरूरत ये है कि बच्चों आप और आपके ये शिक्षक है. आपके ये लोग हैं. आम जनता यहां मौजूद हैं. आप सभी लोग किताब के लिखी उस कानून को जानें, बल्कि उस कानून का उपयोग भी आमजन में करें. आप अपने अधिकारों को भी जाने, और अपने कर्तव्य को भी जानें. एक बहुत छोटा सा उदाहरण देता हूं. आपका अधिकार है कि आप कहीं भी फ्री जा सकते हैं. लेकिन साथ ही आपका यह कर्तव्य है कि जब आप टू व्हीलर पर बैठते हैं, तो आप डबल रैंकिंग से ज्यादा ना करें. आप बिना हेलमेट के ना सवारी करें. उसी प्रकार आपके जो अधिकार हैं. आप अपने अधिकारों का उपयोग करें. लेकिन आप अपने कर्त्तव्यों को भी समझे. आप जाने कि कानून के दायरे में किस प्रकार बंधे हुए हैं. उसी दायरे में आप अपने बिहेवियर को मेंटेन करें. अगर हमारे बीच यहां कॉलेज के बॉयज हैं, लड़की है. वो जाने की हमको क्लास के जो सहपाठी है. हमारे बीच में हमारे क्लास में जो लड़कियां है. उसे कैसे प्रभावित करें. कैसे हम लोग लाइन बाउंड्री का क्रॉस न करें. किसी लॉ का बायोलेशन नहीं करें. आप अपने भी एक्सरसाइज कीजिए. ऐट सेम टाइम. अपने - अपने ड्यूटी को भी पहचानिए, तो ये कार्यक्रम का एक उद्देश्य यह था, कि सभी विधालयो के माध्यम से, शिक्षकों के माध्यम से, आप सभी बच्चों को यह पकड़ाया जा सके, कि आपके अधिकार क्या है, और आपके कर्तव्य क्या है? ये कार्यक्रम की कड़ी में हम लोगों ने जेल में भी प्रोग्राम किया था. जेल में हम लोगों ने जितने कैदी मौजूद हैं. केवल जेल में कैदी हो जाने से उनके अधिकार समाप्त नहीं होते बच्चे.ये बात आप लोगों को ध्यान रखना चाहिए. उनके मौलिक अधिकार जेल के अंदर भी बने रहते हैं, तो उनके उन अधिकारों के बारे में भी जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा उन कैदियों को जागरूक किया गया, और उन लोगों को उनके अधिकार बताए गए. रूम में ही उनको अलग - अलग जैसे: आई कार्ड, उनके अधिवक्ता के माध्यम से उनको है. अपडेट के माध्यम से मतलब सब कुछ बताया गया. इसी कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकार सचिव ने सभी पदाधिकारियों को सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया.
इसके बाद बार की ओर से समझिए आदरणीय अध्यक्ष महोदय को मैं पर्सनली थैंक्स देता हूं. जहां जहां कहीं भी कार्यक्रम हुआ. जहां कहीं भी इस तरह के पॉलिटिक्स में प्रोग्राम हुए. हमारे अध्यक्ष महोदय लगातार वहां मौजूद रहे. हमारे विधिक अन्य जो एडवोकेट ब्रदर्स है. वो भी वहां मौजूद रहे. उन्होंने कार्यक्रम में लोगों को कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी. आप लोग शायद जानते हो या न जानते हो. हमारा एक अभी अंग है. पारा लीगल वालंटियर. हमारे जिला विधिक सेवा प्राधिकार में 100 पारा लीगल वालंटियर है.
इस पूरे कार्यक्रम में गांव - गांव तक जाकर के ये इन लोग बांटा है, और पूरे समाज के साथ इन लोगों ने सबने मिलकर के ये पुरे प्रोग्राम में आप लोगों ने जो हेल्प किया है. आप लोगों के लिए भी काबिले तारीफ है, और मीडिया प्रेस हर जगह जहां भी कार्यक्रम हो रहा है. मैं प्रेस से हमेशा बात करता हूं, क्योंकि वो महत्वपूर्ण अंग है, जिसके बिना आम जनता तक, जन - जन तक हम लोग नहीं पहुंच सकते, तो हमारे प्रेस जितने भी हो. चाहे आप इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से हो, या प्रिंट मीडिया से. सभी ने मिलकर काफी सहयोग किया है.
वहीं जिला विधिक सेवा प्राधिकार अध्यक्ष, रसिक बिहारी सिंह ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि हमारा संविधान का जो प्रिंसिपल है. जो संविधान के आत्मा है. मैं उसको थोड़ा सा आप लोग को सुना दे रहा हूं. इसलिए महत्वपूर्ण चीज है. जो भारत का प्रस्तावना है. क्या उससे हमारे लोग संविधान नेता थे, या हमारे जो फ्रीडम फाइटर थे. क्या वो लड़े थे, इसके लिए. इसलिए क्या उन लोगों ने देश को वो हमारे लिए सौंपा है? क्या टास्क उन्होंने हमारे लिए सौंपा है? हमे इसको कैसे पूल बनाया उन्होंने? बहुत महत्वपूर्ण है विल बी पीपुल ऑफ इंडिया, आई विल सॉरी इंस्टॉल टू कंसेप्ट इंडिया. इंटु सारेंट, डेमोक्रेटिक, सेकुलर, सोशलिस्ट, रिपब्लिक एंड टू सिक्योर टू ऑल ऐनी विजन. जस्टिस, सोशल एंड इकोनामिक एंड पॉलीटिकल. लिबर्टी ऑफ हॉट डिप्रेशन, बिलीव, फेथ एंड वर्क्सशीप. हीज क्वालिटी ऑफ स्टेटस एंड टू मोर चैनल द अबाउट. सेपरेटली एज ऑफ डिफिकल्ट एंड दी ऑब्लिगेशन. ये जो शब्द है. तब ये जो सिंबल है.
हमारे यहां संविधान का गीता की तरह है. इसको हमें पूरी तरह आत्मसात कर लेना चाहिए. लेकिन आत्मसात कर लेने का मतलब इसे हमें अर्थ समझना चाहिए, कया? यहां कोई महान जाति नहीं होती है. कोई महान धर्म नहीं होता है. सारे के सारे सब महान है. सारे के सारे सब जातियां महान है. ऐसा नहीं होता है कि कोई खास जाति महान हो गया, और बाकी सब कोई कुछ और हो गया. इसलिए मेरा कहने का मतलब यही है कि संविधान का उद्देश्य हम लोगों को समझना होगा, और इसको सिर्फ याद नहीं करना है, बल्कि अपने जीवन में उतारना है. अब ऐसा नहीं कि एक महात्मा जी आए, और कबूतर के जाल में फंस गए. तब उन्होंने कहा कि कैसे छुटकारा मिले. लेकिन इसको तुम याद रखो, की शिकारी आएगा जाल बिछ आएगा. दाना डालेगा, उसमें फसना नहीं. कबूतर ने तो याद कर लिया. लेकिन जैसे ही शिकारी आया, उसमें जैसे ही दाना डाला, और कबूतर फस गया.
कहने का मतलब है कि हमारे भारत को जब महान बनाना है, तो पुरुष या स्त्री सब लोगों को मिलकर के हम इतना अपनाएं की किस जाति से महान बने. सब हम लोग बराबर है. सब मैं आई0पी0सी0, डब्लू0सी0 यही सब खून दौड़ रहा है. ऐसा नहीं कि किसी में खून ज्यादा दौड़ गया. ऐसी बात नहीं है. इन सब बात को हम लोग को समझना चाहिए, और एक बात की हमें खुशी हो रही है कि जो कार्यक्रम हुआ. बहुत जगह पर मैंने भी गया. लेकिन मुझे खुशी हो रही है, कि आज इतनी लड़कियां इस सभागार में आई हुई हैं. छात्राएं आई हुई है. उस स्थिति में छात्रों की संख्या बहुत कम है. हालांकि बहुत अच्छी बात है. लेकिन लड़कों की भी उपस्थिति रहना चाहिए, और एक चीज में कहना चाहता हूं कि बहुत सारे भाव हैं. अक्सर हां कहा जाता है कि संस्कार भी सीखना चाहिए. लेकिन मेरा अपना मानना है कि लड़कियों को क्या लड़कों को भी अपना संस्कार सिखाना चाहिए.
अंत में इन्होंने प्रभु श्रीराम का उदाहरण पेश करते हुए भी अपने संबोधन के दौरान सभी को सीख देने का प्रयास किया. वहीं जिला पदाधिकारी, औरंगाबाद, सौरभ जोरवाल ने भी सर्वप्रथम नगर भवन में उपस्थित लोगों को हाथ जोड़कर अभिवादन स्वीकार किया. तब मंच से संबोधित करते हुए कहा कि आज बहुत ही महत्वपूर्ण डिबेट है, जिसके अंदर पहली बार हम लोग देख रहे हैं, कि बच्चों से संवाद कर रहे हैं. हमारे पूरे प्रशासनिक व्यवस्था, पूरे सरकारी व्यवस्था के सबसे बड़े ऑफिसर हमारे माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, हुआ करते है. बहुत ही महत्वपूर्ण है. मैं इसलिए बोल रहे हैं कि बचपन में जब हम बहुत छोटे थे. आपसे भी छोटे थे. तब कोई भी आदमी आया करते थे. तब कोई भी सीनियर ऑफिसर पूछा करते थे, कि क्या बनना चाहते हो, तो मेरा पहला उत्तर होता था अध्यापक. अभी मेरा टीचर से वैसा ही लगाव है. यदि मिल जाते हैं, तो अभी भी हम किसी के सामने अपने शिक्षक का पैर छू लेते हैं. सम्मान आज भी हमारा टीचर के लिए है. सबसे पहला जवाब मेरा होता था, कि हम टीचर बनना चाहते हैं.
इसके बाद जब कोई पूछता था कि और क्या बनना चाहते हो? तब उस वक्त डॉक्टर को देखते थे, तो कहते थे, कि डॉक्टर बनेंगे इंजीनियर को देखते थे तो कह देते थे, कि इंजीनियर बनेंगे. मतलब कि जो सामने देखते थे. वही बोल देते थे. इसके बाद नगर भवन में उपस्थित बच्चों से पूछा कि फिल्में देखता है लोग. फिल्मों के हीरो कौन होते हैं? कभी सुना है की फिल्मों के हीरो कौन होते हैं? कोई एस0आई0 होता है, तो कोई इंस्पेक्टर होता है, तो कोई डी0एस0पी0 होता है, एस0पी0 होंगे, आई0जी0 होंगे. वो बनना चाहते हैं लोग. लेकिन कभी भी हमको यह सुनने को नहीं मिला, कि हम जज बनना चाहते हैं. जो हमारे मुंह से नहीं निकलता. एक बात निकल कर सामने आती है, कि इस हाल में जो बैठे हैं. जो बच्चियां बैठी है, बच्चे बैठे हैं. वो हमारे जिला के सबसे प्रतिभाशाली बच्चे हैं. आप सभी लोग मान कर चलिए कि आज के 15 वर्ष बाद इस जिला के, राज्य के, देश को आप लोग चलाएंगे. इसलिए यह समझना पड़ेगा. बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. इसलिए आप लोगों को बुलाया गया है. संवाद तो एक बहाना है.
इसलिए आप लोगों को बताना चाहते हैं कि 20 साल बाद आप लोग भी यही काम करेंगे. इसलिए उनसे सीखिए, समझिए, और अपने अधिकारों के बारे में जानिए. अपने कर्तव्यों के बारे में जानिए. जिला विधिक सेवा प्राधिकार का यह बहुत अच्छी पहल है जो आज सभी बच्चे जानेंगे, की यदि अधिकार नहीं मिल रहा है, तो वह कहां जाएंगे. इसलिए बहुत अच्छा समय है कि आप लोगों के बीच संवाद बात करने आए हैं. बहुत लोगों को जानकारी नहीं होती है. लोग सोचते है कि बैंक लोन नहीं दे रहा है, तो डी0एम0 साहब के पास जाएं. अब मेरा काम तो लोन देना नहीं है. मैं तो खुद ही बैंक से लोन लेकर के अपना काम करता हूं. हमारा जो पूरा बॉडी है. उसका ध्यान रखता है हमारा डायरेक्टर.
वहीं इसी कार्यक्रम में औरंगाबाद जिला के तेजतर्रार पुलिस अधीक्षक, कांतेश कुमार मिश्रा ने भी उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन स्वीकार करने के पश्चात मंच से संबोधित करते हुए कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा की और से जो कानूनन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. उसमें केवल एक बिंदु पर मैं बच्चों को जानना चाहूंगा जिन बच्चों का सोशल मीडिया व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर अकाउंट है. कृपया हाथ उठा दे. बहुत कम दिख रहा है. ऐसा कम दिख रहा है. यह अच्छी बात है. इसमें नागरिकों का जों शक्तिकरण है. पावर बिलॉग्स टू डिफर. जो सत्ता का अधिकार है. शक्ति है. वो आम जनमानस में व्याप्त है. इसमें हम इस बिंदु को देखें, तो मैं आपसे प्रश्न कर रहा हूं. अपेक्षा नहीं है. बस एक मंथन की जो बात है कि हमारा शक्ति करण हो रहा है. मूल प्रश्न है, कि सोशल मीडिया पर हम प्रतिदिन कुछ ना कुछ पोस्ट करते रहते हैं, देखते रहते हैं, तो क्या यह किसी दूसरे का अधिकार हनन है, या नहीं? मैं खास करके मैं आप लोगों को ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा कि बच्चियों के प्रति जो टीका टिप्पणी किया जाता है. महात्मा गांधी जी ने कहा था कि बुरा नहीं सोचना है. बुरा नहीं बोलना है. बुरा नहीं देखना है, तो इन चीजों का ध्यान आप लोगों का आकृष्ट करना चाहूंगा. इस प्लेटफार्म के माध्यम से, तो निश्चित तौर पर अगली बार यदि कार्यक्रम हो, तो मैं आग्रह करना चाहूंगा अपने सचिव महोदय से कि साइबर अवार्नेस के ऊपर.
सबको मालूम है कि फेसबुक व्हाट्सएप पर हमारा अकाउंट हो सकता है. यह फ्री ऑफ कॉस्ट है. लेकिन उसपे हम किस मर्यादा में व्यवहार अपना रखें. उस बिंदु पर मैं आप सभी का ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा. ज्यादातर यहां पर बच्चियां है. दो - चार साल के बाद नौकरी में जाएंगी. इसलिए इस पर मंथन अवश्य करें. जय हिंद.
इस कार्यक्रम में जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह के अलावे सभी लोगों ने भी अपना-अपना पक्ष रखा और अंत में बेहतर कार्य करने वाले मीडिया प्रभारी, अधिवक्ता, सतीश कुमार स्नेही, रिटेनर अधिवक्ता, अभिनंदन कुमार मिश्रा, डॉक्टर निरंजन कुमार के अलावे भी सभी लोगों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.