भारतीय जीवन बीमा निगम औरंगाबाद में विकास कश्यप के सेवानिवृत्ति सम्मान में विदाई समारोह हुआ आयोजन

भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा कार्यालय, औरंगाबाद से सेवानिवृत्ति प्राप्त कर चुके विकास अधिकारी, विकास कश्यप के साथ प्रथम सुपुत्री व वरीय उप समाहर्ता, जहानाबाद, श्रेया कश्यप तथा दिल्ली से प्लास्टिक सर्जरी विभाग में एम0एस0 की डिग्री प्राप्त कर वर्तमान राजस्थान अंतर्गत सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एम0सी0एच0 कर रही सुश्री साक्षी कश्यप एवं धर्मपत्नी शशि बाला कश्यप भी हुई शामिल

भारतीय जीवन बीमा निगम औरंगाबाद में विकास कश्यप के सेवानिवृत्ति सम्मान में विदाई समारोह हुआ आयोजन
Farewell ceremony organized in honor of Vikas Kashyap

अजय कुमार पाण्डेय:

औरंगाबाद: (बिहार) जिला मुख्यालय स्थित एक चर्चित होटल में बुधवार दिनांक - 02 अगस्त 2023 को अभिकर्ता समूह की ओर से भारतीय जीवन बीमा निगम, शाखा कार्यालय, औरंगाबाद में ही लगातार 35 वर्षों तक कार्यरत रहकर सेवानिवृत्ति प्राप्त चुके विकास अधिकारी, विकास कश्यप के सम्मान में परंपरा अनुसार एक विदाई समारोह सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया.

ध्यातव्य हो कि भारतीय जीवन बीमा निगम, शाखा कार्यालय, औरंगाबाद में कार्यरत विकास अधिकारी, विकास कश्यप ने सन् 1988 के दिसंबर महीने में प्रशिक्षु अधिकारी के पद पर नियुक्ति लिया था, और 01 अक्टूबर 1989 से इनकी नियुक्ति औरंगाबाद कार्यालय में ही विकास अधिकारी के पद पर कर दिया गया था. तब से इन्होंने लगातार 35 वर्षों तक औरंगाबाद में ही रहकर ईमानदारी पूर्वक सेवा देने का कार्य किया. जिन्हें विभाग ने सोमवार दिनांक - 31 जुलाई 2023 को उम्र सीमा पूरा होने जाने की वजह से नियमानुकूल तरीके से सेवानिवृत्ति दे दी है.

इसी मौके पर अभिकर्ता समूह की ओर से भी बुधवार दिनांक - 02 अगस्त 2023 को विकास अधिकारी, विकास कश्यप के सम्मान में विदाई समारोह सह सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया. जिसमें इनकी ज्येष्ठ पुत्री व जहानाबाद में वरीय उप समाहर्ता के पद पर कार्यरत श्रेया कश्यप, द्वितीय कनिष्ठ पुत्री व दिल्ली से प्लास्टिक सर्जरी विभाग में एम0एस0 की डिग्री प्राप्त कर वर्तमान राजस्थान अंतर्गत जयपुर स्थित सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में प्लास्टिक सर्जरी विभाग से एम0सी0एच0 कर रही साक्षी कश्यप तथा धर्मपत्नी शशिबाला कश्यप भी शामिल हुई.

इस कार्यक्रम में भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा कार्यालय, औरंगाबाद के विकास अधिकारी, विकास कश्यप, प्रथम सुपुत्री श्रेया कश्यप, द्वितीय कनिष्ठ सुपुत्री साक्षी कश्यप, धर्मपत्नी शशिबाला कश्यप जैसे ही आयोजित कार्यक्रम के हॉल में पहुंचे. वैसे ही पूरे अभिकर्ता समूह में गजब उत्साह देखने को मिला. पूरे परिवार के साथ पहुंचकर देखते ही उत्साहित अभिकर्ता समूह ने विकास अधिकारी, उनकी धर्मपत्नी व दोनों सुपुत्री को सर्वप्रथम पुष्प वर्षा करते हुए सभी को तिलक लगाकर, माला पहनाकर, आरती भी उतारा. फिर भारतीय जीवन बीमा निगम विकास अधिकारी, विकास कश्यप व उनके परिजनों को सम्मान पूर्वक मंच तक ले गये, और परंपरा अनुसार संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलित करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की.

कार्यक्रम शुरू करने से पूर्व अभिकर्ता समूह की ओर से भारतीय जीवन बीमा निगम विकास अधिकारी, विकास कश्यप, उनकी धर्मपत्नी व दोनों सुपुत्री को भी सम्मान पूर्वक अंग वस्त्र प्रदान कर, औरंगाबाद की पावन धरती देव स्थित भगवान भास्कर प्रतिमा के साथ मोमेंटो, बुकें सहित अन्य सामग्री प्रदान करते हुए सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर हाजीपुर से चलकर राकेश सिन्हा एवं उनकी धर्मपत्नी भी आई हुई थी.

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता, विजयानंद एवं मंच संचालन दयानंद ने की. इस अवसर पर अभिकर्ता समूह की ओर से मंच पर संबोधित करते हुए कहा गया कि सदैव ऊंचा विचार रखने वाले, मृदुभाषी समाजसेवी, बेदाग छवि रखने वाले विकास कश्यप ने शुरुआती दौर में सृजन करके बड़ा पौधा तैयार किया. जो आज के कार्यक्रम में मौजूद है. समाज की परंपरा है.

इस कार्यक्रम में पहुंचे इनके दोनों सुपुत्री को भी शुभाशीष. वहीं इस कार्यक्रम में मंच संचालन कर रहे दयानंद ने भी मंच से संबोधित करते हुए कहा कि गुरु का दायित्व मुझे सौंपा गया. इसलिए मेरा भी कर्तव्य है, कि इसका ईमानदारी से निर्वहन करूं.

ध्यातव्य हो कि इस कार्यक्रम में भारतीय जीवन बीमा निगम विकास अधिकारी, विकास कश्यप के दोनों सुपुत्री को अभिकर्ता समूह की ओर से अच्छे पद पर रहने के बजाय पुत्री के रूप में ही सम्मानित किया गया, और भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा कार्यालय औरंगाबाद के विकास अधिकारी, विकास कश्यप के प्रथम सुपुत्री व वरीय उप समाहर्ता, जहानाबाद, श्रेया कश्यप को भी जब मंच पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया, तो उत्साहित होकर व अपने बचपन की याद ताजा करते हुए मंच से संबोधित करते हुए कहा कि मेरा घरेलू नाम इंशु है. आज भले ही मैं जहानाबाद में प्रशासनिक पद पर कार्यरत हूं. लेकिन मैं बचपन से ही हमेशा अपने पापा के साथ रहकर इंश्योरेंस का फॉर्म भर्ती रही हूं.

शुरू से ही मैं भारतीय जीवन बीमा निगम के फॉर्म में दिए हुए सभी कॉलम को पढ़कर यस, नो. यस, नो भर के जवाब देती रहती थी. इसलिए आज भी मुझे सभी लोगों के साथ मिलकर बचपन से बिताया हुआ जीवन याद है, तथा शुरू से ही मुझे इंश्योरेंस के बारे में भी पता है. जो मैं कदापि नहीं भूल सकती हूं. इसमें मेरे पापा - मम्मी का बहुत बड़ा योगदान रहा है. जो मेरे लिए बहुत बड़ी गर्व की बात है. वहीं साक्षी कश्यप को भी जब मंच पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया. तब साक्षी कश्यप ने भी अपने बचपन की याद ताजा करके एवं वर्तमान जयपुर में उत्पन्न स्थिति के बारे में भी चर्चा करते हुए मंच से संबोधित करते हुए कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं. अपने पापा - मम्मी के दिए हुए संस्कार से ही हूं. जो मेरे लिए बहुत बड़ी गर्व की बात है, कि हमारे पापा - मम्मी दोनों ने मिलकर हम लोगों के लिए इतना बड़ा परिवार खड़ा कर दिया है.

ध्यातव्य हो कि भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा कार्यालय, औरंगाबाद में कार्यरत विकास अधिकारी, विकास कश्यप का पैतृक घर हाजीपुर पड़ता है. इनका जन्म 03 जुलाई 1963 को हुआ था. पिता का नाम - वीरेंद्र नारायण तथा माता का नाम - भानु है, और इनके बड़े भाई भी रिम्स हॉस्पिटल, रांची में सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत थे. जो सेवानिवृत्ति प्राप्त कर चुके हैं. वहीं इस आयोजित कार्यक्रम में भारतीय जीवन बीमा निगम के विकास अधिकारी रह चुके विकास कश्यप भी अपनी टीम के भावनाओं को समझते हुए काफी भावुक हुए, और अपने अभिकर्ता समूह को मंच से संबोधित करते हुए कहा कि मैं एक नियम के तहत विभाग से सेवानिवृत्ति अवश्य प्राप्त कर चुका हूं. लेकिन मैं हमेशा आप लोगों के साथ ही रहूंगा. आप लोग कभी भी चिंता मत कीजिए. सिर्फ कुछ दिनों का इंतजार कीजिए.

जब भारतीय जीवन बीमा निगम की ओर से एक्सटेंशन के रूप में मेरा नया कोड मिल जाएगा, तो फिर सेकंड इनिंग भी शानदार तरीके से ही खेलना है. आप लोगों ने जिस तरह से मुझे औरंगाबाद में हमेशा स्नेह - प्यार दिया है. इसे मैं कभी नहीं भूल सकता हूं, क्योंकि जब मैं प्रथम बार सन् 1988 में औरंगाबाद आया था. तब मुझे अजीब सी लग रहा था, कि मैं कहां आकर फस गया. उस वक्त मैं काफी दिनों तक बिना बाइक के ही औरंगाबाद बाजार में भी प्रत्येक स्थानों पर घूमता था, क्योंकि मेरे पास अपना बाइक भी नहीं था. इसके बावजूद भी आप लोगों ने शुरू से ही मुझे औरंगाबाद में जो सम्मान दिया है. इसे मैं कदापि नहीं भूल सकता हूं.